मुंगेर । हमारी संस्कृति ही ज्ञान की संस्कृति रही है। ऐसे में जब ज्ञान की परंपरा पुनर्जीवित होगी तभी भारत विकसित होगा। मानव जीवन का उद्देश्य ही ज्ञान की प्राप्ति है। यह बातें राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शनिवार को श्रीकृष्ण सेवा सदन पुस्तकालय के सभागार में आयोजित स्वागत समारोह को संबोधित करते हुए कही।
कार्यक्रम का आयोजन श्रीकृष्ण सिंह सेवा सदन पुस्तकालय ट्रस्ट की ओर से किया गया था। इसकी अध्यक्षता ट्रस्ट के अध्यक्ष सह इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सहजानंद प्रसाद सिंह ने की। अपने संबोधन में राज्यपाल ने भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपरा को आत्मसात करने पर बल देते हुए कहा कि आज जो किताब पढ़ेगा, कल वही देश का नेतृत्व करेगा। उन्होंने कहा कि बचपन से ही उन्हें किताबों से लगाव था। उन्हें अपनी दिनचर्या में किताबें पढ़ने पर दंडित भी किया जाता था। जब और जहां समय मिलता था, वे किताब पढ़ने का अवसर ढूंढ लेते थे। आज इस कार्यक्रम में श्रीकृष्ण सिंह के सम्मान और पुस्तकालय के वजह से आए हैं। यहां आकर स्वयं को गौरव से अभिभूत पा रहा हूं।
गैलियो और उसके मित्र का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग किताबें नहीं पढ़ते उन्हें सार्वजनिक जीवन में आने का कोई अधिकार नहीं है। जीवन का उद्देश्य ज्ञान की प्राप्ति है। ज्ञान ही यह शिक्षा देता है कि अपने सुख के लिए किसी को दुख दिया तो वह लौटकर फिर खुद के पास आएगा। ज्ञान का उद्देश्य विविधता को स्वीकार करने, सम्मान करने का विवेक देता है। जो कोई विविधता में छिपी एकता और अद्वैत को नहीं देखता, वह मृत्यु से मृत्यु तक की यात्रा करता है। उसे कभी मोक्ष प्राप्त नहीं होता है। हमारी संस्कृति यह बताती है कि यह संसार विष वृक्ष है, लेकिन इसमें दो अमृत के समान फल मिलते हैं। पहला पुस्तकें और दूसरा सत्संग। भारतीय संस्कृति इन्हीं से निर्मित हुई है।
अंत में उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण सिंह सेवा सदन पुस्तकालय के लिए अनुदान प्राप्त करने के लिए वे स्वयंसेवक की तरह काम करेंगे। ट्रस्ट के सदस्य परवेज अहमद ने राज्यपाल को फिलासफर किंग बताया। इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत राज्यपाल सहित अन्य अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर तथा राष्ट्रगान से किया। स्वागत भाषण डॉ. सहजानंद प्रसाद सिंह ने दिया और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. प्रभात कुमार ने किया। मौके पर राज्यपाल के सचिव रॉबर्ट एल. चोंग्थू, एमयू के कुलसचिव कर्नल विजय कुमार ठाकुर, पद्मश्री विमल जैन सहित आरडी एंड डीजे कालेज के सभी शिक्षक सहित शहर के कई बुद्धिजीवी मौजूद रहे।
बिहार केशरी डॉ. श्रीकृष्ण सिंह की आत्मा का केंद्र बिंदू श्रीकृष्ण सेवा सदन पुस्तकालय का शिलान्यास 21 अक्तूबर 1947 को तत्कालीन राज्यपाल जयराम दास दौलत राम ने तथा उद्घाटन प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने किया था। इस पुस्तकालय को प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. कृष्ण सिंह ने अपनी 18 हजार 111 पुस्तकें तथा 105 आलमीरा दान स्वरूप दान दिया था। वे स्वयं इस पुस्तकालय में अध्ययन करते थे। यह बिहार की एक धरोहर है। यहां प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, राज्यपाल जाकिर हुसैन सहित कई बड़े राजनेता, राजदूत आदि आ चुके हैं तथा पुस्तकालय के बारे में उनके विचार एक पंजी पर अंकित हैं। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भी इस पंजी में अपनी विचारों को अंकित किया है। यहां कई दुर्भल पांडुलिपियां तथा श्रीकृष्ण सिंह के जीवन से जुड़ी वस्तुएं संरक्षित हैं।
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