दार्जिलिंग : इंडियन गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा (आईजीपीएम) के केंद्रीय प्रवक्ता केशवराज पोखरेल ने केंद्र की भाजपा सरकार पर आगामी बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले गोरखा लोगों को फिर से धोखा देने की साजिश रचने का आरोप लगाया है।
पोखरेल ने पूर्व आईपीएस अधिकारी पंकज कुमार सिंह को वार्ताकार नियुक्त करने के भारत सरकार के फैसले को चुनाव-केंद्रित राजनीतिक कदम बताया। उनके अनुसार, 2021 के चुनाव में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दार्जिलिंग में आयोजित एक बैठक में पहाड़ी, तराई और डुआर्स के लोगों की मांगों को स्थायी समाधान के साथ पूरा करने की प्रतिबद्धता जताई थी, लेकिन यह आश्चर्यजनक है कि पांच साल बाद भी यही बात दोहराई जा रही है।
प्रवक्ता पोखरेल ने पूछा, 2009 से भाजपा को चार सांसद और वर्तमान में एक राज्यसभा सांसद देकर गोरखा लोगों को क्या मिला? अगर भाजपा सचमुच गोरखा समुदाय के प्रति चिंतित है, तो उसने दार्जिलिंग के विधायक और पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला को वार्ताकार क्यों नहीं नियुक्त किया?’ उन्होंने आरोप लगाया कि यह नियुक्ति 2026 के चुनावी जुमलेबाज़ी का एक नया आयाम मात्र है।
उन्होंने आगे कहा, अगर वार्ताकार वाकई ज़रूरी था, तो संसदीय क्षेत्र के सांसद राजू बिष्ट, विधायक मनोज तिग्गा और राज्यसभा सांसद श्रृंगला इस्तीफ़ा देकर ज़िम्मेदारी क्यों नहीं लेते? क्या वे यहां की समस्याओं को केंद्र सरकार तक नहीं पहुंचा सकते थे?’
पोखरेल ने केंद्र सरकार को चुनौती देते हुए कहा, अगर वे सचमुच गोरखा समुदाय के प्रति ईमानदार हैं, तो 11 गोरखा जातीय समूहों को अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल करके दिखाएं। उन्होंने याद दिलाया कि हालांकि केंद्र सरकार ने इसके लिए तीन आयोग गठित किए हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस परिणाम नहीं मिले हैं।
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