दार्जिलिंग । केंद्र सरकार के नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के दायरे में भूटान से आए गोरखाओं और तिब्बत से निष्कासित तिब्बतियों को क्यों शामिल नहीं किया गया है? प्रदेश कांग्रेस महासचिव विनय तमांग ने आज यह सवाल उठाते हुए इसे केंद्र की एक बड़ी साजिश करार दिया है।
तमांग ने एक मीडिया रिपोर्ट में कहा कि सीएए में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न एवं प्रताड़ना से भाग कर देश में आने वाले हिंदु, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध, इसाई शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है। लेकिन इसमें भूटान से भगाए गए गोरखाओं और तिब्बत से आए तिब्बती शरणार्थियों को जगह नहीं दी गई है। ऐसा क्यों है? उन्होंने केंद्र से इस पर विचार करने का आग्रह किया।
तमांग ने आगे कहा कि नागरिकता संशोधन कानून पर कांग्रेस आलाकमान की राय अलग हो सकती है, लेकिन एक गोरखा होने के नाते मैं यह कह सकता हूं कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर का ही एक स्वरूप है। सीएए लागू करने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एनआरसी और एनपीआर लागू करने की बात भी कह चुके हैं। ऐसे में यह गोरखाओं के साथ-साथ अन्य जातियों के लिए भी बड़ा खतरा है, जिसके बारे में कोई समझ नहीं पा रहा है। उनके अनुसार, आने वाले दिनों में इसका गोरखाओं पर कहीं न कहीं दुष्प्रभाव पड़ने वाला है।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा सीएए लागू करने से पहले इसे संसद में पारित किए जाने के समय भी विनय तमांग ने इसका पुरजोर विरोध किया था।
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