मिरिक । दशहरा त्योहार नजदीक आ रहा है, लेकिन चाय बागान में काम करने वाले श्रमिकों के बोनस को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। कल रविवार को दार्जिलिंग में बोनस को लेकर संयुक्त ट्रेड यूनियनों की बैठक हुई। इसमें सभी ट्रेड यूनियनों ने एक साझा मंच तैयार कर आने वाले दिनों में विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है। मालिकों को 8.33 प्रतिशत से अधिक का भुगतान न करने की मांग करने वाले यूनियनों के पत्र को सर्वसम्मति से खारिज कर दिया गया है।
यह निर्णय लिया गया है कि कल डीटीए और आईटीए को एक पत्र दिया जाएगा कि 20 प्रतिशत बोनस और एक बार में दिया जाए और उस पत्र की एक प्रति प्रत्येक कमांड में आधे घंटे की गेट मीटिंग के बाद प्रबंधक को सौंपी जाएगी। बैठक में कहा गया कि कोर्ट के बार-बार आदेश के बावजूद अब तक मजदूरों को न्यूनतम वेतन नहीं मिल सका है। राज्य सरकार ने पिछले साल अंतरिम धन बढ़ोतरी की घोषणा की थी, लेकिन इस साल चाय उद्योग के लिए कोई अंतरिम बढ़ोतरी की घोषणा नहीं की गई है। बढ़ती महंगाई के दबाव के कारण श्रमिकों की आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है।
अतिरिक्त पत्ती तोड़ने के लिए एलपीए दर में कोई वृद्धि नहीं की गई है, जिससे श्रमिकों की वार्षिक आय कम हो गई है। मालिकों को कोई अतिरिक्त पैसा नहीं देना पड़ता, इसलिए 20 प्रतिशत बोनस की मांग उचित है। इस वर्ष चाय का उत्पादन वास्तव में कम हो गया है, लेकिन स्थिति में सुधार हो रहा है। बारीक पत्ती तोड़ने से उपज कम हो जाती है, लेकिन चाय की गुणवत्ता बढ़ने से बागान प्रबंधन की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। मजदूरों को मिलने वाली रियायतें पूरी तरह से बंद हैं। 20 प्रतिशत की दर से बोनस का भुगतान श्रमिकों को प्रेरित करेगा, जो भविष्य में चाय उद्योग को पूरा समर्थन देंगे।
बैठक में कहा गया कि दशहरा हमारे पहाड़ का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक त्योहार है। महोत्सव से कार्यकर्ताओं की भावना भी जुड़ी हुई है। सीटू नेता समन पाठक ने संयुक्त व्यापार संघ का पक्ष रखते हुए कहा कि इस भावना को ठेस न पहुंचे और संगठन में शांति का सिलसिला कायम रहे, इसके लिए 20 फीसदी बोनस देना जरूरी है।
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