कार्सियांग : सूचना व सांस्कृतिक विभाग, गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) के कार्यकारी सभासद अनोश थापा ने नेपाली भाषा का जिक्र करते हुए एक मुलाकात के दौरान कहा कि हमारी राष्ट्रीयता नेपाल नहीं, भारतीय है। हम भारतीय गोरखा हैं। भारत के संसद ने भारतीय संविधान के तहत आठवीं अनुसूची में नेपाली भाषा को 20 अगस्त -1992 के दिन अंतर्भुक्त किया था। नेपाली भाषा मान्यता प्राप्त भाषा है। इसलिए हमारी भाषा नेपाली है व हम भारतीय गोरखा हैं। हम गोरखा जाति शौर्य, वीरता व साहस के प्रतीक हैं।
उन्होंने कहा कि नेपाल कहने से भौगोलिक राष्ट्रीयता दर्शाता है। भले ही हमारे पूर्वज नेपाल से आये हैं, परंतु वे जमीन के साथ आये हैं। सुगौली संधि के धारा-सात के तहत हमारे ऊपर विदेशी होने का लांछन लगा। इसलिए इस लांछन को मिटाने के लिए हमने एक उपाय निकाला कि हम नेपाल के नेपाली नहीं, बल्कि हम भारतीय गोरखा हैं। हमारी भाषा नेपाली होने के बावजूद हम भारतीय गोरखा हैं। नेपाली भाषा को लेकर जो वाहियात बातें करते हैं,उन्हें इतिहास पढ़ने की आवश्यकता है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में चल रहे नेपाली भाषा मान्यता दिवस का समापन कार्यक्रम 31 अगस्त -2025 के दिन दार्जिलिंग में आयोजित किया जायेगा। इस कार्यक्रम में भारतीय संसद में नेपाली भाषा को मान्यता दिलाने हेतु विधेयक पेश कर भारतीय संविधान के तहत आठवीं अनुसूची में अंतर्भुक्त कराने में अहम भूमिका निर्वाह करने वाले पूर्व सांसद द्वय दिल कुमारी भंडारी व आरबी राई को नेपाली भाषा सम्मान पुरस्कार से नवाजा जायेगा। पुरस्कार के तहत उन्हें सम्मानित करते हुए नगद राशि 50 हजार रुपये,अंगवस्त्र व प्रशस्ति -पत्र प्रदान किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि ऐसे तो जमीनी स्तर से कई भाषा संग्रामियों ने कार्य किया,कई लोग शहीद भी हुए,परंतु संसद में मुख्य रूप से कार्य करने वाले दो व्यक्तित्व क्रमशः दिल कुमारी भंडारी व आरबी. राई होने के कारण उन्हें नेपाली भाषा सम्मान पुरस्कार से नवाजा जायेगा। नेपाली भाषा को मान्यता दिलाने में उनके द्वारा पहुंचायी गई योगदान को इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में अंकित किया जायेगा।
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