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युद्ध स्‍तर पर जारी है सिक्किम को रेलमार्ग से जोड़ने की परियोजना

सेवक-रंगपो रेल परियाजना में सुरंगों का करीब 93 प्रतिशत हुआ पूरा

गंगटोक । विश्व के सबसे दुर्गम एवं कठिन इलाकों से गुजरने वाली पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिला स्थित सेवक से सिक्किम के रंगपो तक की 45 किमी लंबी रेल परियोजना का लगभग 93 प्रतिशत सुरंग बनाने का काम पूरा हो गया है। 2009 में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के केंद्रीय रेल मंत्री रहते यह परियोजना शुरू की गयी थी और इसके अगले साल तक पूरी होने की संभावना है। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) के अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

पूसी रेल के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सब्यसाची दे ने बताया कि परियोजना को शीघ्र पूरा करने के लिए सुरंगों, पुलों और स्टेशन यार्डों के निर्माण जैसी सभी कार्य युद्ध स्तर पर जारी हैं। कल बुधवार को ही परियोजना के प्रमुख सुरंगों में से एक टनल-4 की ब्रेक थ्रू मिली थी। दार्जिलिंग जिले के हनुमानझोरा के पास स्थित 3948 मीटर की इस मुख्य सुरंग के साथ 599 मीटर की एक निकासी सुरंग भी है। दे ने बताया कि सुरंग हिमालय के संवेदनशील भूवैज्ञानिक और भूकंपीय इलाकों से होकर गुजरती है। ऐसे में परियोजना की अन्य सभी सुरंगों की तरह ही इसके निर्माण में न्यू ऑस्ट्रियाई टनलिंग विधि का उपयोग किया गया है।

उल्लेखनीय है कि भारतीय रेल मानचित्र पर हिमालयी राज्य सिक्किम को शामिल करने के उद्देश्य से इस महत्वपूर्ण परियोजना ने हाल के वर्षों में गति पकड़ी है।

पूसी रेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, यह रेलवे परियोजना चीन-भारत सीमा पर स्थित पहाड़ी राज्य सिक्किम को कनेक्टिविटी का एक वैकल्पिक और स्थिर मार्ग प्रदान करेगा जो रणनीतिक और सुरक्षा कारणों से भी महत्वपूर्ण है। इस परियोजना में 14 सुरंगें, 13 बड़े और 9 छोटे पुल और पांच स्टेशन होंगे। इसमें सिक्किम में एकमात्र स्टेशन अंतरराज्यीय सीमा पर रंगपो शहर होगा। अन्य चार स्टेशन पश्चिम बंगाल में बनेंगे। अधिकारी के अनुसार, बाद में इस रेल मार्ग को सिक्किम की राजधानी गंगटोक तक विस्तारित करने की योजना है।

रेल सूत्रों के अनुसार, कुल 45 किमी की इस रेल मार्ग में 38.65 किमी हिस्सा सुरंगों से होकर गुजरेगा। इसमें सबसे लंबी सुरंग (नंबर 10) 5.3 किमी और सबसे लंबा पुल 425 मीटर का है। इसी बीच, क्षेत्र के पर्यटन हितधारकों को भी इस परियोजना का बेसब्री से इंतजार है। उनके अनुसार ट्रेन कनेक्टिविटी सिक्किम को परिवहन का एक अतिरिक्त साधन प्रदान करेगी। ईस्टर्न हिमालय ट्रैवल एंड टूर ऑपरेटर्स एसोसिएशन के महासचिव देवाशीष चक्रवर्ती ने कहा कि इतनी सारी सुरंगों और पुलों वाला रेल मार्ग भी हजारों लोगों को ट्रेन के माध्यम से सिक्किम जाने के लिए आकर्षित करेगा। हमारा यह भी मानना है कि ट्रेन से सिक्किम की यात्रा का समय कम हो जाएगा।

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