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नरेंद्र कुमार सुब्बा ने चायताल झील का किया दौरा

गंगटोक । बौद्ध कैलेंडर के अनुसार प्रथम धर्म चक्र परिवर्तन के महत्वपूर्ण दिन, द्रुक्पा त्शे-जी के शुभ अवसर पर सम्मानित नेता नरेंद्र कुमार सुब्बा ने मानेबुंग देंताम निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत चायताल झील का दौरा किया। यह पवित्र यात्रा आध्यात्मिक महत्व से परिपूर्ण थी, जो सिक्किम और उसके लोगों की भलाई के प्रति उनकी व्यक्तिगत भक्ति और प्रतिबद्धता को दर्शाती थी। द्रुक्पा त्से-जी को गहन श्रद्धा के साथ मनाया जाता है, जो ज्ञान प्राप्ति के बाद बुद्ध की पहली शिक्षा का प्रतीक है।

सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं के संरक्षण और संवर्धन के प्रति अपने समर्पण के लिए जाने जाने वाले नरेन्द्र कुमार सुब्बा ने चायताल झील में मछलियों को भोजन खिलाने के पुण्य कार्य के लिए इस दिन को चुना। यह कृत्य करुणा, दुख से मुक्ति और अच्छे कर्मों के संचय का प्रतीक है, जो बौद्ध धर्म की मूल शिक्षाओं के अनुरूप है। समुदाय के सदस्यों और स्थानीय नेताओं के साथ नरेंद्र कुमार सुब्बा ने सिक्किम की समृद्धि, शांति और कल्याण के लिए प्रार्थना की। उनकी प्रार्थनाएं सिर्फ लोगों के शारीरिक स्वास्थ्य के लिए ही नहीं बल्कि उनकी आध्यात्मिक और भावनात्मक समृद्धि के लिए भी थीं। चायताल झील का शांत जल और हरी-भरी हरियाली इस पवित्र अवसर के लिए आदर्श पृष्ठभूमि प्रदान करती है।

उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए नरेन्द्र कुमार सुब्बा ने सिक्किम के बेहतर भविष्य के निर्माण में एकता, करुणा और सामूहिक प्रयास के महत्व पर बल दिया। उन्होंने राज्य के विकास और लोगों के कल्याण के लिए अथक प्रयास करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उनके शब्द श्रोताओं पर गहराई से प्रभाव डालने लगे तथा उनमें उद्देश्य और सामुदायिक भावना की नई भावना उत्पन्न हुई। मछलियों को खिलाने का कार्य, जो बौद्ध परम्परा में एक पूजनीय प्रथा है, विशेष रूप से महत्वपूर्ण था। यह सभी जीवन रूपों के आपसी संबंध तथा हमारे कार्यों में करुणा के महत्व की याद दिलाता है। मछलियों को भोजन खिलाकर नरेन्द्र कुमार सुब्बा ने प्रतीकात्मक रूप से सभी जीवित प्राणियों को अपना आशीर्वाद दिया तथा सार्वभौमिक दया और देखभाल के संदेश को सुदृढ़ किया।

यात्रा का समापन सामूहिक प्रार्थना के साथ हुआ, जहां उपस्थित लोगों ने सिक्किम की निरंतर शांति, समृद्धि और कल्याण की कामना करते हुए हाथ और दिल जोड़े। परंपरा, आध्यात्मिकता और सामुदायिक सेवा के सामंजस्यपूर्ण सम्मिश्रण ने इस द्रुकपा त्से-ज़ी को एक यादगार और प्रेरणादायक आयोजन बना दिया। इस पवित्र दिन पर नरेन्द्र कुमार सुब्बा की चायताल झील की यात्रा सिक्किम की सांस्कृतिक और आध्यात्मिकता के साथ उनके गहरे जुड़ाव को रेखांकित करती है। यह करुणा और सेवा के सिद्धांतों के प्रति उनके अटूट समर्पण को भी उजागर करता है, जो सभी के लिए उज्जवल भविष्य के लिए उनके नेतृत्व और दृष्टिकोण का मार्गदर्शन करता है।

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