दार्जिलिंग । दार्जिलिंग लोकसभा क्षेत्र के सांसद राजू बिष्ट ने शनिवार को कार्सियांग में शहीद दिवस में भाग लेकर गोरखालैंड राज्य के लिए बलिदान देने वालों को श्रद्धांजलि दी। इस बात की जानकारी उन्होंने एक प्रेस रिलीज के जरिए दी है।
सांसद राजू बिष्ट ने कहा कि वह भी दार्जिलिंग हिल्स, तराई और डुआर्स क्षेत्र के लोगों के साथ कार्सियांग के शहीद दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए और गोरखालैंड के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले इस धरती के सभी बेटों और बेटियों को याद किया। उन्होंने कहा कि 27 जुलाई 1986 को कालिम्पोंग की सड़कें गोरखा युवाओं के खून से रंग गईं, जब पश्चिम बंगाल पुलिस ने बिना किसी कारण के निर्दोष नागरिकों पर गोलियां चला दीं थी। शहीद होने वालों में से कुछ की उम्र 16 साल तक थी। उनका एकमात्र अपराध यह था कि उन्होंने मांग की कि हम भारतीय गोरखाओं से हमारी राष्ट्रीयता के बारे में बार-बार पूछताछ नहीं की जानी चाहिए और हमारे साथ विदेशी जैसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए।
सांसद राजू बिष्ट ने बताया कि 1986 में इसी दिन गोरखा लोगों ने कम्युनिस्ट नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार का असली और क्रूर चेहरा देखा था। सांसद बिष्ट ने कहा कि इस धरती के लोग समझ गए हैं कि हम पश्चिम बंगाल में कभी सुरक्षित नहीं रहेंगे। गोरखालैंड के लिए संघर्ष केवल राजनीतिक स्वायत्तता के लिए नहीं था, बल्कि गोरखा जाति की गरिमा, पहचान और आत्मनिर्णय के लिए था।
उन्होंने कहा कि यह हमारी मिट्टी, हमारी अनूठी संस्कृति, भाषा और विरासत को संरक्षित करना है। सांसद राजू बिष्ट ने एक बयान में कहा कि हमारे शहीदों का सर्वोच्च बलिदान उनके स्वयं के जीवन से भी बड़े उद्देश्य के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है, एक ऐसा उद्देश्य जहां गोरखा पहचान फल-फूल सकती है। उन्होंने कहा कि आज पूरे भारत में कश्मीर से कन्याकुमारी, हिमाचल से अरुणाचल तक, जहां भी हमारे लोग रहते हैं, हम गर्व से खुद को गोरखा घोषित करते हैं। हममें पहचान की यह भावना दार्जिलिंग-कालिम्पोंग क्षेत्र के हजारों गोरखाओं के बलिदान के कारण संभव हो पाई है।
उन्होंने कहा कि मणिपुर में पैदा हुआ कोई गोरखा बेटा गोरखा समुदाय की सीट दार्जिलिंग से सांसद बनकर गोरखाओं के हितों को आगे बढ़ाने का सपना देख सकता है, ये हमारे वीर शहीदों के बलिदान के कारण ही संभव हो पाया है। सांसद बिष्ट ने कहा कि शहीदों की वीरता गोरखाओं को प्रेरित करती रहेगी। गोरखाओं के सपनों और आकांक्षाओं को साकार करने के संकल्प को मजबूत करेगी और उनका अदम्य साहस गोरखाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा। हमारे लक्ष्य की ओर यह यात्रा जारी है, लेकिन हमारे शहीदों की आत्माएं हमारे पथ को रोशन करती रहेंगी।
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