दार्जिलिंग, 07 सितम्बर । पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जीटीए के माध्यम से पहाड़ पर 5 डिसमिल जमीन दिए जाने के विरोध में हिल तराई डुआर्स के चाय बगानों के श्रमिक संगठन मुखर है। इसी कड़ी में आज इन श्रमिक संगठनों के ज्वॉयंट फोरम की ओर से आज ओकैटी चाय बगान में एक बैठक आयोजित की गई। इसका उद्देश्य इस मुद्दे को लेकर चाय बगान श्रमिकों को जागरूक करना था।
स्थानीय सार्वजनिक भवन में आयोजित इस बैठक में संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष डीके गुरुंग ने कहा कि विकास का दावा करने वाले ही अब पहाड़ का विनाश कर रहे हैं। सरकार के साथ मिलकर विकास की बात करने वाले ही अब पहाड़ को उजाडऩे का काम कर रहे हैं। उनके अनुसार, राज्य सरकार द्वारा चाय श्रमिकों के लिए पांच डिसमिल जमीन का पट्टा वितरण कर अधिसूचना जारी करने के बाद ज्वाइंट फोरम ने गहन विचार-विमर्श के बाद इसका विरोध किया है।
गुरुंग ने कहा कि पहाड़ में कई राजनीतिक पार्टियां हैं, जिनके अपने-अपने मुद्दे हैं। ऐसे में हम सभी चाय बगान श्रमिकों के हितों एवं अधिकारों के लिए एकजुट हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि चाय श्रमिकों के पक्ष में ज्वाइंट फोरम लगातार मालिक पक्ष और सरकार पर दबाव बना रहा है। लेकिन इस बार हमें लगता है कि चाय बगान श्रमिकों पर पांच डिसमिल पट्टा थोप कर बड़ी साजिश की जा रही है। बहरहाल, इस साजिश के विरोध में न सिर्फ ज्वॉयंट फोरम, बल्कि विभिन्न यूनियनें भी आगे आयी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हमने पट्टे का नहीं, बल्कि राज्य सरकार की पांच डिसमिल पट्टा योजना का विरोध किया है। हमें हमारे पूर्वजों द्वारा अर्जित सभी जमीनों का पट्टा चाहिए।
गुरुंग ने आगे कहा, पांच डिसमिल पट्टा का विरोध ज्वॉयंट फोरम से शुरू हुआ था और अब हर तरफ इसका विरोध हो रहा है। सब समझते हैं कि इसमें सरकार की साजिश छिपी है। वे हमें भूमिहीन बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हम भूमिहीन नहीं हैं। हमें अपनी भूमि के टुकड़े चाहिए। राज्य सरकार द्वारा जारी पट्टा किरायेदार के रूप में दिया जाता है जिसे न तो हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है और न ही बैंक में जमा रखा जा सकता है। उन्होंने कहा, जब तक हम बगान में काम कर रहे हैं, तब तक सुरक्षित हैं। बगान से सेवानिवृत्त होने के बाद हमें खदेड़ा भी जा सकता है। इसीलिए हमने इसका विरोध किया है।
वहीं, श्रमिक नेता ने पहाड़ी की कुव्यवस्था का जिक्र करते हुए कहा कि वर्तमान में पहाड़ के सभी शैक्षणिक, सामाजिक आदि क्षेत्रों की स्थिति शोचनीय स्तर पर पहुंच गयी है। 2016 तक पहाड़ में चाय बगान श्रमिकों को एकमुश्त 20 प्रतिशत पूजा बोनस मिलता था, लेकिन मौजूदा लोगों के सत्ता में आने के बाद से बगान श्रमिकों को दो किश्तों में पूजा बोनस मिलना शुरू हो गया। इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है।
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