जीटीए क्षेत्र में 313 शिक्षकों के वेतन पर रोक

भाजपा ने कमीशनखोर नेताओं को ठहराया जिम्मेदार

दार्जिलिंग : कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा सोमवार को अपने आदेश में जीटीए क्षेत्र में 313 शिक्षकों के वेतन रोके जाने की घोषणा के बाद भाजपा ने जीटीए प्रशासन को आड़े हाथों लिया है। भाजपा जिला महासचिव सुजेंद्र राई ने इसके लिए कमीशनखोर नेताओं को जिम्मेदार बताया है।

उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पश्चिम बंगाल में 25,752 शिक्षकों की नौकरी रद्द करने के दो दिन बाद उच्च न्यायालय ने अगले महीने से पहाड़ी क्षेत्र के 313 शिक्षकों का वेतन रोकने का फैसला सुनाया है।

इस संबंध में एक विज्ञप्ति जारी कर भाजपा नेता सुजेंद्र राई ने बताया कि इन शिक्षकों की नौकरी की स्थिरता पर भी गंभीर संदेह है। उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जीटीए में सत्ता पर काबिज कमीशनखोर नेता ऐसी स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं। जब वे जीटीए में सत्ता में आए तो उन्होंने व्यवस्था को ताक पर रख कर पढ़े-लिखे भाई-बहनों को अपारदर्शी, अनियमित और अवैज्ञानिक तरीके से नौकरियां दीं और उन्हें कमीशन का लालच दिया। ऐसे में, उन्होंने पीड़ित शिक्षक-शिक्षिकाओं के प्रति अपनी आंतरिक सहानुभूति जतायी।

राई ने कहा, वास्तव में, बंगाल सरकार यही चाहती है। उन्होंने सवाल उठाया कि इतने वर्षों तक विभागों को समझौते के अनुसार पूर्ण रूप से क्यों नहीं सौंपा गया? जीटीए को जबरन कोलकाता के नियंत्रण में क्यों रखा गया? स्कूल सेवा आयोग का क्रियान्वयन समय पर क्यों नहीं किया गया?

राई ने बंगाल सरकार पर इस कुप्रबंधन के माध्यम से पहाडि़यों को बर्बाद करने की साजिश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि हमारे बहुत से शिक्षक योग्य हैं, एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार हैं, लेकिन बिना किसी इंटरव्यू के पैसे देकर, गलत रास्ता दिखाकर, प्रलोभन देकर नौकरी पाना कौन नहीं चाहेगा? कौन एक आसान अवसर खोना चाहता है? कितने गरीब उम्मीदवारों ने अपनी जमीन गिरवी रखकर और कर्ज मांगकर और नेताओं को पैसे देकर नौकरी हासिल की हैं।

उनके अनुसार, यदि नियमों का पालन किया गया होता और प्रक्रियागत व्यवस्था की गई होती तो आज हमारे भाइयों-बहनों को ऐसी अराजक और चरम स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता।

इसके साथ ही, राई ने जीटीए सभा के सदस्यों को स्वार्थी बताते हुए कहा कि वे उचित और व्यवस्थित कार्य नहीं कर रहे हैं। उनके आलस्य में पहाड़ के तथाकथित बड़े नेता भी शामिल हैं। ऐसे में, यदि वेतन खो चुके पहाड़ के 313 शिक्षक अपनी नौकरी खो देते हैं तो इसका दोष पूरी तरह से पहाड़ के उन भ्रष्ट नेताओं पर होगा।

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