दार्जिलिंग : सरकार की ’30 प्रतिशत चाय भूमि नीति’ को लेकर पहाड़ियों में व्यापक असंतोष और विरोध के बीच, जीटीए सदस्य और इंडियन गोरखा जनशक्ति मोर्चा (आईजीजेएफ) के समन्वयक अजय एडवर्ड्स ने आज सार्वजनिक रूप से 30 प्रतिशत चाय भूमि के संबंध में सरकार द्वारा जारी अधिसूचना को फाड़ दिया।
गौरतलब है कि सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना तब जारी की, जब कुछ ही दिनों पहले राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में आयोजित ‘पश्चिम बंगाल वैश्विक व्यापार शिखर सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए घोषणा की थी कि ‘चाय बागानों की 30 प्रतिशत जमीन निजी कंपनियों को अन्य व्यावसायिक गतिविधियों के लिए दी जाएगी। मुख्यमंत्री की घोषणा और राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना से पहाड़ के लोगों, विशेषकर चाय श्रमिकों में व्यापक गुस्सा, असंतोष और विरोध भड़क गया है।
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, आईजीजेएफ शुरू से ही चाय श्रमिकों को पांच डिसमिल जमीन का पट्टा देने की राज्य सरकार की नीति का कड़ा विरोध करता रहा है। चाय बागान निवासियों के शोषण के संबंध में आज आयोजित आईजीजेएफ की बैठक में पार्टी समन्वयक अजय एडवर्ड्स ने कहा, जो करना है करो; उन्होंने चाय भूमि के 30 प्रतिशत के संबंध में राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना को फाड़ दिया और कहा, हमें जहां चाहें ले जाएं।
उन्होंने कहा कि जीटीए में भारतीय गोरखा जनशक्ति फ्रंट पार्टी के 6 सदस्य हैं। हम सभी निर्वाचित सदस्य हैं। लोगों ने हमें आशा और विश्वास के साथ जीटीए बोर्ड में भेजा था। इसलिए हमें लोगों का विश्वास और भरोसा नहीं तोड़ना चाहिए। हम चाय बागानों की 30 प्रतिशत भूमि को गैर-जरूरी गतिविधियों के लिए निजी कंपनियों को देने के राज्य सरकार के फैसले का विरोध करते हुए संबंधित विभागीय अधिकारियों को पत्र लिखेंगे और अगर इसके बाद भी हमारी आवाज नहीं सुनी गई तो हमें एक सकारात्मक आंदोलन शुरू करना होगा। आईजीजेएफ के समन्वयक एडवर्ड्स ने कहा, हमें चुप नहीं रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आज के परिणाम गोरखाओं के चुप रहने के कारण आए हैं। उन्होंने कहा, राज्य सरकार शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक हर क्षेत्र में हम पर दबाव बना रही है। अब चाय बागानों की जमीन अन्य उद्योगों के लिए निजी कंपनियों को देने की तैयारी चल रही है। चाय श्रमिकों को उनके हक का 20 प्रतिशत भत्ता नहीं दिया गया है तथा उन्हें केवल 16 प्रतिशत बोनस दिया गया है। शेष चार प्रतिशत के संबंध में बैठक बुलाने की बात हुई थी, लेकिन आज तक बैठक नहीं हुई। ये सब हमारे लिए दमनकारी है। राज्य सरकार ने पहाड़ में हम गोरखाओं और तराई और डुआर्स में गोरखाओं और आदिवासियों के शोषण की एक समान नीति अपनाई है।
अजय एडवर्ड्स ने बताया कि जिस दिन भागोप्रोमो के चेयरमैन और जीटीए प्रमुख अनित थापा ने सोशल मीडिया पर कहा कि मैंने राज्य सरकार से चाय बागानों की 30 प्रतिशत भूमि के बारे में बात की है, उसी दिन राज्य सरकार ने चाय बागानों की 30 प्रतिशत भूमि निजी कंपनियों को अन्य गतिविधियों के लिए हस्तांतरित करने की अधिसूचना जारी कर दी। हम चाय बागानों की भूमि को अन्य गतिविधियों के लिए उपयोग करने की अनुमति नहीं देंगे; हम इसका विरोध करते हैं। एडवर्ड्स ने कहा, हम अपनी भूमि के लिए अपनी जान देने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि जीटीए में सत्ता में बैठे लोगों ने कोलकाता जाकर क्या व्यवस्था की थी। उन्होंने कहा, लेकिन अगर आप अपने समुदाय पर विपत्ति आने पर कुछ नहीं कर सकते, तो ऐसे जीटीए को बर्खास्त कर दीजिए। आईजीजेएफ पार्टी के समन्वयक अजय एडवर्ड्स ने कहा कि ऐसे जीटीए को बनाए रखने का कोई औचित्य नहीं है जो विपत्ति आने पर समुदाय को सुरक्षा प्रदान करने में असमर्थ हो।
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