तनवीर जाफ़री
विपक्षी गठबंधन “इंडिया ” की तीसरी बैठक पिछले दिनों मुंबई में सफलतापूर्वक संपन्न हुई। इस बार मुंबई में इंडिया गठबंधन की मेज़बानी महाराष्ट्र विकास अघाड़ी द्वारा की गयी जिसमें मुख्यतः शिवसेना (उद्धव ),राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी तथा महाराष्ट्र कांग्रेस पार्टी शामिल है। जबकि पटना में हुई पहली बैठक की मेज़बानी जनता दल यूनाइटेड द्वारा की गयी थी व बंगलौर में हुई दूसरी बैठक कर्नाटक कांग्रेस पार्टी द्वारा आहूत की गयी थी। पटना से मुंबई तक के विपक्षी गठबंधन का अब तक का यह सफ़र निश्चित रूप से गठबंधन के 26 सदस्यों में परस्पर विश्वास बनाने में सफल रहा है। “इंडिया ” के गठन के बाद सत्ता के गलियारों में मची उथल पुथल स्वयं इस बात का सुबूत है कि 2024 के लोकसभा चुनाव और उससे पूर्व होने जा रहे विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव, स्वयं को अजेय समझने वाली भारतीय जनता पार्टी के लिये नाकों चने चबाने जैसे हालत पैदा करने जा रहे हैं। सत्ता की घबराहट इससे भी पता चलती है कि विपक्षी गठबंधन “इंडिया ” के नेता स्वयं अपने नवगठित राजनैतिक गठबंधन की सफलता या उसकी विशेषता का उतना गुणगान व प्रचार प्रसार नहीं कर रहे जितना कि भाजपा के नेता इसकी आलोचना व निन्दा करने में व्यस्त हैं। यहाँ तक कि सत्ता द्वारा रसोई गैस में की गयी 200 / रूपये प्रति सिलेंडर की कमी जैसे फ़ैसले भी “इंडिया ” के बढ़ते क़द के तहत ही लिये बताये जा रहे हैं। ग़ौरतलब है कि जिस भाजपा ने 2014 से लेकर अब तक अपने सहयोगी एन डी ए दलों की बैठक बुलाने की ज़रुरत महसूस नहीं की थी,इंडिया का गठन होते ही उसे भी एन डी ए की बैठक बुलानी पड़ी। इतना ही नहीं बल्कि विपक्षी गठबंधन “इंडिया ” से घबराई भाजपा अपने विरोधी नेताओं को परेशान करने,उनमें विभाजन पैदा करने उन्हें डराने धमकाने जैसे निकृष्टतम हथकंडे भी अपना रही है। यह सब सत्ता की बेचैनी और बौखलाहट के ही परिणाम हैं।
बहरहाल,पटना में पहली मुलाक़ात,बंगलौर में गठबंधन का नामकरण और मुंबई में ”जुड़ेगा भारत, जीतेगा इंडिया” के नारे के साथ इस बैठक में तीन मुख्य प्रस्ताव पारित करना गठबंधन की प्रारंभिक सफलता को दर्शाता है। मुंबई बैठक में जहां सीट बंटवारे की प्रक्रिया जल्द ही पूरी करने की बात कही गयी वहीँ इस बैठक में चार समितियां बनाने का फ़ैसला भी किया गया है। बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया है, ”हम, इंडिया के विभिन्न दल, लोकसभा का अगला चुनाव जहां तक संभव हो, एक साथ मिलकर लड़ने का संकल्प लेते हैं। विभिन्न राज्यों में सीट के बंटवारे की व्यवस्था तुरंत शुरू होगी और विचार-विमर्श की सहयोग वाली भावना के साथ यथाशीघ्र पूरी की जाएगी।” ”हम, इंडिया के विभिन्न दल, लोगों की चिंता और महत्व के मामलों पर देश के विभिन्न हिस्सों में जल्द से जल्द सार्वजनिक रैलियां आयोजित करने का संकल्प लेते हैं।” प्रस्ताव के अंत में कहा गया है, ”हम, इंडिया के विभिन्न दल, विभिन्न भाषाओं में ‘जुड़ेगा भारत, जीतेगा इंडिया’ थीम के साथ अपनी संबंधित संचार और मीडिया रणनीतियों और मुहिमों का समन्वय करने का संकल्प लेते हैं।” बैठक के समापन पर आयोजित प्रेस कॉन्फ़्रेंस में राहुल गांधी सहित अनेक नेताओं ने दोहराया कि – इंडिया गठबंधन बीजेपी को आसानी से हराएगा.” उन्होंने कहा – “इस मंच पर बैठी सारी पार्टियां यदि एकजुट रहती हैं, तो हमें हराना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन भी है।
जैसे जैसे लोकसभा चुनाव का समय नज़दीक आता जा रहा है भारतीय जनता पार्टी के लिये परेशानी बढ़ाने वाली कई ख़बरें भी सामने आ रही हैं। जैसे कि पिछले दिनों विश्व के प्रतिष्ठित समाचार पत्र ‘द गार्डियन’ और ‘फ़ाइनेंशियल टाइम्स’ ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिस में कहा गया है कि टैक्स हैवन्स देश मॉरीशस के दो फ़ंड – इमर्जिंग इंडिया फ़ोकस फ़ंड (ईआईएफ़ एफ़ ) और ईएम रीसर्जेंट फ़ंड (ईएमआरएफ़ ) ने 2013 से 2018 के बीच अदानी ग्रुप की चार कंपनियों में पैसा लगाया और इनके शेयरों की ख़रीद-फ़रोख़्त भी की। इन फ़ंडस के द्वारा यूएई के निवेशक नासिर अली शाबाना अहली और ताइवान के निवेशक चांग चुंग लींग ने इन कंपनियों में पैसा लगाया था। ये पैसा बरमूडा के इन्वेस्टमेंट फ़ंड ग्लोबल अपॉर्च्युनिटीज़ के ज़रिये लाया गया। 2017 में नासिर अली और चांग चुंग लींग के इस निवेश की क़ीमत लगभग 43 करोड़ डॉलर थी। इस समय इसकी क़ीमत (मौजूदा एक्सचेंज रेट) 3550 करोड़ रुपये है। जनवरी 2017 में इन दोनों निवेशकों की अदानी इंटरप्राइज़ेज़, अदानी पावर और अदानी ट्रांसमिशन में क्रमश: 3.4, 4 और 3.6 फ़ीसदी हिस्सेदारी थी। दरअसल गौतम अडानी के भाई विनोद अदानी के कहने पर ही नासिर अली और चांग चुंग लींग के फ़ंडस ने अदानी ग्रुप की कंपनियों में जो पैसा लगाया, उससे अदानी ग्रुप की कंपनियों अदानी एंटरप्राइज़ेज़ और अदानी ट्रांसमिशन में प्रमोटर ग्रुप (जिसके विनोद अदानी सदस्य थे) की हिस्सेदारी जनवरी 2017 में 78 फ़ीसदी से ज़्यादा हो गई।
इसी प्रकार दूसरा गंभीर विषय चीनी घुसपैठ का है। पिछले दिनों जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ़्रीक़ा में ब्रिक्स देशों की बैठक में भाग ले रहे थे उसी के फ़ौरन बाद चीन के नेचुरल रिसोर्स मिनिस्ट्री की तरफ़ से 28 अगस्त 2023 को अधिकृत रूप से एक नया नक़्शा जारी किया गया जिसमें भारत के अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को चीनी क्षेत्र दिखाया गया है। इससे पहले इसी वर्ष अप्रैल के महीने में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 11 जगहों के नाम बदलने की मंज़ूरी दे दी थी। चीन के इस नए नक़्शे में भारत के उपरोक्त क्षेत्रों के अलावा चीन द्वारा ताइवान और विवादित दक्षिण चीन सागर को भी चीनी क्षेत्र में शामिल किया गया है। विपक्षी गठबंधन चीन के कुत्सित इरादों से अधिक भारत सरकार द्वारा इस विषय पर अपनायी जा रही उदासीनता व ख़ामोशी को लेकर चिंतित है। पिछले दिनों कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने लद्दाख़ तथा पेंगोंग झील का एक सप्ताह का दौरा किया। उन्होंने स्थानीय लोगों से मुलाक़ात कर क्षेत्र में चीनी घुसपैठ की हक़ीक़त से देश को आगाह किया। इसका ज़िक्र उन्होंने “इंडिया ” गठबंधन की बैठक के बाद भी किया। गोया विपक्ष द्वारा अगले चुनावों में जहां मंहगाई,बेरोज़गारी,भ्रष्टाचार व साम्प्रदायिकता जैसे मुद्दे सत्ता को घेरने के लिये उठाये जायेंगे वहीँ चीनी घुसपैठ और अडानी जैसे चंद उद्योगपतियों को सरकार द्वारा दिया जाने वाला संरक्षण भी सत्ता के लिये बड़ा सिर दर्द साबित होने जा रहा है। इसीलिये जहाँ सत्ता की बेचैनी बढ़ती जा रही है वहीं ‘इंडिया ‘ घटक दलों का उत्साह बढ़ता जा रहा है।
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