गंगटोक । सिक्किम की राजधानी गंगटोक का पालजोर स्टेडियम आज 13 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद राज्य प्रवास में आए बौद्ध धर्मगुरु श्रद्धेय दलाई लामा के संदेशों का गवाह बना। दलाई लामा को देखने और उनकी शिक्षाएं प्राप्त करने के लिए पालजोर स्टेडियम करीब 30 हजार लोगों की भीड़ से खचाखच भरा हुआ था। इस दौरान दलाई लामा मुस्कुराते हुए मंच पर आए और भीड़ की ओर हाथ हिलाते हुए अपना स्थान ग्रहण किया। उनके साथ मंच पर श्रद्धेय शबद्रुंग रिम्पोचे, टिंकी गोंजांग रिम्पोचे, लाचुंग रिम्पोचे, गोंजांग, सेरथा तुल्कु और अन्य प्रतिष्ठित धार्मिक प्रमुख थे। वहीं, राज्य प्रशासन की ओर से मंच पर राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य, मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग, उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कृष्णा राई, सिक्किम हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विश्वनाथ सोमद्दर एवं विधानसभा अध्यक्ष अरुण उप्रेती के अलावा एसएलए उपाध्यक्ष, कैबिनेट मंत्री, विधायक, सांसद, सलाहकार, अध्यक्ष, मुख्य सचिव और अन्य गणमान्य लोग भी थे।
इस अवसर पर दलाई लामा ने उपस्थित सभी बौद्ध धर्म के अनुयायियों और श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं देते हुए भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को अपनाने वाले लोगों के उत्साह पर प्रसन्नता व्यक्त की। अपने संदेश में आंतरिक शांति एवं खुशी पैदा करने, विभिन्न धर्मों में संवाद बढ़ाने और करुणा, अहिंसा एवं सार्वभौमिक दृष्टिकोण से वैश्विक मुद्दों का समाधान करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, सभी धर्म समान हैं, और सभी समुदाय बराबर हैं। उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने आग्रह किया कि दुनिया में मान्यता प्राप्त सभी धर्मों का सम्मान किया जाना चाहिए, क्योंकि वे एक हैं। लोगों द्वारा धर्म का अर्थ ठीक से न समझ पाने के कारण ही संसार में हिंसा होती है। यदि वे धर्म को समझ लेंगे तो विश्व में शांति रहेगी। उन्होंने कहा कि भले ही दुनिया में अलग-अलग धर्म हैं, लेकिन सभी धर्मों के लक्ष्य और उद्देश्य एक ही है।
वहीं, दलाई लामा ने सिक्किम में हाल ही में आई आपदा में जान गंवाने वाले लोगों और क्षेत्रों में शांति स्थापना हेतु अवलोकितेश्वर का आह्वान करते हुए एक प्रार्थना का पाठ किया। साथ ही उन्होंने ग्यालसी थोकमे सांगपो के बोधिसत्व के 37 अभ्यास और बोधिचित्त की उत्पत्ति पर भी उपदेश दिया। बोधिसत्व के 37 अञ्जयास 14वीं शताब्दी ईसा पूर्व में एक बौद्ध भिक्षु और धर्मग्रंथ प्रतिपादक टोकमे सांगपो द्वारा लिखा गया एक प्राचीन पाठ है, जिनका जन्म तिब्बत में शाक्य मठ के दक्षिण-पश्चिम स्थित पुलजंग में हुआ था। दलाई लामा ने कहा कि योग्यता पैदा करने, बुरे कर्मों को शुद्ध करने या दूसरों को लाभ पहुंचाने के लिए बोधिसत्व के मार्ग पर चलने से बेहतर कोई तरीका नहीं है। उन्होंने कहा, हमेशा अपने मन की स्थिति की जांच कर, निरंतर सचेतनता और सतर्कता के साथ, दूसरों की भलाई करना ही बोधिसत्वों का अभ्यास है। यदि आप हर रोज इनका अनुशरण करते हैं तो इनका अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
इससे पहले, मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने खादा पहना कर सिक्किम में दलाई लामा का गर्मजोशी से स्वागत किया एवं उनके प्रति आभार जताया। उन्होंने आज के दिन को सिक्किम के लिए काफी महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि श्रद्धेय दलाई लामा के दिव्य शब्द और आशीर्वाद राज्य के लिए मार्गदर्शक प्रकाश के रूप में काम करते हैं। उन्होंने दलाई लामा की पावन उपस्थिति की मेजबानी को अपना परम सम्मान बताते हुए समूचे सिक्किम वासियों के लिए उनसे आशीर्वाद मांगा। इस दौरान, सिक्किम सरकार और तिब्बती समुदाय द्वारा दीर्घायु अर्पण समारोह आयोजित किया गया जिसमें ‘मेंडेल टेनसम’ का शुभ प्रस्ताव, प्रार्थना पाठ और तिब्बत पारंपरिक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां शामिल थीं। इसके बाद राज्य सरकार की दो परियोजनाओं का वर्चुअल उद्घाटन एवं शिलान्यास भी किया गया। इनमें पूर्व सिक्किम के सिमिक-सिंगताम खामदोंग निर्वाचन क्षेत्र अंतर्गत ग्यालवा ल्हाशुन चेनपो प्रतिमा परियोजना की शुरुआत और गंगटोक निर्वाचन क्षेत्र अंतर्गत रुम्तेक में कर्मापा पार्क परियोजना या फैंबोंग्लो नेचर पार्क परियोजना शामिल हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सिमिक मठ परिसर में बौद्ध धर्म के श्रद्धेय विद्वान ग्यालवा ल्हाशुन चेनपो की 50 फीट ऊंची प्रतिमा का निर्माण किया जाएगा। वहीं, रुम्तेक में पर्यटन विभाग व नागरिक उड्डयन विभाग द्वारा कर्मापा पार्क या फैंबोंग्लो नेचर पार्क परियोजना में 16वें कर्मापा की 52 फीट ऊंची तांबे की मूर्ति स्थापित की जाएगी। उल्लेखनीय है कि पालजोर स्टेडियम में मुख्य कार्यक्रम के अलावा आम लोगों के लिए कार्यक्रम का एमजी मार्ग, चिंतन भवन में एलईडी डिस्प्ले के माध्यम से और सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर सीधा प्रसारण भी किया गया। दलाई लामा कल सम्मान भवन में मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग द्वारा आयोजित राजकीय दोपहर भोज में शामिल होंगे। वहीं 14 दिसंबर को वह सिक्किम से सालूगाड़ा के लिए रवाना होंगे, जहां उनका सेड-ग्यूड मठ में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होंगे।
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