दार्जिलिंग । बंगाल सरकार भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने और राज्य की जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए सीएजी रिपोर्ट को झूठा बता रही है। यह आरोप भाजपा दार्जिलिंग समिति के उपाध्यक्ष एलएम लामा ने लगाया।
दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने सीएजी रिपोर्ट पर क्यों नहीं बोला? इससे यह स्पष्ट है कि गड़बड़ी बंगाल सरकार में ही है। वर्ष 2021-22 के लिए महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि बंगाल सरकार ने केंद्र से प्राप्त 2.29 लाख करोड़ के फंड का उपयोगिता प्रमाण पत्र केंद्र को जमा नहीं किया है। 3,400 करोड़ रुपये के 11,321 विवरण आकस्मिक बिल जमा नहीं किए गए हैं।
इसी तरह रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के तहत भेजे गये 81,839 करोड़, शिक्षा विभाग के तहत 36,850 करोड़ और शहरों व नगर पालिकाओं के तहत 30,693 करोड़ का उपयोग प्रमाण पत्र अब तक जमा नहीं किया गया है। ऐसे कई विभाग हैं जहां गड़बड़ी हुई है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जन कल्याण के हित में शुरू की गई कई योजनाओं को भी राज्य ने अपने राजनीतिक हितों के लिए बदल दिया है। मनरेगा के तहत राज्य भर में 1.18 मिलियन फर्जी जैब कार्ड जारी करने में राज्य ने नियमों का खुला उल्लंघन किया है। इस योजना में बंगाल में करोड़ों रुपये का घोटाला किया गया है। ऐसी खबरें हैं कि इसमें कई टीएमसी नेता शामिल हैं। इसलिए केंद्र की ओर से मनरेगा के तहत राशि नहीं दी जा रही है। इन सभी रिपोर्टों के आधार पर बंगाल में कई केंद्रीय योजनाओं में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की आशंका जताई जा रही है। बंगाल सरकार भ्रष्टाचार में डूबी हुई है। केंद्र सरकार भ्रष्टाचार मुक्त भारत चाहती है।
श्री लामा ने कहा कि भ्रष्टाचार के कारण विकास बाधित हो रहा है। यदि केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए करोड़ों रुपये में भ्रष्टाचार नहीं होता तो न सिर्फ राज्य बल्कि हमारे दार्जिलिंग पहाड़ की भी स्थिति बेहतर होती।
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