विनय तमांग ने असम सरकार के प्रति जताया आभार

दार्जिलिंग : पहाड़ी नेता, पूर्व जीटीए प्रमुख और वर्तमान सांसद विनय तमांग ने गोरखाओं के मामले में लिये गये फैसले के लिए असम सरकार और बीटीआर सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया है।

उन्होंने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि अब ऊपरी असम में बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (बीटीआर) दार्जिलिंग हिल्स में गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन के समान शासन के अधीन है। इसके अलावा स्वर्गीय सुबास घीसिंग के नेतृत्व में गोरखालैंड आंदोलन से प्रभावित होकर, असम में एक अलग बोडोलैंड राज्य के लिए आंदोलन 1987 में शुरू किया गया था, 1986 में 28 महीने के गोरखालैंड आंदोलन के बाद यहां दार्जिलिंग हिल काउंसिल और संशोधित दार्जिलिंग गोरखा हिल काउंसिल अस्तित्व में आई और इसी तरह 1987 में बोडोलैंड आंदोलन शुरू होने के बाद 1993 में दोनों के बीच एक समझौते के बाद बोडोलैंड स्वायत्त परिषद का गठन किया गया। भारत सरकार, असम सरकार और ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (एबीएसयू) अस्तित्व में आए और 10 फरवरी, 2003 को समझौता ज्ञापन के अनुसार, बोडोलैंड क्षेत्रीय क्षेत्र (बीटीआर) का गठन किया गया था और यह प्रक्रिया दार्जिलिंग गोरखा हिल काउंसिल से गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन के समान थी।

विनय तमांग ने एक बयान में दावा किया, ‘बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (बीटीआर) गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) से अधिक सक्षम है। इसका ज्वलंत उदाहरण 3 जनवरी 2025 को बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल द्वारा जारी अधिसूचना से स्पष्ट है कि गोरखा जाति प्रमाण पत्र से उसके अधिकार क्षेत्र में रहने वाले गोरखा जाति को उनकी भूमि के स्वामित्व की मान्यता मिल जायेगी।

विनय तमांग ने आगे कहा है, मैं बीटीआर द्वारा दिए गए ऐतिहासिक और साहसिक निर्णय और पहल के लिए असम के माननीय मुख्यमंत्री, बीटीआर के प्रमुख डॉ प्रमोद बोरो और उनके माननीय परिषद प्रतिनिधियों के प्रति अपना आभार व्यक्त करना चाहता हूं। इसके लिए मैं असम सरकार का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

विनय तमांग ने पूछा कि यदि बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र भूमि स्वामित्व के लिए इतना महत्वपूर्ण निर्णय ले सकता है और असम सरकार इसे मंजूरी दे सकती है, तो गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन और पश्चिम बंगाल राज्य सरकार ऐसा निर्णय क्यों नहीं ले सकती? पर्चापट्टा और पांच डिसमिल के विवादित सरकारी अधिसूचना के अनुसार सर्वेक्षण करने से पहले पश्चिम बंगाल सरकार और गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन को बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र की तरह एक अधिसूचना जारी करनी चाहिए।

जिस प्रकार बीटीआर और असम सरकार ने भूमि स्वामित्व के लिए गोरखा जाति प्रमाण पत्र को मान्यता दी, उसी प्रकार पश्चिम बंगाल राज्य में गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन और पश्चिम बंगाल सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर गोरखा जाति प्रमाण पत्र को आधार मानना चाहिए और पांच डिसमिल सर्वे को स्‍थगित कर देना चाहिए।

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