दार्जिलिंग : गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के संस्थापक अध्यक्ष बिमल गुरुंग (Bimal Gurung) ने कहा है कि वह राजनीति से संन्यास तो लेंगे, लेकिन तराई और डुआर्स क्षेत्रों के एकीकरण के बाद ही, अन्यथा नहीं। उन्होंने कहा, तराई और डुआर्स क्षेत्रों के एकीकरण के बाद ही मैं राजनीतिक से संन्यास लूंगा।
केंद्र सरकार द्वारा पूर्व आईपीएस अधिकारी पंकज कुमार सिंह को वार्ताकार नियुक्त करने की खबर हाल ही में सार्वजनिक होने के बाद दार्जिलिंग में राजनीतिक माहौल गरमा गया है। इस संदर्भ में, जीजेएम प्रमुख गुरुंग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का आभार व्यक्त किया।
उन्होंने बताया कि कुछ महीने पहले दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह के साथ उनकी 35 मिनट की बैठक हुई थी और उस बैठक में गृह मंत्री यह बताना चाहते थे कि बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद के रूप में प्रस्ताव खुला है। उन्होंने कहा कि लोगों को पहले ही सूचित कर दिया गया था कि केंद्र सरकार एक वार्ताकार नियुक्त करेगी।
गुरुंग ने कहा, वार्ताकार गोरखा समुदाय के 11-जाति सम्मेलन, एक स्थायी राजनीतिक समाधान और तराई व डुआर्स क्षेत्र सहित कई मुद्दों पर काम करेंगे। उन्होंने कहा कि वह आगामी योजना के लिए विभिन्न दलों के साथ बैठकें करने की तैयारी कर रहे हैं।
उन्होंने सभी राजनीतिक दलों और संगठनों से पहाड़ियों, तराई और डुआर्स के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया। गुरुंग ने कहा, हमारा मुख्य मुद्दा गोरखालैंड की मांग है और इसी संदर्भ में वार्ताकार नियुक्त किया गया है। हम तराई और डुआर्स क्षेत्र को शामिल करने और सभी जातीय समूहों को शामिल करने के लिए एक कार्ययोजना तैयार कर रहे हैं।
गुरुंग ने बताया कि भारत सरकार ने 25 दिसंबर 2025 तक का अल्टीमेटम दिया था और उसी को ध्यान में रखते हुए वार्ताकार नियुक्त किया गया है। तराई और डुआर्स क्षेत्र को शामिल करने के मुद्दे पर सरकार द्वारा पूर्व में गठित श्यामल सेन समिति ने केवल पांच मौजों को शामिल करने की सिफ़ारिश की थी, जिसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया है। गुरुंग ने कहा कि तराई और डुआर्स के लोग, जो 1986 से बलिदान और संघर्ष कर रहे हैं, उनके बलिदान को नहीं भुलाया जाना चाहिए।
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