दार्जिलिंग । शहीद बृजेश थापा का पार्थिव शरीर आज पंचतत्व में विलीन हो गया। पिछले सोमवार रात जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले के जंगल में आतंकियों से मुठभेड़ में कैप्टन बृजेश थापा शहीद हो गए थे। कल गुरुवार को उनका पार्थिव शरीर दार्जिलिंग के बड़ा गिंग स्थित उनके आवास पर लाया गया। उनका अंतिम संस्कार आज स्थानीय घाट पर किया गया।
इस दौरान जीटीए के चेयरमैन अंजुल चौहान, सदर महकमा शासक, उच्च पदस्थ सैन्य अधिकारी और पूर्व सैनिक, जीटीए के सदस्य मौजूद रहे। शहीद बृजेश थापा के पार्थिव शरीर को सेना के जवानों ने सम्मान के साथ उनके घर से निकाला और अंतिम संस्कार स्थल पर ले गए। शहीद बृजेश थापा की अंतिम यात्रा में शामिल हुए लोगों ने भावभीनी उन्हें अश्रुपूर्ण विदाई दी।
अगर मेरे और बेटे होते तो उन्हें भी सेना में भेजता : भुवनेश थापा
पहाड़ सहित सभी देशवासियों द्वारा दिए गए प्यार और स्नेह ने मेरे बेटे कैप्टन ब्रिजेश थापा के निधन के घावों को भर दिया है। ये बातें शहीद बृजेश थापा के पिता पूर्व कर्नल भुवनेश थापा ने की। उन्होंने अपना इकलौता बेटा खो दिया है।
शहीद बृजेश के पिता पूर्व कर्नल भुवनेश थापा ने बातचीत के दौरान कहा, ‘मेरे बेटे कैप्टन बृजेश थापा ने देश की रक्षा करते हुए अपना बलिदान देकर अनुकरणीय कार्य किया है। भारतीय सेना में ट्रेनिंग के दौरान देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने की शपथ ली जाती है। मेरे बेटे बृजेश थापा ने देश को आतंकवादियों से सुरक्षित रखने का सम्मान अर्जित किया है। दार्जिलिंग पर्वत सहित सभी देशवासियों द्वारा मेरे बेटे को दिए गए प्यार और स्नेह के कारण, मैं और मेरा परिवार हमारे साथ हुए सभी नुकसानों को भूल गए हैं, और मुझे अपने बेटे के काम पर गर्व है।
उन्होंने कहा कि चूंकि वह खुद एक सैन्य अधिकारी हैं, इसलिए उन्हें पता है कि अगर शहीद के परिवार में किसी भी तरह की असुविधा होती है, तो हर कोई खड़ा होता है और मदद के लिए हाथ बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के सहयोग से शहीदों के परिवारों को काफी प्रोत्साहन मिलेगा। पिता भुवनेश थापा ने कहा, मेरे पिता मेजर थे और मेरा बेटा बृजेश थापा भी सेना में था। हमारे परिवार में देशभक्ति और देश के लिए जान कुर्बान करने की संस्कृति है। हम गोरखा समुदाय देश की खातिर अपनी जान भी कुर्बान कर सकते हैं। हम गोरखा समुदाय में देशहित में काम करने की प्रवृत्ति है और हम देशहित में काम करके खुश हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि उनके बेटे की देश की रक्षा करते हुए शहादत के बाद भारतीय सेना के साथ-साथ सरकारी पक्ष भी उनका समर्थन कर रहा है। उन्होंने कहा कि बृजेश मेरा इकलौता बेटा था, अगर मेरा एक और बेटा होता तो मैं उसे भी देश की सेवा के लिए भारतीय सेना में भेजता। उन्होंने आगे कहा, मैं अपने बेटे को दोबारा कभी नहीं देख पाऊंगा, लेकिन उसने देश के लिए जो बलिदान दिया है, वह कोई और नहीं दे सकता। उन्होंने दोहराया कि उन्हें अपने बेटे के बलिदान पर गर्व है।
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