 
                    दार्जिलिंग । 2026 में देश में होने वाले सीमांकन के पहले पूर्व जीटीए अध्यक्ष एवं निर्वाचित सभासद विनय तमांग ने दार्जिलिंग पहाड़, तराई एवं डुआर्स के खोए भूभाग को पुन: वापस लेने की बात कही है। साथ ही तमांग ने दार्जिलिंग पहाड़, तराई एवं सिलीगुड़ी को मिलाकर एक नया लोकसभा केंद्र बनाने की मांग की है।
दार्जिलिंग में आज पत्रकार वार्ता में तमांग ने कहा कि हमें अतीत में खोए हुए अपने क्षेत्रों को वापस लाने में सक्षम होना होगा। उन्होंने कहा कि 2026 में देश में पुनर्सीमांकन होने वाला है, लेकिन दार्जिलिंग पहाड़ में किसी भी राजनीतिक दल या उसके नेताओं को इस मुद्दे की कोई चिंता नहीं है। ऐसे में उन्होंने इस मुद्दे पर अभी से काम करने का आह्वान करते हुए पहाड़ के राजनीतिक दलों के नेताओं और बुद्धिजीवियों से पुनर्सीमांकन के मुद्दे पर जनसंख्या के आधार पर दस्तावेज तैयार करने का भी सुझाव दिया। उनके अनुसार, अगर हम अभी से इस दिशा में काम नहीं करेंगे तो कल हमारे पास बहुत कम समय होगा और जल्दबाजी में किया गया काम फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा।
तमांग ने कहा, वर्तमान में चुनाव खत्म हो गया है और अब पुनर्सीमांकन का मुद्दा हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है। पुनर्सीमांकन से पहले पहाड़, तराई एवं डुआर्स में पुरुष-महिला, युवक-युवतियों की संख्या के साथ धर्म, जाति एवं अन्य सूचनाएं संग्रह करने से इसके कई फायदे होंगे। उन्होंने कहा कि इससे पहले हमने मालबाजार, मेटेली और जोरबंगला क्षेत्रों को खो दिया है, जिन्हें वापस लेने की आवश्यकता है। साथ ही उन्होंने जनसंख्या में वृद्धि के आधार पर मिरिक और अन्य क्षेत्रों को मिलाकर एक विधानसभा क्षेत्र बनाने के साथ ही कालिम्पोंग विधानसभा को बांट कर दो विधानसभा क्षेत्र बनाने की भी वकालत की। उन्होंने कहा कि पुनर्सीमांकन प्रक्रिया में दार्जिलिंग पहाड़ और तराई सिलीगुड़ी को मिला कर अलग लोकसभा क्षेत्र में बनाया जाना चाहिए।
इसी तरह, डुआर्स के निवासियों को भी अपने क्षेत्रों में विधानसभा और लोकसभा सीटें बढ़ाने की दिशा में काम करना चाहिए। उनके अनुसार, यदि हम अपने विधानसभा और लोकसभा केंद्रों की संख्या बढ़ाएंगे तभी हम आसानी से अपने लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं। जीटीए सभासद ने सुझाव दिया कि परिसीमन को लेकर हमारी सोच और विचारधारा एक होनी चाहिए। वहीं, राष्ट्रीय जनगणना को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जनगणना 2021 में होनी थी जो कोरोना संक्रमण के कारण नहीं हो सकी। लेकिन अब पुनर्सीमांकन के समय भी हमें जनगणना कराए जाने की उम्मीद है। ऐसे में उन्होंने पहाड़, तराई एवं डुआर्स के गोर्खाओं से गलती नहीं करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, हमने पहले भी परिसीमन की कार्रवाई में गलती की है। हम पिछले कई सालों से कहते आ रहे हैं कि गोरखाओं की संख्या 15 करोड़ है, लेकिन गोरखाओं की संख्या न तो बढ़ी है और न ही घटी है। इसका कारण यह है कि जनगणना के समय हम अपनी जानकारी दर्ज करवाने में गलतियां करते हैं। इस दौरान, कुछ स्वयं को नेपाली बताते हैं, तो कुछ अपनी भाषा नेपाली लिखते हैं और स्वयं को गोरखा बताते हैं। अब हमें इस बार ऐसी गलती नहीं करनी है।
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