दार्जिलिंग, 14 सितम्बर । अगर भारतीय जनता पार्टी अगले संसदीय सत्र में गोरखाओं को न्याय नहीं देती है, तो हम सोचने पर मजबूर हो जाएंगे। यह बात केएमसीपी के संस्थापक अध्यक्ष और पूर्व सांसद आरवी राई ने कही।
श्री राई ने शहर के तमांग गुंबा रोड स्थित क्रमाकपा केंद्रीय कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि अगामी ने 18 सितंबर से विशेष संसदीय सत्र बुलाया गया है, जिसके बाद शीतकालीन सत्र का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने दोहराया कि केंद्र की भाजपा सरकार को इन दो संसदीय सत्रों में गोरखाओं को न्याय देना होगा।
राई ने आगे कहा कि दार्जिलिंग ने बीजेपी पर विश्वास करते हुए यहां से उसे तीन सांसद दिए हैं। पहले बीजेपी के शीर्ष नेता कहते थे कि हमारे पास सदन में पूर्ण बहुमत नहीं है, लेकिन अब बीजेपी के पास पूर्ण बहुमत है। इसलिए अब बहाने बनाने की कोई जगह नहीं है।
श्री राई ने कहा कि नरेंद्र मोदी न सिर्फ देश के प्रधानमंत्री हैं, बल्कि दिल्ली में जी20 कार्यक्रम के बाद वह विश्व के नेता बन गए हैं। उसी तरह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर के गहरे जख्मों को एक झटके में भर दिया है। इसी तरह, राजनाथ सिंह ने देश की सीमा सुरक्षा को मजबूत किया है। राई ने कहा कि इतने महान और कुशल नेता गोरखाओं की समस्या को चुटकियों में हल कर सकते हैं, लेकिन बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व में गोरखाओं के प्रति कोई ईमानदारी नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि हम समझते हैं कि भारतीय जनता पार्टी छोटे राज्यों के गठन की पक्षधर है। झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड राज्यों का गठन भाजपा के शासनकाल में ही हुआ था। गोरखा लंबे समय से अलग गोरखालैंड की मांग कर रहे हैं। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जैसे शीर्ष नेताओं से मिल चुके हैं और उनके समक्ष हमारी मांगों को रखा है।
श्री राई ने कहा क गोरखाओं की मांग जायज है। उन्होंने यह भी कहा कि हम गोरखालैंड की मांग का समर्थन जरूर करेंगे। भाजपा को अब तक हमने तीन सांसद दिए हैं। लेकिन अगर आगामी संसद सत्रों में भी भाजपा को न्याय नहीं मिला तो हम सोचने के लिए मजबूर हो जाएंगे। एक सवाल के जवाब में श्री राई ने कहा, हम केंद्र की बीजेपी सरकार पर दबाव बनाने के लिए दिल्ली नहीं जाएंगे। हमने तीन संसद देकर अपना काम किया है।
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