कार्सियांग : गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) के प्रमुख कार्यपाल अनित थापा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर उनसे पश्चिम बंगाल लोक सेवा आयोग (डब्ल्यूबीपीएससी) की परीक्षा में नेपाली भाषा को वैकल्पिक विषय के रूप में शामिल करने का आग्रह किया है।
पत्र में थापा ने कहा है कि यह मांग दार्जिलिंग हिल्स, तराई और डुआर्स क्षेत्रों में नेपाली भाषी समुदाय की ओर से की गई है। उन्होंने संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध नेपाली भाषा के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए इसे डब्ल्यूबीपीएससी परीक्षा में शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। पत्र के मुख्य बिंदुओं में नेपाली साहित्य को पश्चिम बंगाल सिविल सेवा (कार्यकारी) और डब्ल्यूबीपीएससी द्वारा आयोजित अन्य परीक्षाओं में वैकल्पिक विषय के रूप में शामिल करने को कहा गया है।
बताया गया है कि यद्यपि नेपाली भाषी छात्र उच्च शिक्षा में नेपाली विषय लेते हैं, लेकिन डब्ल्यूबीपीएससी में इसकी अनुपस्थिति ने उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।जबकि, डब्ल्यूबीपीएससी पाठ्यक्रम में फ्रेंच, अरबी, पाली, फारसी जैसी भाषाएं शामिल हैं, लेकिन नेपाली साहित्य को छोड़ दिया गया है, जिससे भाषाई समावेशिता के सिद्धांत को पूरा नहीं किया जा रहा है। उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा नेपाली साहित्य को वैकल्पिक विषय के रूप में मान्यता दिए जाने का उदाहरण भी दिया है।
थापा ने कहा है कि इस कदम से नेपाली भाषी युवाओं को राज्य प्रशासन में समान अवसर मिलेंगे और उनकी भाषाई पहचान मजबूत होगी। उनके शब्दों में, डब्ल्यूबीपीएससी पाठ्यक्रम में नेपाली साहित्य को शामिल करने से दार्जिलिंग, तराई और डुआर्स के नेपाली समुदाय को भाषिक अधिकार और प्रतिनिधियों को शक्ति मिलेगा। इसके पहले भी विविध नेपाली सामाजिक संस्था और राजनैतिक पार्टियों ने डब्लूबीपीएससी में नेपाली साहित्य समावेश करने की मांग करते आए हैं। जीटीए प्रमुख के इस पत्राचार से इस मुद्दे को फिर से राज्य सरकार के ध्यान में लाया है। अब मुख्यमंत्री बनर्जी इस मांग को लेकर क्या प्रतिक्रिया देंगी,यह नेपाली समुदाय के लिए उत्सुकता का विषय बना दिखता है।
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