दार्जिलिंग क्षेत्र को लेकर ठोस निर्णय ले केंद्र सरकार : विनय तमांग

दार्जिलिंग : देश की सुरक्षा और अखंडता को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार के लिए दार्जिलिंग हिल्स, सिलीगुड़ी, तराई और डुआर्स के संबंध में निर्णय लेने का समय आ गया है। यह बयान गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन (जीटीए) के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान सभासद विनय तमांग ने दिया है। उन्होंने यहां एक वीडियो संदेश के माध्यम से अपनी राय व्यक्त की।

एक वीडियो संदेश में पूर्व अध्यक्ष एवं सभासद सदस्य तमांग ने भारत के दो मित्र देशों बांग्लादेश और नेपाल में चल रही विभिन्न राजनीतिक उथल-पुथल की ओर इशारा करते हुए कहा कि भारत ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है और राजनीति के साथ-साथ कूटनीतिक स्तर पर भी कार्रवाई की है, क्योंकि उन देशों में चल रही राजनीतिक और कूटनीतिक वजहों से भारत पर भी किसी न किसी तरह असर पड़ेगा। उन्होंने संदेश में कहा, हालांकि, भारत का वह क्षेत्र जहां हम रहते हैं, इन दोनों देशों के बीच राजनीतिक और कूटनीतिक मुद्दों से प्रभावित होगा। ब्रिटिश काल में हमारे पूर्वजों ने मांग की थी कि इन क्षेत्रों को मिलाकर एक अलग प्रशासनिक व्यवस्था बनाई जाए। भारत के स्वतंत्र होने के बाद से यह मांग की जाती रही है कि इस क्षेत्र को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 3 और भारत के संघीय ढांचे के अनुरूप विलय कर एक अलग गोरखालैंड राज्य बनाया जाए।

तमांग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, बांग्लादेश का गठन 1971 के जनांदोलन और युद्ध के बाद पाकिस्तान से अलग होकर हुआ था। बांग्लादेश के निर्माण के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों ने सरकारें बनाईं और इस बीच सेना ने भी बांग्लादेश को चलाया। बांग्लादेश की जनता द्वारा सरकार चुने जाने और गठित होने के 6 महीने से भी कम समय में यह कटु घटना घटित हो गई, जिसमें सरकार के प्रमुखों को जनांदोलन का शिकार बनने के बाद देश छोड़ना पड़ा। बांग्लादेश में वर्तमान में सेना का शासन है और मोहम्मद यूनुस अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार बन गए हैं। पिछले दिसंबर में बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी, जिसके तुरंत बाद जनवरी में आईएसआई प्रमुख असीम मलिक और उनकी टीम बांग्लादेश के दौरे पर आई थी। इसी प्रकार, बांग्लादेशी सैन्य अधिकारी पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों से मिलने के लिए पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद गए और वहां चार दिनों तक रहे। पिछले मार्च में बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने चीन का दौरा किया था।

इस संदर्भ में तमांग ने कहा, बांग्लादेश और चीन की बढ़ती गतिविधियों के कारण हमारा दार्जिलिंग हिल्स, तराई और डुआर्स क्षेत्र बहुत संवेदनशील होता जा रहा है और सुरक्षा की दृष्टि से भी बहुत गंभीर होता जा रहा है। उन्‍होंने कहा कि एक राष्ट्रीय समाचार चैनल ने बांग्लादेश और चीन की गतिविधियों के साथ-साथ दार्जिलिंग, तराई और डुआर्स की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा परिप्रेक्ष्य पर एक परिचर्चा का आयोजन किया है। चर्चा का विषय ‘सिलीगुड़ी कॉरिडोर के लिए लड़ाई’ रखा गया था। राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों और अंतर्राष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञों ने चर्चा में भाग लिया। बांग्लादेश और भारत के बीच सीमा 4097 किलोमीटर लंबी है। बांग्लादेश सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने हाल ही में चीन की राजधानी बीजिंग में भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के मुद्दे पर एक गंभीर बयान दिया। यूनुस के बयान से भारत भी काफी चिंतित है।

विनय तमांग ने वीडियो संदेश में कहा, जब बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मुहम्मद यूनुस ने चीन को समझाने की कोशिश की, तो उन्होंने सिलीगुड़ी कॉरिडोर की भी धमकी दी। उनके द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, भारत पश्चिम बंगाल राज्य के साथ 2217 किलोमीटर, त्रिपुरा राज्य के साथ 856 किलोमीटर, मेघालय राज्य के साथ 443 किलोमीटर, मिजोरम राज्य के साथ 318 किलोमीटर और असम राज्य के साथ 250 किलोमीटर की सीमा साझा करता है। पश्चिम बंगाल राज्य के साथ 963 किलोमीटर लंबी सीमा पर कोई बाड़ नहीं लगाई गई है। यह सीमा खुली सीमा है।

इस संबंध में विनय तमांग ने कहा, चीन ने घोषणा की है कि वह बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक अस्पताल बनाएगा और साथ ही यह भी घोषणा की है कि वह बांग्लादेश के सीमावर्ती क्षेत्र में एक सड़क बनाएगा। चीन द्वारा बांग्लादेश के लालमणि हाट नामक स्थान पर अपना एयरबेस स्थापित करने की चर्चा है। बांग्लादेश में लालमणि हाट सिलीगुड़ी कॉरिडोर (सिलीगुड़ी) से सिर्फ 25 किलोमीटर दूर है। इस तरह के मुद्दों से हमारे देश की सुरक्षा को खतरा पैदा होने की संभावना बढ़ गई है। अलग गोरखालैंड राज्य के गठन की हमारी मांग हमारी जातीय पहचान और अस्तित्व से जुड़ा मामला है। हमारी भाषा, संस्कृति और परंपराएं अन्य जातीय समूहों से भिन्न हैं और हमारा इतिहास भी अलग है। हमारे नेता सरकार के समक्ष ये मुद्दे उठा रहे हैं और अलग राज्य की मांग उठा रहे हैं। न केवल हमारी जातीय पहचान और अस्तित्व, बल्कि देश की सुरक्षा और अखंडता को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार को अब इस क्षेत्र के लिए एक अलग राज्य बनाना चाहिए। पृथक राज्य का गठन देश की सुरक्षा एवं अखंडता के लिए सुरक्षा कवच का काम करेगा।

सिलीगुड़ी कॉरिडोर और चिकन नेक पर संसद में कई बार चर्चा हो चुकी है; अब समय आ गया है कि भारत सरकार दार्जिलिंग हिल्स, सिलीगुड़ी, तराई और डुआर्स के बारे में सोचे। जीटीए के पूर्व चेयरमैन तमांग ने एक वीडियो संदेश में कहा है कि अब समय आ गया है कि भारत सरकार बांग्लादेश व नेपाल की राजनीतिक व कूटनीतिक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए, देश की सुरक्षा व अखंडता को ध्यान में रखते हुए दार्जिलिंग हिल्स, सिलीगुड़ी, तराई व डुआर्स के संबंध में राजनीतिक के साथ-साथ कूटनीतिक निर्णय भी ले।

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