गंगटोक । सिक्किम के राज्यसभा सांसद डीटी लेप्चा ने केंद्र सरकार से ‘चाइना बॉर्डर’ शब्द पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया तथा इसके स्थान पर ‘तिब्बत सीमा’ शब्द का प्रयोग करने की वकालत की है। डीटी लेप्चा ने इस बात पर जोर दिया कि लेह, लद्दाख और अरुणाचल से सिक्किम तक का 1,400 किलोमीटर का क्षेत्र चीन की तुलना में तिब्बत की सीमा को अधिक सटीकता से दर्शाता है।
उन्होंने भारतीय सरकार और भारतीय सेना तथा सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) सहित सैन्य एजेंसियों से इस विशिष्टता को आधिकारिक रूप से मान्यता देने का आह्वान किया। लेप्चा ने सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास में भारी अंतर को उजागर करते हुए कहा कि जहां चीनी पक्ष में गांव और बुनियादी ढांचे हैं, वहीं भारतीय पक्ष मुख्य रूप से जंगलों और वन्यजीव अभयारण्यों तक सीमित है, जहां पहुंच प्रतिबंधित है।
उन्होंने सरकार से इन विकासात्मक असमानताओं को दूर करने के लिए व्यापक समीक्षा करने और कार्रवाई करने का आग्रह किया। इसके अतिरिक्त डीटी लेप्चा ने राष्ट्रीय राजमार्ग 10 की बिगड़ती स्थिति पर भी बात की, जो सिक्किम को शेष भारत से जोड़ने वाला मुख्य मार्ग है। उन्होंने इस महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना को शीघ्र पूरा करने के लिए केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की गई पिछली अपील को दोहराया। लेप्चा ने केंद्र सरकार से सहयोग का भी आह्वान किया, क्योंकि 16 मई 2025 को सिक्किम भारत संघ के एक राज्य के रूप में अपनी 50वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है।
उन्होंने जैविक खेती, राज्य विधानसभा में लिम्बू और तमांग समुदायों के लिए सीटों का आरक्षण, 12 समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा तथा सिक्किम में 17वें करमापा को शामिल करने सहित कई क्षेत्रों में सहायता का अनुरोध किया। डीटी लेप्चा ने सिक्किम के माध्यम से कैलाश मानसरोवर मार्ग को बनाए रखने और बढ़ाने के महत्व को रेखांकित किया, जिसे उन्होंने तीन तीर्थयात्रा मार्गों में से सबसे अनुकूल बताया। उन्होंने इस पवित्र पथ के बुनियादी ढांचे और पहुंच में सुधार के लिए केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की अपील की।
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