 
                    गेजिंग । चालक के साथ ही यात्रियों ने शिकायत की है कि हाइवे पर गिरने वाले मलबे व फिसलन से आने-जाने में दो-चार साल से काफी परेशानी हो रही है। जोरथांग-लेगशेप सड़क के बीच में पिछले कुछ वर्षों से पुलिया नहीं बनाए जाने के कारण यातायात में समस्या हो रही है। इसको लेकर कई लोगों ने सवाल उठाया है कि आखिर कब तक संबंधित विभाग इस तरह के मामले को नजरअंदाज करेगा।
जोरथांग से लेगसेप तक सड़क के बीच चार-पांच स्थानों पर फिसलन हो रहा है, जिससे यातायात में असुविधा हो रही है। कई लोगों ने सवाल उठाते हुए आक्रोश भी जाहिर किया है और कहा है कि यह दुख की बात है कि हाईवे पर इतनी छोटी-छोटी फिसलन को साफ क्यों नहीं किया जाता है। सुनताले सिकिप, सिक्किप पैरो, नागधारा आदि जगहों में कई वर्षों से गिरे भूस्खलन के मलबे को साफ करने के लिए विभाग द्वारा कोई पहल नहीं किये जाने से आवागमन में हमेशा परेशानी होती है। उक्त सड़क हाईवे है, लेकिन कई वर्षों से हाईवे पर छोटे-मोटे मलबा गिरने के बाद भी मिट्टी का एक छोटा सा टुकड़ा भी न उठाना संबंधित विभाग की लापरवाही को उजागर कर रहा है।
वाहनों को इंतजार कर संकरी सड़क से गुजरना पड़ता है, फिसलन के कारण हाईवे अक्सर जाम हो जाती है, बताया गया है कि कई लोगों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अब जेरथांग सड़क बहुत खराब हो गई है। सड़क पर पुरानी फिसलन और 6-7 जगह गड्ढों के कारण यह हाईवे नहीं बल्कि खाई जैसी दिखने लगी है। इस समस्या ने पर्यटन क्षेत्र को भी प्रभावित किया है। जिस जगह पर पिछले कुछ समय से बारिश हो रही है, वहां आवाजाही में काफी असुविधा हो रही है। पुराने फिसलन की सफाई नहीं होने से बरसात के मौसम में कई तरह की समस्या उत्पन्न होने की आशंका बनी रहती है।
ड्राइवरों ने शिकायत की है कि जोरथांग लेगशेप रोड पर चार या पांच स्थानों पर फिसलन के कारण काफी असुविधा हो रही है। रख-रखाव के अभाव में मेन लाइन सड़क दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है और जगह-जगह खाई जैसी बन गयी है। हाईवे की हालत दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है और अब स्थिति यह आ गई है कि मल्ली से गेजिंग के लिए 4 घंटे का समय खर्च करना पड़ता है। इसका मुख्य कारण है कि सड़क का रखरखाव शून्य है। यहां तक कि 5 साल पहले बना गड्ढा भी वैसे ही हैं और दीवार पर लगी स्लिप भी वैसी ही स्थिति में हैं, ऐसे में कभी भी भूस्खलन भी हो सकता है। कई लोगों ने सवाल उठाया है कि संबंधित विभाग ने ऐसे मामले पर ध्यान क्यों नहीं दिया।
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