दार्जिलिंग : श्रमिक भवन की बैठक में संयुक्त मंच ने बताया कि वह न्यूनतम मजदूरी, पूजा बोनस की दर, बंद चाय बागानों को तत्काल खोलने की आवश्यकता तथा शेष चार प्रतिशत पूजा बोनस आदि मुद्दे उठाएगा।
पहाड़ के चाय बागानों में उत्पन्न समस्याओं के समाधान के लिए श्रम विभाग ने तीन अप्रैल को सिलीगुड़ी के डागापुर स्थित श्रम भवन में बैठक बुलाई है। यह जानकारी हिल ज्वाइंट फोरम के प्रवक्ता सुनील राई ने दी। संयुक्त फोरम में शामिल सभी श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधि बैठक में भाग लेंगे।
प्रवक्ता राई ने कहा कि बैठक की अध्यक्षता राज्य के श्रम मंत्री मलय घटक करेंगे। उनका कहना है कि आगामी 3 अप्रैल को होने वाली बैठक काफी महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि इसमें श्रम मंत्री भी मौजूद रहेंगे। बैठक में संयुक्त मंच चाय बागानों में न्यूनतम मजदूरी लागू करने, बंद चाय बागानों को तत्काल खोलने, पहाड़ के चाय श्रमिकों को अब तक नहीं मिले 2023-24 पूजा बोनस के शेष चार प्रतिशत का मुद्दा उठाने तथा आगामी बोनस की राशि 20 प्रतिशत निर्धारित करने जैसी मांगें रखेगा।
संयुक्त मंच के प्रवक्ता राई ने कहा कि दार्जिलिंग पहाड़ियों में चाय बागानों की वर्तमान स्थिति मजबूत नहीं है। समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। समस्याएं केवल एक प्रकार की नहीं हैं, बल्कि कई प्रकार की हैं। 3 अप्रैल को होने वाली अगली बैठक में इन समस्याओं के समाधान पर चर्चा की जाएगी। उनके अनुसार, 2023-24 के लिए पूजा बोनस का मुद्दा आज तक तय नहीं हुआ है। इसका समाधान करना बहुत जरूरी है।
स्मरण रहे कि पिछले वर्ष जब पहाड़ों में चाय श्रमिकों के लिए पूजा बोनस की दर या प्रतिशत को लेकर नियोक्ता और श्रमिक के बीच विवाद हुआ था, तो राज्य सरकार ने हस्तक्षेप करते हुए 16 प्रतिशत पूजा बोनस के लिए परामर्श जारी किया था। तदनुसार, मालिक ने 16 प्रतिशत की दर से पूजा बोनस राशि श्रमिकों के बैंक खातों में स्थानांतरित कर दी, हालांकि चाय श्रमिक और हितधारक संगठन पूरे 20 प्रतिशत पूजा बोनस की मांग करते रहे हैं। सरकार ने इस मुद्दे पर किसी निष्कर्ष या सहमति पर पहुंचने के लिए अब तक दो बैठकें की हैं, एक कोलकाता में और दूसरी डागापुर, सिलीगुड़ी कार्यालय में, लेकिन इन बैठकों से भी कोई निष्कर्ष नहीं निकला है।
प्रवक्ता राई ने बताया कि संयुक्त मंच ने आगामी 3 अप्रैल की बैठक में इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि दूसरी मांग चाय बागानों में न्यूनतम मजदूरी लागू करने की होगी। यह मांग लंबे समय से उठ रही है, लेकिन इस पर सुनवाई नहीं हुई। सरकार ने यह भी कहा था कि उसने इस मुद्दे पर निष्कर्ष निकालने के लिए एक सलाहकार समिति गठित की थी, लेकिन आज तक न्यूनतम वेतन लागू नहीं किया गया है।
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