नई दिल्ली , 24 सितम्बर (एजेन्सी)। भारत-म्यांमार सीमा के एक बड़े हिस्से पर फेंसिंग करने की योजना पर बैठक हुई। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और सीमा सड़क संगठन(बीआरओ) के अधिकारियों ने फेंसिंग करने की योजना पर एक साथ बैठक की। मुख्यमंत्री N.Biren Singh द्वारा मीडिया को दिए बयान के बाद इस बैठक का आयोजन किया गया है।
संवाददाताओं से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा था, उनकी सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से भारत-म्यांमार सीमा पर मुक्त आवाजाही व्यवस्था को रद्द करने और फेंसिंग करने का काम पूरा करने का आग्रह किया है।
बयान के बाद अगले दिन हुई बैठक के बारे में जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने एक्स पर लिखा, बीआरओ के अधिकारियों के साथ भारत-म्यांमार सीमा पर 70 किलोमीटर की अतिरिक्त सीमा फेंसिंग करने की योजना पर विमाच विमर्श किया गया। उन्होंने कहा, मेरे साथ मुख्य सचिव, डीजीपी और गृह विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे।
एक्स पर लिखते हुए मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन ने कहा, पड़ोसी देश से अवैध आव्रजन और नशीली दवाओं की तस्करी में बढ़ोतरी हुई है। हमारी खुली सीमाओं की सुरक्षा एक तत्काल आवश्यकता बन गई है।
सूत्रों की माने तो मणिपुर म्यांमार के साथ 398 किलोमीटर की लंबी सीमा साझा करता है। जिसमें से केवल 6 किलोमीटर के आसपास ही फेंसिंग की गई है।
3 मई को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 175 से अधिक लोग मारे गए थे और कई लोग घायल हुए थे। बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था।
मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं। जबकि नागा और कुकी सहित आदिवासी 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं। आरोप हैं कि हालिया हिंसा के पीछे म्यांमार से आए अवैध अप्रवासियों का हाथ था। मणिपुर में उग्रवादियों को म्यांमार से हथियारों की आपूर्ति की जाती थी।
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