दार्जिलिंग, 26 फरवरी । अपने संगठनात्मक विस्तार में तेजी लाते हुए गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा (गोरामुमो) विभिन्न समष्टियों में लगातार बैठकें आयोजित कर रहा है। इसी कड़ी में आज सुकिया मानेभंजयांग समष्टि में बैठक आयोजित की गई।
सुकिया सीमाना रोड स्थित सार्वजनिक भवन में समष्टि अध्यक्ष अशोक बराईली की अध्यक्षता में आयोजित संगठनात्मक बैठक का संचालन सूरज छेत्री ने किया। इसमें विधायक व गोरामुमो केंद्रीय समिति महासचिव नीरज जिम्बा की प्रमुख उपस्थिति में दार्जिलिंग ब्रांच कमिटी अध्यक्ष एमजी सुब्बा, केंद्रीय महासचिव एनबी छेत्री, ऋषि थापा, केंद्रीय समिति प्रवक्ता वाई लामा, केंद्रीय समिति के कार्यालय सचिव अमर तामंग, दार्जिलिंग सदर-2 समष्टि अध्यक्ष पूरण राई, ब्रांच कमिटी सदस्य हेम शरण प्रधान, समष्टि उपाध्यक्ष हेम राज राई के साथ पार्टी के भ्रातृ संगठन एवं अन्य प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
गोरामुमो मीडिया सेल प्रभारी दिनेश सांपांग ने जानकारी देते हुए बताया कि बैठक में सुके बाजार से भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा और हाम्रो पार्टी के 15 परिवारों ने गोरामुमो का दामन थाम लिया।
वहीं इस दौरान वक्ताओं ने वर्तमान पहाड़ी राजनीति और दिल्ली में हुई वार्ता के बारे में जानकारी देते हुए ऋषि थापा ने कांग्रेस पर गोरखाओं का भाग्य बर्बाद करने का आरोप लगाते हुए कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने ही छठी अनुसूची पर बातचीत की और उसके बाद हमारी किस्मत को बर्बाद करने की साजिश रची। उन्होंने कहा, कांग्रेस सरकार के समय ही छठी अनुसूची समझौते की अनदेखी कर 2012 में जीटीए पर हस्ताक्षर किए गए थे। अगर उस समय की सरकार में इच्छा शक्ति होती तो छठी अनुसूची लागू कर दी गयी होती और आज हम इस स्थिति में नहीं होते।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए विधायक नीरज जिम्बा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अब गोरखा के सपने को साकार करना होगा। उन्होंने जम्मू-कश्मीर को न्याय दिलाया, जिसे देश से अलग करने की कोशिश की जा रही थी। ऐसे में अब हम देशभक्त भारतीय गोरखाओं को न्याय मिलना चाहिए, जिन्होंने देश के लिए बहुत योगदान दिया है। उन्होंने कहा, अच्छी चीजों में समय लगता है और जो होगा, सब अच्छा ही होगा। हम एनडीए के घटक दल हैं और सरकार बनाने में हमारी भी भागीदारी होगी। ऐस में हमें न्याय भी मिलना चाहिए।
जिम्बा ने आगे कहा कि छठी अनुसूची को बिना समझे विरोध करना तो ठीक है, लेकिन समझकर भी इसका विरोध करने का मतलब है कि आप में राजनीतिक चेतना नहीं है। छठी अनुसूची भूमि सुरक्षा के लिए है। आज देश का सबसे अमीर राज्य छठी अनुसूची का दर्जा मांग रहा है। केंद्र शासित प्रदेश भी अपनी भूमि और संस्कृति की रक्षा हेतु छठी अनुसूची की मांग कर रहे हैं, लेकिन हमारे लोगों ने उन्हें मिली इस सुविधा को लात मार दी। उन्होंने कहा, गोरामुमो गोरखा जाति के लक्ष्य के लिए जन्मी पार्टी है जिसके झंडे पर तीन सितारे हैं। यही हमारा लक्ष्य है। सुबास घीसिंग किसी पार्टी के नहीं बल्कि समूची गोरखा जाति के नेता थे। उनके निर्देशन में गोरखालैंड आंदोलन हुआ था और 22 अगस्त 1988 के ऐतिहासिक दिन को दार्जिलिंग गोरखा पर्वतीय परिषद समझौते पर हस्ताक्षर हुए। उसके बाद 6 दिसंबर 2005 को छठी अनुसूची समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। छठी अनुसूची हमारे क्षेत्र की सुरक्षा के लिए है। सुबास घीसिंग की दूरदर्शिता से गोरखाओं को न्याय मिला।
विधायक नीरज जिम्बा ने अपने भाषण के दौरान यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को अपने उत्तर बंगाल दौरे के समय गोरखाओं के लिए घोषणा करनी चाहिए।
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