गंगटोक, 10 अक्टूबर । सिक्किम आपदा में पीड़ितों की मदद हेतु सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (SDF) पार्टी उत्तर इकाई द्वारा आज लाचुंग में एक और स्वास्थ्य शिविर आयोजित किया गया। इस शिवर में इलाके में शरण लिए हुए लोगों एवं पर्यटकों की सहायता करते हुए उन्हें आवश्यक चिकित्सा सहायता एवं दवाएं मुहैया कराई गईं।
एसडीएफ प्रवक्ता रिक्जिंग नोरबू भूटिया ने बताया कि आपदा के कारण काफी सारे लोगों ने डोनकेला दर्रा पार कर लाचुंग में शरण ली है। आज हमारे स्वास्थ्य शिविर में उन्हें चिकित्सा सहायता उपलब्ध करायी गई। उन्होंने कहा, हम यह देखकर सदमे की स्थिति में थे कि आपदा के लगभग एक सप्ताह बाद भी वहां न बिजली थी, न दूरसंचार और न ही पीने के पानी की कोई सुविधा थी। खाद्य आपूर्ति समाप्त हो रही थी और उनके पास जो कुछ भी था, वह भारतीय सेना द्वारा प्रदान किया जा रहा था। यहां तक कि बीओपी में डॉक्टरों के पास भी कोई दवा नहीं थी। ऐसे में हमने अपने स्वास्थ्य शिविर से हमारे पास उपलब्ध दवाएं उन्हें उपलब्ध कराईं और बची दवाओं को चुंगथांग पीएचई में दान कर दिया गया।
वहीं, भूटिया ने वर्तमान परिस्थिति के लिए सत्ताधारी एसकेएम पार्टी को जिम्मेदारी ठहराते हुए कहा कि मौजूदा परिदृश्य को राजनीतिक रूप से देखते हुए हमारा मानना है कि अब समय आ गया है कि हम विपक्षी दल के रूप में आवाज उठाते हुए एसकेएम शासन की खामियों को उजागर करें। उनके अनुसार, उत्तर सिक्किम के लोग राज्य सरकार की धीमी एवं अपरिपक्व पहलों से बेहद निराश हैं। हमें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि हम बीओपी और लाचुंग क्षेत्र में पहुंचने वाले पहले राहत दल थे। एनडीआरएफ की टीम भी बीओपी तक नहीं पहुंची थी। आज सुबह ही हेलीकॉप्टरों ने लाचुंग में कुछ आपूर्ति गिरानी शुरू की है और चुंगथांग को आज बिजली मिली है।
राज्य सरकार की धीमी राहत व बचाव प्रक्रिया की आलोचना करते हुए भूटिया ने कहा कि आपदा के बाद से पूरे क्षेत्र में कोई दूरसंचार नहीं है और इसके बिना कुछ भी लाचुंग तक नहीं पहुंच सकता है। सरकार को इसे जल्द ही चालू करना चाहिए। कई परिवार अपने लापता, बिछड़े हुए परिजनों के बारे में चिंतित हैं। ऐसे में एसकेएम सरकार की यह अत्यंत धीमी प्रतिक्रिया न केवल दुखद और निराशाजनक है, बल्कि हमारे राज्य की भलाई हेतु भी बेहद खतरनाक है। हमें ऐसे अपरिपक्व एवं लापरवाह नेतृत्व को हटाकर सिक्किम को बचाना होगा। इसके साथ ही उन्होंने छिरिंग वांग्दी लेप्चा, हिस्से लाचुंग्पा, कर्मा लाचुंग्पा और आमा होमस्टे सिंघिक को उनके सहायता कार्यों के लिए धन्यवाद दिया।
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