दार्जिलिंग : ‘माटो बचाओ मंच’ के केंद्रीय उपाध्यक्ष प्रियवर्द्धन राई ने स्पष्ट कहा है कि पश्चिम बंगाल के अंतर्गत कोई भी व्यवस्था गोरखा समुदाय की दीर्घकालीन समस्याओं का समाधान नहीं कर सकती। उन्होंने हाल ही में गठित संगठन माटो बचाओ मंच का प्रमुख उद्देश्य स्पष्ट करते हुए कहा कि इसका मूल लक्ष्य अलग राज्य गोरखालैंड की स्थापना है।
राई ने कहा कि 1986 में सुभाष घीसिंग के नेतृत्व में शुरू हुए गोरखलैंड आंदोलन के परिणामस्वरूप 1988 में दार्जिलिंग गोरखा पर्वतीय परिषद का गठन हुआ, लेकिन यह पश्चिम बंगाल राज्य के अंतर्गत होने के कारण गोरखाओं की मूल समस्याएं जस की तस बनी रहीं। इसी प्रकार, 2007 में बिमल गुरुग के नेतृत्व में चले आंदोलन से 2011 में गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) बना, परंतु वह भी राज्य के अधीन एक निकाय होने के कारण विफल साबित हुआ। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि राज्य के भीतर की व्यवस्थाएं पहाड़, तराई, डुआर्स और गोरखा समुदाय की दीर्घकालीन समस्याओं का कभी हल नहीं कर सकतीं।
राई ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि हमने 2009 से भाजपा को समर्थन देकर सांसद भेजे, लेकिन हर चुनाव में न्याय का वादा करने के बावजूद, आज तक गोरखा समुदाय को वह न्याय नहीं मिला, यह अत्यंत दुखद है। राई ने बताया कि केंद्र सरकार ने अब तक केवल दो बार ही वार्ता के लिए बुलाया, पहली बार 12 अक्टूबर 2021 को और दूसरी बार हाल ही में 3 अप्रैल 2025 को। लेकिन, इन वार्ताओं से कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकला, जिसे लेकर उन्होंने गहरी निराशा व्यक्त की। उन्होंने यह भी पूछा कि भाजपा के संकल्प पत्र में जो स्थायी राजनीतिक समाधान का वादा किया गया था, वह आखिर है क्या? आज तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (बीटीआर) मॉडल या संविधान की छठी अनुसूची जैसे प्रस्ताव भी राज्य के ही ढांचे के अंतर्गत आते हैं, इसलिए ये गोरखाओं की जटिल समस्याओं का समाधान नहीं कर सकते। राई ने आरोप लगाया कि पहाड़ी क्षेत्र के राजनीतिक दलों ने गोरखालैंड की मांग को केवल एक राजनीतिक औजार बना रखा है। 27 जुलाई को गोरखालैंड आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने कहा कि इन दलों ने कभी अलग राज्य के लिए कोई ठोस कार्ययोजना नहीं बनाई। अंत में राई ने कहा कि जल्द ही दार्जिलिंग की राजनीति में एक बड़ा तूफान लाने की तैयारी कर रहा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी प्रकार का समझौतावादी समाधान गोरखा समुदाय के लिए व्यावहारिक नहीं होगा।
#anugamini #darjeeling
No Comments: