बेतिया । वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में एक नर बाघ की मौत हो गई है। शुक्रवार सुबह उसका शव मिला है। बाघ के शरीर पर चोट के निशान मिले हैं। वन विभाग की माने तो बाघ की मौत दूसरे बाघ से लड़ाई के दौरान हुई है। वन विभाग की टीम दूसरे बाघ की तलाश कर रही है। टीम का मानना है कि उस बाघ को भी गंभीर चोटें आई होगी।
घटना स्थल की जांच में फुट प्रिंट देखकर बाघों के बीच हुए जबरदस्त खूनी संघर्ष का अनुमान लगाया जा रहा है। मामला मांगुराहा वन क्षेत्र के कक्ष संख्या 46 का है। फिलहाल वन कर्मी बाघ के शव का मांगुराहा में पोस्टमॉर्टम करा रहे हैं। बाघ की उम्र करीब 8 साल बताई जा रही है।
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में 5 महीने में ये दूसरा वाकया है। इससे पहले 25 मार्च को एक बाघ का शव मिला था। वन विभाग ने कहा था कि दो बाघों की खूनी लड़ाई में एक की जान गई।
वहीं शुक्रवार की सुबह सूचना के बाद सीएफ और डीएफओ घटनास्थल पर पहुंचकर कैंप कर रहे हैं। जंगल में किसी भी व्यक्ति के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। वीटीआर प्रमंडल एक के उप क्षेत्र निदेशक प्रदुम्न गौरव ने बताया कि ‘दो बाघों के आपसी वर्चस्व में एक नर बाघ की मौत हो गई है। शव देखने से दो दिन पुराना लग रहा है।’
उन्होंने बताया कि ‘बाघ के शव का पोस्टमॉर्टम कर जांच के लिए विसरा वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया देहरादून और इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट बरेली भेजी जाएगा। रिपोर्ट आने के बाद कारण स्पष्ट होगा। पोस्टमॉर्टम के बाद मृत बाघ का अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा।’
वीटीआर के डॉक्टरों के अनुसार ‘मृत बाघ के पैर, चेहरे और सिर पर गंभीर जख्म हैं। खून अधिक बहने से उसकी जान जाने की आशंका जताई गई है।
वन विभाग जंगल में लगे ट्रैप कैमरों की जांच कर रहा है। रेंजर सुनील कुमार पाठक के नेतृत्व में वन कर्मियों की टीम घायल बाघ के फुट प्रिंट की ट्रैकिंग कर रही है।
करीब 5 महीने पहले भी बाघों की लड़ाई में एक बाघ की मौत हुई थी। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में 25 मार्च 2024 को 7 साल के एक नर बाघ का शव मिला था। बाघ की गर्दन, कंधे और पीठ में लड़ाई के निशान मिले थे। मामला मांगुराहा वन क्षेत्र के S-55 का था।
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में कुल 59 बाघ हैं। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व पूरी तरह से खुला हुआ क्षेत्र है। इसमें बाघ इधर से उधर एक कंपार्ट से दूसरे कंपार्ट में जाते रहते हैं। इसलिए हर कंपार्ट में बाघों की कितनी संख्या है। इसका अब तक सही से आंकलन नहीं मिला है।
मांगुराहा रेंज शोर शराबे से अलग है, ऐसे में यहां शाकाहारी जानवरों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। यही कारण है कि यहां पर आसानी से बाघ देखे जा रहे हैं।
बाघों की आपसी लड़ाई इलाके के लिए होती है। दरअसल, युवा अवस्था में आने के साथ ही बाघ अपना इलाका बांट लेते हैं। इसके लिए पेड़ों पर अपनी गंध छोड़ते है। इसके साथ ही पेड़ों पर फुट प्रिंट बनाते हैं, इससे वह अपने इलाके में एक बार में नजर बनाए रखने का काम करते हैं। ऐसे में अगर दूसरा बाघ उनके इलाके में आता है तो दोनों में लड़ाई होना तय है।
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