शिमला, 26 सितम्बर (एजेन्सी)। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि पड़ोसी राज्यों के साथ हिमाचल के हितों से संबंधित विभिन्न मामलों को तुरंत सुलझाया जाए और आपदा से प्रभावित हिमाचल को शीघ्र विशेष राहत पैकेज उपलब्ध करवाया जाए। मुख्यमंत्री मंगलवार को अमृतसर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की 31वीं बैठक को संबोधित कर रहे थे। सुक्खू ने कहा कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) की परियोजनाओं में हिमाचल की 7.19 प्रतिशत हिस्सेदारी के दृष्टिगत प्रदेश को बीबीएमबी निदेशक मंडल में पूर्णकालिक सदस्य का दर्जा देना जरूरी है।
उन्होंने बीबीएमबी परियोजनाओं में हिमाचल के लिए प्रतिशत निशुल्क ऊर्जा रॉयल्टी प्रदान करने और राष्ट्रीय जल विद्युत निगम, राष्ट्रीय ताप ऊर्जा निगम, सतलुज जल विद्युत निगम जैसे केंद्रीय उपक्रमों की जल विद्युत परियोजनाओं में वर्तमान 12 प्रतिशत रॉयल्टी को बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने का आग्रह किया। उन्होंने हिमाचल को सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार बीबीएमबी से बकाया लगभग 4000 करोड़ रुपये दिलवाने का भी आग्रह किया।
हिमाचल में भारी बारिश से राज्य में 12,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। इस आपदा में 441 से अधिक लोग काल का ग्रास बन गए और लगभग 13,000 घर पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि हिमाचल प्रदेश को शीघ्र विशेष राहत पैकेज प्रदान किया जाए। राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर पर आपदा राहत कोष के प्रचलित मानदंडों में व्यावहारिक संशोधन की मांग भी की।
सीएम ने हिमाचल में स्थापित 100 मेगावाट की शानन जलविद्युत परियोजना को मार्च, 2024 में लीज की अवधि समाप्त होने पर हिमाचल को सौंपने में पंजाब सरकार से सहयोग मांगा और केंद्र को भी हस्तक्षेप करने को कहा। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से सीमा विवाद सुलझाने में हस्तक्षेप मांगा सुक्खू ने केंद्रीय गृह मंत्री से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के साथ सीमा विवादों को शीघ्र सुलझाने की मांग की। मोहाल ठेका धार पधरी में प्रदेश के जिला चंबा, जम्मू-कश्मीर तथा सरचू में हिमाचल और लद्दाख के मध्य सीमा विवाद लंबित हैं।
पौंग, पंडोह और पार्वती-तीन बांध से पानी छोड़ने से हुई तबाही का मामला उठाया सीएम ने राज्य में बांध प्रबंधनों के जल छोड़ने से पहले उचित पूर्व चेतावनी प्रणाली का उपयोग करने की जरूरत जताई। हाल ही में पौंग बांध, पंडोह डैम और पार्वती-तीन बांध से अचानक पानी छोड़ने से बड़ी तबाही हुई है। इस नुकसान की भरपाई करना और पुनर्वास कार्यों में सहभागिता सुनिश्चित करना बांध प्रबंधनों का नैतिक दायित्व है।
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