गंगटोक । अगले कुछ दिनों में गठित होने वाली 11वीं सिक्किम विधानसभा में केंद्र की सत्ता वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) का एक भी प्रतिनिधि नहीं होगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि राज्य विधानसभा चुनाव में 31 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली भाजपा एक भी सीट नहीं जीत पाई है।
रविवार को घोषित हुए सिक्किम विधानसभा के नतीजों में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा ने 32 में से 31 सीटें जीतकर सत्ता में जोरदार वापसी की है। गौरतलब है कि निवर्तमान विधानसभा में भाजपा के 12 सदस्य थे। आंकड़ों के अनुसार, हिमालयी राज्य में भाजपा को केवल 5.18 प्रतिशत वोट ही मिल पाए। वहीं, एसकेएम को सर्वाधिक 58.38 प्रतिशत, जबकि सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट को 27.37 प्रतिशत वोट मिले।
सिक्किम भाजपा अध्यक्ष दिली राम थापा अपर बुर्तुक विधानसभा क्षेत्र में एसकेएम उम्मीदवार कला राई से हार गए। राई को 6723 वोट मिले, जबकि थापा को 3755 वोट मिले। वहीं, एसडीएफ के डीबी थापा को 1623 वोट, जबकि सीएमपी सिक्किम बीके तमांग को 581 वोट मिले। भाजपा ने इस चुनाव में एकमात्र लाचेन मंगन सीट को छोडक़र अन्य सभी 31 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा और अधिकांश पर उसके उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।
उल्लेखनीय है कि सीट बंटवारे को लेकर बातचीत न बनने पर भाजपा ने मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग के नेतृत्व वाले एसकेएम के साथ अपना गठबंधन तोडक़र सिक्किम विधानसभा चुनावों में अकेले लडऩे का फैसला किया था। निवर्तमान सिक्किम विधानसभा में भाजपा के 12 विधायक थे, जिनमें से दस विपक्षी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट से दलबदलू थे, जबकि दो अन्य ने एसकेएम के साथ गठबंधन में अक्टूबर 2019 में हुए विधानसभा उपचुनाव जीते थे। उन 12 विधायकों में से पांच पार्टी छोड़ चुके हैं, जिनमें से तीन एसकेएम में शामिल हो गए हैं और एसकेएम के प्रतीक पर विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। शेष सात भाजपा विधायकों में से केवल दो को विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट मिला।
2019 के विधानसभा चुनावों तक सिक्किम में भाजपा का चुनावी ट्रैक रिकॉर्ड बहुत खराब ही रहा है। भगवा पार्टी ने 1994 में तीन सीटों पर चुनाव लडक़र और उन पर जमानत गंवाकर सिक्किम की चुनावी राजनीति में प्रवेश किया था।
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