दार्जिलिंग : दार्जिलिंग तराई डुआर्स चिया कमान वर्कर्स यूनियन (डीटीडीसीएमयू) ने मांग उठाई है कि 25 जून को सरकारी अवकाश घोषित किया जाए। गौरतलब है कि श्रमिक अधिकारों की मांग को लेकर आंदोलन पर उतरे 6 चाय श्रमिकों को बंगाल पुलिस ने मार्गरेट होप टी एस्टेट के कंट्रोल हिल पर अंधाधुंध फायरिंग कर मार डाला था। यह घटना 25 जून 1955 को हुई थी। उस दिन 6 बेसहारा चाय श्रमिक शहीद हुए थे। उन शहीदों की याद में बनाए गए शहीद वेदी का निरीक्षण करने के लिए क्रामाकपा के केंद्रीय महासचिव नोर्बू लामा, डीटीडीसीएमयू के केंद्रीय महासचिव सुनील राई व अन्य नेता आज कंट्रोल हिल पहुंचे। 25 जून के कार्यक्रम से पहले जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पड़े शहीद वेदी की मरम्मत करने का निर्णय लिया गया है। यह जानकारी डीटीडीसीएमयू के महासचिव सुनील राई ने दी।
यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि 1955 से पहले चाय बागानों में अभी भी ब्रिटिशकालीन कानून लागू थे। उस समय कारखाने के बाहर जैसी क्रूर हरकतें बलपूर्वक की जाती थीं। चाय श्रमिकों को बंधुआ मजदूरों की तरह दिनदहाड़े प्रताड़ित किया जाता था। उन पर खुलेआम अन्याय और अत्याचार किया जाता था। भले ही भारत स्वतंत्र हो गया था, लेकिन श्रमिकों को अभी भी अधीनता के माहौल का सामना करना पड़ रहा था, जिसके खिलाफ चाय श्रमिकों ने एकजुट होकर आवाज उठाई थी। चाय श्रमिकों के आंदोलन की आवाज पहाड़ियों से लेकर कलकत्ता तक गूंजी। इसके बाद पुलिस सक्रिय हो गई। 25 जून 1955 को मार्गरेट होप टी एस्टेट में इस मांग और अन्याय और उत्पीड़न के खिलाफ एक शांतिपूर्ण रैली निकाली गई। जब बंगाल पुलिस ने रैली पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं, तो 48 वर्षीय जीतमन तमांग, 25 वर्षीय पद्मलाल कामी, 22 वर्षीय मौलिशोवा रैनी, 18 वर्षीय अमृतमय कामिनी, 17 वर्षीय कांचा सुनुवार और 14 वर्षीय काले सुब्बा की मौत हो गई।
मार्गरेट होप चाय बागान में श्रमिकों की शांतिपूर्ण रैली पर पुलिस द्वारा गोलीबारी की घटना, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई, के कारण दार्जिलिंग पहाड़ियों में अशांति फैल गई। तब सरकार ने श्रमिक संगठनों के साथ बैठक की और हट्टाबाई तथा कुछ अन्य अन्यायपूर्ण प्रथाओं को रोक दिया। इसके साथ ही श्रमिकों को मातृत्व भत्ता, पूजा बोनस, स्वास्थ्य सुविधाएं, राशन आदि कई सुविधाएं मिलीं, जिनका लाभ आज भी चाय श्रमिक उठा रहे हैं। डीटीडीसीएमयू के महासचिव सुनील राई ने कहा, मार्गरेट होप चाय बागान का कंट्रोल हिल चाय श्रमिकों के लिए किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं है। सुनील राई ने कहा कि 25 जून को क्रामाकपा तथा डीटीडीसीएमयू उन वीर शहीदों की याद में ‘शहीद दिवस’ मनाएगा। उन्होंने मांग उठाई कि ‘सरकार 25 जून 1955 के मजदूर आंदोलन की सराहना करते हुए 25 जून को सरकारी अवकाश घोषित करे।’ उनके अनुसार 25 जून को सरकारी अवकाश घोषित करने की मांग पहले भी उठती रही है, लेकिन इस बार क्रामकापा का मजदूर संगठन डीटीडीसीएमयू संबंधित विभाग और सरकार को पत्र लिखकर मांग उठाएगा।
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