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सिक्किम के गांवों की अर्थव्यवस्था डांवाडोल है : पीडी राई

गंगटोक । जैसे-जैसे सिक्किम विधानसभा चुनाव की ओर बढ़ रहा है, राज्य में चुनावी सरगर्मी के साथ नेताओं की बयानबाजी भी बढ़ती जा रही है। इसी कड़ी में आज विपक्षी एसडीएफ ने अपने 12वें स्थापना दिवस की तैयारियों में लगे सत्‍ताधारी एसकेएम एवं मुख्यमंत्री Prem Singh Tamang (Golay) के नाम एक बयान जारी कर उनसे कई सवाल पूछे हैं।

एसडीएफ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पीडी राई ने बयान में कहा है कि राज्य में चुनाव हर पांच साल में होते हैं। यह सिर्फ एक राजनीतिक संगठन को सत्ता में लाने के बारे में नहीं है, बल्कि यह सोचने और सिक्किम वासियों के प्रति जवाबदेह होने का समय है जिन्होंने उन्हें सत्ता के शीर्ष पर पहुंचाया है। उनके अनुसार, वर्तमान चुनावों से पहले अब सभी मुख्यमंत्री Prem Singh Tamang (Golay) के नेतृत्व वाली एसकेएम पार्टी के स्थापना दिवस पर इन सवालों का जवाब सुनना चाहते हैं।

वहीं, राई ने ग्रामीण इलाकों में अपने दौरे का जिक्र करते हुए कहा कि गांवों की अर्थव्यवस्था डांवाडोल है और लोगों के पास खर्च करने को पैसे नहीं है। ऐस में गांवों में सभी वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें नाटकीय रूप से गिर गई हैं। कहना न होगा कि गांवों में अब कोई काम नहीं बचा है। यहां तक कि गरीबों के लिए चलाई जा रही केंद्र की मनरेगा योजना में भी बकाया भुगतान न होने के कारण कार्य बंद है। उन्होंने कहा, यह स्वीकार्य योग्य नहीं है।

एसडीएफ नेता ने आगे कहा, ऐसी स्थिति में कल 12वें स्थापना दिवस पर एसकेएम पार्टी का जश्न होने वाला है। ऐसे इवेंट कर वे उन वास्तविक समस्याओं को छिपाने में माहिर हैं जिनका वे सामना नहीं कर पाए हैं। इसलिए, गरीब और हाशिए पर रहने वाले और जिन्हें इस ‘परिवर्तन’ वाली सरकार से वास्तविक उम्मीदें थीं, वे दिखाएंगे कि लोकतंत्र कैसे काम करता है। ऐसे में अब उनके लिए उत्तर देने का समय आ गया है।

इसके साथ ही वर्तमान में सिक्किम के दो मुख्य मुद्दों लिंबू-तमांग सीट आरक्षण और धारा 371एफ के बारे में सवाल उठाते हुए राई ने कहा कि लिंबु-तमांग सीट आरक्षण समिति के अध्यक्ष एवं वर्तमान सांसद को बताना होगा कि इस पर क्या हुआ। वास्तविकता यह है कि आज तक हमारे पास कोई फॉर्मूला नहीं है। ऐसे में उन्होंने सीट नहीं तो एसकेएम को वोट नहीं देने की बात कही।

वहीं, 371 एफ के कमजोर होने के बारे में उन्होंने कहा कि एसकेएम और इससे जुड़े लोगों का तर्क है कि इसे कमजोर नहीं किया गया है। यदि ऐसा है तो विधानसभा में कमिटी का गठन क्यों नहीं किया गया है? कानून मंत्री केएन लेप्चा की अध्यक्षता वाली उस समिति का नतीजा क्या है? दरअसल, उन्हें इस मामले को केंद्र सरकार के सामने उठाते हुए आईटी एक्ट की धारा 26एएए के तहत जोड़ी गई धाराओं को हटाने की मांग करनी चाहिए थी।

इसके साथ ही राई ने 12 छूटे हुए समुदायों को जनजाति का दर्जा प्रदान करने, कोविड फंड के कुप्रबंधन और जीओएलएफ आपदा के बाद कोई केंद्रीय राहत नहीं मिलने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, कोविड के दौरान खूब फंड आया, लेकिन किसी को नहीं पता कि उस फंड का क्या हुआ और गांवों में जो लोग कोरोना की भेंट चढ़ गए या उन्हें कोरोना हुआ, उन्हें कुछ नहीं मिला। वहीं, जीओएलएफ के कारण लाचेन, लाचुंग, चुंगथांग, जोंगू, डिक्‍चू, सिंगताम, रंगपो आदि स्थानों के काफी संख्या में लोगों के हताहत होने के बावजूद उन्हें कोई सहायता नहीं मिली।

एसडीएफ नेता के अनुसार, अब सत्य को स्वीकार करने का समय आ गया है। बाजार में एक असफल उत्पाद दोबारा कभी वापस नहीं आ सकता और ऐसे में अब एसकेएम दोबारा लोगों को बेवकूफ नहीं बना सकती है।

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