गंगटोक, 14 अक्टूबर । सिक्किम में विनाशकारी आपदा से मची तबाही के बीच सिटीजन एक्शन पार्टी (CAP) सिक्किम ने प्रभावितों के पुनर्वास को लेकर आज राज्य सरकार से श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है। साथ ही पार्टी ने आपदा के लिए पूर्व एवं मौजूदा सरकार की नीतियों को दोषी ठहराते हुए कहा कि पूंजीपतियों एवं मुनाफाखोरों के इशारों पर नाचने वाली पिछली और वर्तमान दोनों सरकारों की गलत नीतियों और फैसलों के कारण सिक्किम आज पीडि़त है। पार्टी ने आपदा को लेकर गठित फैक्ट फाइंडिंग कमिटी की रिपोर्ट भी साझा की। इस अवसर पर यहां आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन में सिटीजन एक्शन पार्टी सिक्किम के सांगठनिक कार्यकारी अध्यक्ष डीबी चौहान, प्रवक्ता महेश राई, मंगन जिला कार्यकारी अध्यक्ष जर्बू छिरिंग लेप्चा आदि उपस्थित थे।
सीएपी प्रवक्ता टीआर शर्मा ने बताया कि पत्रकार सम्मेलन में ल्होनक झील फटने के कारणों के बारे में तथ्य प्रस्तुत करते हुए कार्यकारी अध्यक्ष डीबी चौहान ने कहा कि सिक्किम की ऊंची पहाडि़यां अभी अधिक पुरानी नहीं हैं और वैज्ञानिक भी इन पहाड़ों पर जलविद्युत परियोजनाओं के विस्तार के पक्ष में नहीं हैं। ऐसे में इन पहाडि़यों पर नदी को रोककर बांध बनाना गलत फैसला था। लेकिन वैज्ञानिकों की चेतावनी के बावजूद 2005 में तत्कालीन सरकार ने तीस्ता जलविद्युत परियोजना शुरू की।
वहीं, आपदा के बाद मौजूदा एसकेएम सरकार एवं मुख्यमंत्री पर राहत एवं बचाव कार्यों में विलम्ब करने का आरोप लगाते हुए सीएपी की रिपोर्ट में कहा गया है कि 3 अक्टूबर की रात 10:40 बजे राज्य के मुख्यमंत्री को झील के टूटने की खबर मिली थी। मुख्यमंत्री ने स्वयं इसे स्वीकार किया है। लेकिन इसके बावजूद सोशल मीडिया पर वह 12 बजे तक लोगों से मिल रहे थे। रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर सिक्किम के चुंगथांग, डिक्चू, सिंगताम, रंफू आदि स्थानों में खबरों में देरी के कारण काफी सारे निर्दोष लोगों के जान-माल का नुकसान हुआ है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस घटना से 87,000 लोग प्रभावित हुए हैं। चुंगथांग के लोगों को सुबह दो बजे इसका पता चला, जिससे इसे एक मानव निर्मित आपदा माना जा सकता है। राज्य ऊर्जा विभाग प्रति वर्ष 520 करोड़ रुपये का ऋण चुकाता है, लेकिन सरकार बांध सुरक्षा अधिनियम समिति के प्रभावी न होने के कारण इसका अध्ययन नहीं कर सकी। वहीं, आपदा के बाद सरकार ने आज तक राहत शिविरों में कुछ नहीं किया है, जो कुछ भी किया जा रहा है वह विभिन्न संस्थाओं द्वारा किया जा रहा हैं। मुख्यमंत्री खुद राहत कोष जुटा रहे हैं, लेकिन 24 घंटे के अंदर भी सरकार प्रभावित परिवारों पर कारगर उपाय करने में विफल रही है। साथ ही रिपोर्ट में 2017 में पूरी हुई एक परियोजना में 9000 करोड़ रुपये के घोटाले का दावा किया गया है।
चौहान ने राज्य सरकार पर पीड़ित परिवारों को लेकर राजनीति करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा, अगले 16 तारीख से आपदा प्रभावित क्षेत्रों में फिर से स्कूल-कॉलेज खोले जा रहे हैं, लेकिन छात्रों को यह नहीं पता है कि वे कौन से कपड़े पहनकर स्कूल जाएं? यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए राज्य सरकार के पास कोई व्यवस्था नहीं है। साथ ही आश्चर्यजनक रूप से मुख्यमंत्री आज तक आपदा से सर्वाधिक प्रभावित चुंगथांग नहीं पहुंच सके हैं। ऐसे में सिटीजन एक्शन पार्टी सिक्किम की मांग है कि सरकार प्रभावितों के पुनर्वास हेतु तुरंत श्वेत पत्र जारी करे। उनके अनुसार, सीएपी आपदा प्रभावित परिवारों के साथ है और उनके पुनर्वास के लिए मजबूती से आवाज उठाती रहेगी।
सीएपी ने आगे कहा, 2003 में ही वैज्ञानिकों ने चेतावनी दे दी थी कि तीस्ता पर बांध नहीं बनाया जाना चाहिए, लेकिन इसे नजरअंदाज कर दिया गया। दरअसल, मुनाफाखोरों और पूंजीपतियों के इशारों पर नाचने वाली पिछली और वर्तमान दोनों सरकारों की गलत नीतियों और फैसलों के कारण सिक्किम आज पीड़ित है। ऐसे में हम सभी को सूचित करना चाहेंगे कि सत्ता में नहीं होने के बावजूद हमारी पार्टी मानवता की कीमत पर जो कुछ भी कर रही है, उसे एक निस्वार्थ नागरिक की जिम्मेदारी के रूप में कर रही है। वहीं, राज्य सरकार से अनुरोध है कि वह इस घटना की पूरी जानकारी उपलब्ध कराते हुए सभी नुकसानों का आकलन करें और बाढ़ पीड़ितों के पुनर्वास की जल्द से जल्द व्यवस्था करे।
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