sidebar advertisement

चीनी वायरस से चिन्ता में डूबी दुनिया

लेखक- ललित गर्ग

मानव इतिहास की सबसे बड़ी एवं भयावह महामारी कोरोना को झेल चुकी दुनिया पर एक और नये चीनी वायरस ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के संक्रमण की खबर ने दुनियाभर को चिंता में डूबो दिया है, बाजार से लेकर सामान्य जन-जीवन तक में डर, खौफ, अफरा-तफरी एवं असमंजस्य का माहौल व्याप्त है। कोविड-19 और अन्य श्वसन वायरस की तरह एचएमपीवी भी खांसने, छींकने और संक्रमित लोगों के निकट संपर्क से उत्पन्न बूंदों या एरोसोल के माध्यम से फैलता है। बुखार, सांस फूलना, नाक बंद होना, खांसी, गले में खराश और सिरदर्द इसके सामान्य लक्षण हैं। लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि कुछ मरीजों को इस संक्रमण के कारण ब्रोंकाइटिस और निमोनिया हो सकता है। एचएमपीवी के खिलाफ कोई टीका या प्रभावी दवा नहीं है और इलाज ज्यादातर लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए होता है। चीन में सांस की बीमारियों के बढ़ते मामलों की खबरों के बाद, भारत सरकार ने सतर्कता बढ़ा दी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने डब्ल्यूएचओ से स्थिति पर लगातार अपडेट देने का अनुरोध किया है।

नये वर्ष में प्रवेश की शुभबेला में एकाएक इस महामारी की खबर से दुनिया भौचक्क एवं खौफ में आ गयी है। क्योंकि कोविड-19 महामारी के पांच साल बाद, चीन मौजूदा समय में नए वायरस एचएमपीवी से जूझ रहा है। इस वायरस ने चीन में हजारों लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। वहां हालात बेकाबू हो रहा हैं, अस्पतालों के बाहर मरीजों की भीड़ नजर आ रही है। हालांकि, हर बार की तरह चीन का कहना है कि मीडिया खबरों में कोई सच्चाई नहीं है। ये मौसम बदलने का असर है। ठंड बढ़ने से आमतौर पर लोग खांसी-जुकाम की समस्या से जूझते हैं। ये भी मौसम की वजह से ही हो रहा है। चीन के सरकारी ब्रॉडकास्टर सीसीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर के अंत में चीनी सीडीसी के आंकड़ों के मुताबिक 14 वर्ष और उससे कम आयु के मामलों में एचएमपीवी की पॉजिटिव दर में हाल ही में वृद्धि हुई है। एचएमपीवी वायरस से छोटे बच्चे, वृद्ध और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग ज्यादा प्रभावित हुए है। चीन के साथ ही दुनिया के अनेक हिस्सों से इस महामारी से पीड़ित लोगों की खबरें आ रही है। भारत में भी चीन का खतरनाक वायरस एचएमपीवी पहुंच गया है। खबरों की मानें तो बेंगलुरु में 8 महीने का एक बच्चा एचएमपीवी वायरस से संक्रमित पाया गया है। बच्चे का ब्लड टेस्ट किये जाने के बाद ये दावा किया जा रहा है। यह भारत में एचएमपीवी वायरस का पहला मामला है। हालांकि, भारत में एचएमपीवी वायरस के मामले की आधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं हुई।

चीन में सोशल मीडिया यूजर्स का कहना है कि इन्फ्लूएंजा ए, एचएमपीवी, माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया और कोविड सहित कई वायरस फैल रहे हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एचएमपीवी मामलों में वृद्धि के कारण अचानक मृत्यु दर में चिंताजनक वृद्धि हुई है तथा 40 से 80 वर्ष की आयु के लोग विशेष रूप से इससे प्रभावित हुए हैं। चीन की जिम्मेदार एजेंसियां इस वायरस के दुष्प्रभाव को घटाने में लगी हैं और यह उम्मीद की जा रही है कि चीन इस रोग पर लगाम लगाने में कामयाब हो जाएगा। चीन अपने यहां कोरोना वायरस पर भी लगाम लगाने में एक हद तक कामयाब रहा था। लेकिन वह दूसरे देशों में उसे फैलने से नहीं रोक पाया। लेकिन इस बार अब यह उम्मीद करनी चाहिए कि सजग चीन मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए अपने यहां से किसी भी संदिग्ध को किसी दूसरे देश की यात्रा न करने दें। साथ ही इस महामारी पर नियंत्रण पाने में जिस विधि एवं उपचार पद्धति से वह सफलता पाये, उसे समूची दुनिया से साझा करें, ताकि महामारी से महाविनाश का प्रकोप व्यापक न बन सके।

एचएमपीवी का संक्रमण व्यक्तिगत संपर्क से बढ़ रहा है। अगर किसी संक्रमित व्यक्ति के किसी सामान को कोई स्वस्थ व्यक्ति छुुए या उसके सम्पर्क में आये तो संक्रमण का खतरा बताया जा रहा है। यह वायरस चूंकि नया है, तो इसका अभी कोई टीका नहीं है। इसकी कोई एंटीवायरल दवा भी नहीं है। यह अच्छी बात है कि अधिकांश मामलों में लोगों को मामूली समस्याएं आ रही हैं। ज्यादातर लोग लक्षण के अनुरूप उपचार और आराम से ही ठीक होते जा रहे हैं। चीन ने साफ तौर पर कुछ बताया नहीं है, मगर अनुमान यही है कि गंभीर मामलों में लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए अस्पताल में भर्ती होने, ऑक्सीजन थेरेपी या कॉर्टिकोस्टेरॉइड उपचार की आवश्यकता पड़ सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की अगर मानें, तो इस वायरस का संक्रमण अक्तूबर महीने से ही बढ़ रहा है। अच्छा यही है कि यह बीमारी मौसमी साबित हो और कम से कम लोगों के जीवन पर असर डाले। कोरोना महामारी तो महाविनाश का कारण बनी थी, एचएमपीवी ऐसा अनर्थ ना करें।

चीन की साख कोरोना महामारी के कारण बहुत गिरी थी, दुनियाभर में लोगों के स्वास्थ्य पर हमला करने वाला चीन दुनिया की नजरों से गिर गया था। आखिर चीन अच्छी-अच्छी वस्तुओं, तकनीक एवं साजोसामान का निर्यात करते-करते महामारियों का निर्यातक क्यों बन गया? स्वास्थ्य एवं वैज्ञानिक क्रांति के लिये अग्रणी चीन अपने यहां आए दिन हो रहे ऐसे संक्रमण को लेकर सजग क्यों नहीं है? अब यह सवाल बिल्कुल जायज है कि वैज्ञानिक या कृत्रिम तरक्की की होड़ में कहीं चीन अपने लोगों के बुनियादी स्वास्थ्य की अनदेखी तो नहीं कर रहा है? कहीं चीनियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता समाप्त या बहुत कम तो नहीं हो गई है? वे बार-बार किसी-न-किसी प्रकार की महामारी की चपेट में आ रहे हैं और सम्पूर्ण मानव जाति को इससे पीड़ित बना रहे है तो यह गंभीर बात है। क्या इसका बड़ा कारण चीनी लोगों को खान-पान है? जरूरत से ज्यादा सुविधावादी जीवनशैली, कृत्रिम संसाधनों की प्रचुरता एवं अप्राकृतिक जीवन उनकी सेहत पर भारी पड़ रहा है।

ध्यान रहे कोरोना महामारी के समय विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका संतोषजनक नहीं थी। कोरोना महामारी की भयावहता के बावजूद वह चीन के प्रति उदार बना रहा। इसलिये एचएमपीवी महामारी के सन्दर्भ में सवाल उठ रहे हैं कि क्या डब्ल्यूएचओ गंभीरता दिखाते हुए पर्याप्त कदम उठायेगा? क्या उसने कोरोना महामारी के समय चीन से सही सवाल पूछे होते तो इस बीमारी के संभावित खतरे को नियंत्रित किया जा सकता था? क्या कोरोना बीमारी को लेकर विश्व को समय से सलाह न दे पाने में नाकाम रहने के लिए उसे जिम्मेदार माना जाना चाहिए? इस नयी महामारी को लेकर भी इन्हीं कारणों से डब्ल्यूएचओ पर ज्यादा विश्वास कैसे किया जा सकता है? भारत में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डॉ.अतुल गोयल ने शुक्रवार को कहा कि एचएमपीवी एक सामान्य सांस संबंधी वायरस है जो सर्दी जैसे लक्षण पैदा करता है। कुछ लोगों को, खासकर बुजुर्गों और शिशुओं को, फ्लू जैसे लक्षण हो सकते हैं। लेकिन यह कुछ गंभीर या चिंताजनक नहीं है।’ डॉ. गोयल ने भले से मनोवैज्ञानिक तरह से एचएमपीवी वायरस को गंभीर न बताकर इसके आतंक को कम कर दिया है, सरकार भी इस महामारी को लेकर सतर्क है, लेकिन फिर भी इस नये वायरस की त्रासदी एवं संकट से जूझ रहे विश्व-मानव को सावधान रहना चाहिए। विभिन्न देशों की सरकारों एवं डब्ल्यूएचओ का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर के लोगों के स्वास्थ्य के स्तर को ऊंचा उठाना है। हर इंसान का स्वास्थ्य अच्छा हो और महामारी का शिकार होने पर हर व्यक्ति को अच्छे प्रकार के इलाज की अच्छी सुविधा मिल सके, ऐसे प्रयास करने है। इक्कीसवीं सदी की पहली रजत जयन्ती वर्ष की शुरुआत नये वायरस की महामारी के रूप में एक वैश्विक त्रासदी के साथ होना दुःखद है। ऐसी त्रासदी जो विश्व की बड़ी सत्ताओं को मानव कल्याण की नीतियों को अपनाने एवं इंसान को अपने जीवन मूल्यों और जीवनशैली पर पुनर्चिंतन करने को मजबूर कर रही है और उनका आत्मविश्वास एवं मनोबल बढ़ाने की आवश्यकता व्यक्त कर रही है।

#anugamini

No Comments:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

sidebar advertisement

National News

Politics