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स्‍वर्ण जयंती वर्ष पर सिक्किम केंद्रीय विश्‍वविद्यालय अपने परिसर में जाने को तैयार

गंगटोक । सिक्किम राज्य 2025 में अपने स्वर्ण जयंती वर्ष की ओर अग्रसर है। वहीं डेढ़ दशक से अधिक समय के अस्तित्व के बाद सिक्किम विश्वविद्यालय के लिए भी ‘सुनहरे’ की सुबह निकल रही है।

हिमालयी राज्य के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान ने 2 जुलाई 2024 को अपना 17वां स्थापना दिवस मनाया। पिछले वर्ष विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और प्राध्यापकों के लिए कठिन रहे हैं, लेकिन अब आगे देखने के लिए बहुत कुछ है। पिछली सरकार द्वारा अपनी स्थापना के बाद से उपेक्षित सिक्किम विश्वविद्यालय वर्तमान में गंगटोक में एक किराए के संस्थान से नामची जिले के यांगगांग में अपने विशाल स्थायी परिसर में सुचारू रूप से स्थानांतरित हो रहा है।

तीन भाषा विभाग-भूटिया, लेप्चा और लिम्बू 28 नवंबर, 2022 से यांगगांग परिसर में पहले से ही काम कर रहे हैं। विश्वविद्यालय के अन्य विभाग, जो वर्तमान में गंगटोक में किराए के भवनों में संचालित हो रहे हैं, उन्हें चरणबद्ध तरीके से यांगांग में स्थानांतरित किया जा रहा है। यह ऐसे समय में हो रहा है, जब सिक्किम मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग के नेतृत्व में ‘सुनाउलो सिक्किम’ के दृष्टिकोण के साथ अपना 50वां राज्य दिवस मनाने के लिए तैयार है।

सिक्किम विश्वविद्यालय की स्थापना 2007 में संसद के एक अधिनियम द्वारा की गई थी और अगले वर्ष से विश्वविद्यालय ने विभिन्न शैक्षणिक पाठ्यक्रम शुरू कर दिए। गंगटोक और उसके आसपास के क्षेत्रों में विभिन्न किराये के भवनों में विभाग चलाने लगा। काफी खोजबीन के बाद नामची जिले में ग्रामीण बस्ती यांगांग को इसके स्थायी परिसर के लिए चुना गया।

भारत सरकार से धनराशि प्राप्त होने के बावजूद, तत्कालीन एसडीएफ सरकार द्वारा यांगगांग में भूमि अधिग्रहण में अत्यधिक देरी की गई। उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री और सिक्किम विश्वविद्यालय के अधिकारियों के बीच मतभेद की खबरें चल रही थीं। इस मामले में फंड की कोई समस्या नहीं थी, यह बात स्पष्ट होनी चाहिए। केंद्र सरकार ने भूमि अधिग्रहण और निर्माण कार्य के लिए धन आवंटन में उदारता दिखाई। लेकिन तत्कालीन सरकार ने अपने ही ज्ञात कारणों से सिक्किम विश्वविद्यालय को भूमि हस्तांतरण रोक दिया, जिससे संस्थान और उसके हितधारकों का भविष्य अधर में लटक गया।

परिणामस्वरूप, परिसर परियोजना शुरू नहीं हो सकी और राज्य के बाहर से आने वाले छात्रों सहित अन्य को किराये के भवनों में अपनी कक्षाएं लेनी पड़ीं तथा गंगटोक में किरायेदार के रूप में रहना पड़ा। उस समय एक मजाक चल रहा था कि सिक्किम विश्वविद्यालय दुनिया का सबसे लंबा विश्वविद्यालय है, क्योंकि इसका परिसर रानीपुल से लेकर मुख्य गंगटोक शहर तक किराये के भवनों में फैला हुआ है। बाद में छात्रों द्वारा नियमित रूप से विरोध प्रदर्शन किए गए तथा बेहतर सुविधाओं और अध्ययन के माहौल की मांग की गई, जैसा कि किसी भी केंद्रीय विश्वविद्यालय को प्रदान करना चाहिए।

2019 में सिक्किम में परिवर्तन हुआ और वर्तमान मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग-गोले के नेतृत्व वाली एसकेएम पार्टी ने सिक्किम सरकार की कमान संभाली। एसकेएम पार्टी ने लोकसभा सीट भी जीती, जिसमें इंद्र हंग सुब्बा विजयी हुए। सिक्किम की दयनीय स्थिति को बदलने के लिए कृतसंकल्पित मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग के नेतृत्व वाली नई सरकार ने स्थायी परिसर के मुद्दे को भी जोरदार तरीके से उठाया तथा केंद्र सरकार पर यांगंग में सिक्किम विश्वविद्यालय परिसर निर्माण परियोजना में तेजी लाने के लिए दबाव डाला।

सिक्किम विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे एक शोध छात्र के रूप में, इंद्रहांग सुब्बा ने संसद में भी विशेष प्रयास किए तथा सिक्किम विश्वविद्यालय की स्थिति और यांगगांग में परिसर के निर्माण में हो रही देरी के बारे में आवाज उठाई। उनके भाषण को काफ़ी सराहना मिली, क्योंकि उस समय वे विश्वविद्यालय में छात्र थे। उन्होंने इस मामले को शिक्षा मंत्रालय तक भी पहुंचाया। इन अथक प्रयासों तथा सिक्किम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अविनाश खरे की दृढ़ता के कारण भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो सकी तथा परिसर निर्माण परियोजना में तेजी आई। अब हम उस स्थिति में पहुंच गए हैं जहां विश्वविद्यालय पूरी तरह से यांगंग में स्थानांतरित होने के लिए तैयार है, जिससे स्थानीय लोगों के लिए भी असंख्य अवसर उपलब्ध होंगे। हम 2025 में यांगगांग में अपने नए स्थायी परिसर में सिक्किम विश्वविद्यालय के अगले स्थापना दिवस का जश्न मनाने के लिए उत्सुक हैं। यह सिक्किम और उसके लोगों के स्वर्णिम वर्ष के उत्सव में एक अतिरिक्त सुनहरा अवसर होगा।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि परिसर पूरा होने के बाद सिक्किम विश्वविद्यालय देश के सर्वोत्तम विश्वविद्यालयों में से एक होगा। शांत वातावरण और शांतिपूर्ण वातावरण हमारे विश्वविद्यालय को देश भर के विद्वानों और छात्रों के लिए पसंदीदा गंतव्य बना देगा। शिक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने तथा हमारे विद्यार्थियों के भविष्य के लिए मुख्यमंत्री, लोकसभा सांसद, एसकेएम सरकार तथा सिक्किम विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा दिखाई गई गंभीरता हमें यह याद दिलाती है कि हमें इन चीजों को करने के लिए प्रयास करना चाहिए। उन्होंने यह सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि छात्रों को उचित परिसर न होने के कारण अन्याय और अपमान का सामना न करना पड़े। उन्होंने यह कदम इसलिए उठाया, क्योंकि पहले से ही भीड़भाड़ वाला गंगटोक, असंख्य किराये के विश्वविद्यालय भवनों और बढ़ती हुई छात्र जनसंख्या का बोझ नहीं उठा सकता था।

इस स्थिति ने एक समर्पित विश्वविद्यालय परिसर की आवश्यकता को उजागर किया, जहां हर कोई अपना सिर ऊंचा रख सके और बिना किसी डर या हस्तक्षेप के विभिन्न शोध संभावनाओं का पता लगा सके। यह एक बुनियादी आवश्यकता है कि विश्वविद्यालय के पास अपना स्वयं का स्थान होना चाहिए, जहां विद्यार्थी आत्मविश्वास और स्वतंत्रता के साथ शिक्षा प्राप्त कर सकें और नई संभावनाओं की खोज कर सकें। उन्होंने ये प्रयास इसलिए किए क्योंकि विश्वविद्यालय मानवतावाद, सहिष्णुता, तर्क, विचारों के साहस और सत्य की खोज का प्रतीक है। यह मानव जाति के निरंतर उच्चतर उद्देश्यों की ओर बढ़ते कदम का प्रतिनिधित्व करता है। और यह तभी हासिल किया जा सकता है जब विश्वविद्यालय का अपना परिसर हो।

सिक्किम विश्वविद्यालय की अतीत से लेकर वर्तमान तक की कहानी यह दर्शाती है कि अच्छा नेतृत्व और सरकारी कार्रवाई कितनी महत्वपूर्ण हो सकती है। इससे पता चलता है कि कैसे प्रतिबद्ध नेतृत्व एक बड़ा अंतर ला सकता है, जिससे सिक्किम विश्वविद्यालय को एक उचित परिसर के साथ भविष्य की ओर बढ़ने में मदद मिल सकती है, जहां छात्र सीख सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं। यह सिक्किम को राष्ट्र का शिक्षा केन्द्र बनाने के मुख्यमंत्री Prem Singh Tamang के अंतिम लक्ष्य के भी अनुरूप है।

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