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महत्वपूर्ण खनिज और टिकाऊ भविष्य की ओर भारत की राह

प्रल्हाद जोशी
केंद्रीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री

ज्‍यों-ज्‍यों नई दिल्ली में जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के आयोजन का समय निकट आ रहा है, स्वच्छ ऊर्जा का रुख करने में महत्वपूर्ण खनिजों की अहमियत के संबंध में आम सहमति बढ़ती जा रही है। गोवा में जी-20 ऊर्जा परिवर्तन मंत्रियों की बैठक के परिणाम दस्तावेज़ में “ऐसे महत्वपूर्ण खनिजों और सामग्रियों की विश्वसनीय, जिम्मेदार और टिकाऊ आपूर्ति श्रृंखला बनाए रखने की आवश्यकता” पर ध्यान दिया गया है। जो खनिज उपयोग की दृष्टि से महत्वपूर्ण होते हैं और जिनका कोई व्यवहार्य विकल्प नहीं होता, लेकिन जो देश की आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, उन्हें प्राय: महत्वपूर्ण खनिजों के रूप में परिभाषित किया जाता है।कोबाल्ट, लिथियम, सिलिकॉन, ग्रेफाइट और दुर्लभ मृदा तत्व (आरईई) जैसे महत्वपूर्ण खनिजों का उपयोग सौर मॉड्यूल, पवन टर्बाइन और बैटरी जैसी स्वच्छ प्रौद्योगिकियों में किया जाता है। इन प्रौद्योगिकियों के उपयोग से 2030 तक 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म बिजली क्षमता और 2030 तक उत्सर्जन-तीव्रता को 2005 के स्तर से45 प्रतिशत कम करने के भारत के संधारणीय या सतत लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिल सकती है। इसलिएये खनिज आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं और इन्हें आधुनिक सभ्यता की बुनियाद करार दिया जा सकता है।

स्वच्छ प्रौद्योगिकियों की बढ़ती मांग के कारण विभिन्न महत्वपूर्ण खनिजों के वैश्विक खनन में तेजी आई है। काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) के सहयोग से मंत्रालय द्वारा संचालित एक अध्ययन के अनुसार, 2016 और 2022 के बीच लिथियम, आरईई और कोबाल्ट जैसे प्रमुख खनिजों के वार्षिक उत्पादन में क्रमशः 240 प्रतिशत, 134 प्रतिशत, और 67 प्रतिशत वृद्धि हुई। कोबाल्ट, तांबा और निकल जैसे खनिजों के मामले में, वर्तमान खनन उत्पादन पहले से ही वैश्विक भंडार के 2 प्रतिशत से अधिक है। हालांकि, महत्वपूर्ण खनिजों की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं जटिल हैं और व्यापार संबंधी सरोकारों, भू-राजनीतिक कारकों और प्राकृतिक आपदाओं जैसे अप्रत्याशित व्यवधानों के प्रति असुरक्षित हो सकती हैं। हमारी आयात निर्भरता कम करने, राष्ट्रीय सुरक्षा सुदृढ़ बनाने और बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए घरेलू मूल्य श्रृंखला विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित बनाना महत्वपूर्ण है।

आत्मनिर्भर भारत के विज़न को आगे बढ़ाने के लिएप्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार अन्वेषण, प्रसंस्करण, उपयोग और रीसाइक्लिंग पर ध्यान देने सहित घरेलू महत्वपूर्ण खनिज क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 में 2015, 2020, 2021 और हाल ही में 2023 में किए गए प्रमुख परिवर्तनों के माध्यम से समय-समय पर किए गए संशोधनों के जरिए नीतिगत सुधार लाए गए हैं। उत्पादन के घरेलू स्रोत बढ़ाने के लिए खान मंत्रालय ने 2015 में नई नीलामी व्यवस्था आरंभ कर पारदर्शी और समयबद्ध प्रक्रिया के माध्यम से खदान विकास के लिए खनन पट्टे (एमएल) और समग्र लाइसेंस (सीएल) प्रदान किए। इसके अलावा, राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (एनएमईटी) महत्वपूर्ण खनिजों के अन्‍वेषण में सहायता कर रहा है और निजी एजेंसियों को भी अन्वेषण गतिविधियों के लिए धन प्राप्त करने के लिए सूचीबद्ध किया जा रहा है।एमएमडीआर संशोधन अधिनियम, 2023 भी गहराई में पाए जाने वाले तथा महत्वपूर्ण खनिजों के लिए अन्वेषण लाइसेंस (ईएल) के प्रावधान को शामिल कर खनन की सुविधा देता है। इसने लिथियम सहित 6 खनिजों को12 परमाणु खनिजों की सूची से हटाभी दिया है।

सहकारी संघवाद के लिए एक मिसाल कायम करते हुएसरकार ने संबंधित राज्य सरकारों के लिए राजस्व प्राप्ति सुनिश्चित करते हुए 24 महत्वपूर्ण खनिजों से संबंधित रियायतों की विशेष रूप से नीलामी करने का उत्‍तरदायित्‍व लिया है। इस उपाय से राज्य सरकार की राजस्व प्राप्तियों में सुधार होगा, जिससे उनकी राजकोषीय स्थिति को बड़े पैमाने पर प्रोत्‍साहन मिलेगा।

घरेलू व्‍यवस्‍थाओं को मजबूत बनाने के अलावाबहुपक्षीय और द्विपक्षीय संबद्धताओं के माध्यम से सहयोगपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय प्रयास लचीली महत्वपूर्ण खनिज मूल्य श्रृंखला के निर्माण में मदद कर सकते हैं। लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में सामूहिक कार्रवाई महत्वपूर्ण है और सरकार महत्वपूर्ण खनिजों के संबंध में सक्रिय रूप से नई साझेदारियां और गठबंधन बना रही है जैसे -खनिज सुरक्षा साझेदारी (एमएसपी)में भारत का प्रवेश,ऑस्ट्रेलिया-भारत आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौता (ईसीटीए) तथाखनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (केएबीआईएल)काचिली और अर्जेंटीना जैसे देशों में खनिज अधिग्रहण के अवसरतलाशने का प्रयास करना।

जी-20 में हुई चर्चा के अनुरूप, महत्वपूर्ण खनिजों के संबंध मेंनवाचार, पर्यावरण, सामाजिक और शासन व्‍यवस्‍था (ईएसजी)और सर्कुलेरिटी को सम्मिलित करते हुए स्वैच्छिक उच्च-स्तरीय सिद्धांत भारत के महत्वपूर्ण खनिजों को भविष्य के लिए सुरक्षित करने के हमारे प्रयासों को और ज्‍यादा मजबूती प्रदान करेंगे। भारत की जी-20 की अध्यक्षता के तहत प्रधानमंत्री का “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” का विज़न साझा भविष्य के लिए उत्सर्जन में कमी और जलवायु परिवर्तन शमन से संबंधित हमारे साझा लक्ष्यों के महत्व को रेखांकित करता है। भारत की जी-20 की अध्यक्षता के दौरान किया गया आरंभिक कार्य महत्वपूर्ण खनिजों के संबंध में हमारे काम को मजबूती प्रदान करेगा, जिसकी बदौलत भारत नेतृत्वकारी भूमिका निभाएगा।

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