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मराठवाड़ा क्षेत्र के लिए 45,000 करोड़ रुपये का पैकेज, सीएम एकनाथ शिंदे का एलान

मराठा आरक्षण से प्रभावित नहीं होगा ओबीसी कोटा : फडणवीस

मुंबई, 16 सितम्बर (एजेन्सी)। मराठवाड़ा क्षेत्र के विकास के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 45,000 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की है। इसके साथ ही, उन्होंने 14,000 करोड़ रुपये की सिंचाई परियोजनाओं के लिए संशोधित प्रशासनिक मंजूरी की भी घोषणा की। राज्य मंत्रिमंडल की एक विशेष बैठक के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने पैकेज की बात कही। आपको बता दें सात साल के अंतराल के बाद मराठवाड़ा में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक हुई थी । इस क्षेत्र में आखिरी बैठक 2016 में आयोजित की गई थी। इस मौके पर उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस और अजित पवार के साथ ही राज्य के कुछ मंत्री भी मौजूद थे। इसके जरिये शिंदे सरकार ने मराठवाड़ा के किसानों और आरक्षण की मांग कर रहे मराठों को भी साधने की कोशिश की है।
महाराष्ट्र में मराठवाड़ा क्षेत्र के लिए पैकेज घोषित किए गए पैकेज में परभणी और नांदेड़ में नए मेडिकल कॉलेज खोलने का एलान किया गया है। एक अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने हिंगोली में एक मेडिकल कॉलेज की घोषणा की है। इसके लिए 485 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं, जबकि परभणी में मेडिकल कॉलेज के लिए समर्पित भूमि उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अलावा, बीड के अंबाजोगाई में ‘लाल कंधारी’ और ‘देवनी’ गायों के लिए एक संरक्षण परियोजना स्थापित की जाएगी। साथ ही मराठवाड़ा क्षेत्र में महिलाओं की प्रगति और सशक्तिकरण से जुड़े कार्यों के लिए 1,076 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है। इससे क्षेत्र की 12 लाख से अधिक महिलाओं को लाभ मिलने की उम्मीद है।
छत्रपति संभाजीनगर (पहले औरंगाबाद के नाम से जाना जाता था), धाराशिव (पहले उस्मानाबाद के नाम से जाना जाता था), जालना, बीड, लातूर, नांदेड़, हिंगोली और परभणी।
कैबिनेट बैठक के बाद मराठवाड़ा के विकास के लिए 45,000 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की गई। इसके अलावा, क्षेत्र के लिए 14 हजार करोड़ रुपये की सिंचाई परियोजनाओं को संशोधित प्रशासनिक मंजूरी दी जाएगी। इससे आठ लाख हेक्टेयर भूमि को इसके अंतर्गत लाने का रास्ता साफ हो गया है। घोषणा के दौरान राज्य के कुछ मंत्रियों के साथ उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस और अजित पवार भी मौजूद थे।
इस बीच, सीएम शिंदे ने कुछ विपक्षी नेताओं द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए कहा, हम सभी सरकारी गेस्ट हाउस में ठहरे हैं। विपक्ष के आरोपों का कोई आधार नहीं हैं। हम किसी पांच सितारा होटल में नहीं ठहरे हैं।
महाराष्ट्र के कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने शुक्रवार को राज्य सरकार पर कैबिनेट बैठक पर कई करोड़ रुपये खर्च करने और मराठवाड़ा में सूखे जैसी स्थिति से प्रभावित लोगों के घावों पर नमक छिड़कने का आरोप लगाया था । विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने यह भी कहा कि जब मराठवाड़ा सूखे जैसी स्थिति से जूझ रहा था, तब मुख्यमंत्री, दो उपमुख्यमंत्री, मंत्रियों और नौकरशाहों के लिए पांच सितारा होटल बुक किए गए थे।
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार ने औरंगाबाद और उस्मानाबाद जिलों के नाम बदलकर क्रमशः छत्रपति संभाजीनगर और धाराशिव करने की अधिसूचना जारी की है। यह अधिसूचना राजस्व विभाग की ओर से शुक्रवार रात जारी की गई। जिलों की नाम बदलने की पहल 29 जून, 2022 को पिछली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के कार्यकाल में हुई थी। यह निर्णय तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में उनके इस्तीफे से ठीक पहले हुई आखिरी कैबिनेट बैठक में लिया गया था। हालांकि, मुख्यमंत्री शिंदे और उप मुख्यमंत्री फडणवीस ने पिछली सरकार के इस फैसले को अवैध माना था।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि वे नई दिल्ली में स्वतंत्रता सेनानी स्वामी रामानंद तीर्थ की प्रतिमा स्थापित कराने का प्रयास करेंगे। स्वतंत्रता सेनानी स्वामी रामानंद तीर्थ ने हैदराबाद के निजाम शासन से मराठावाड़ा की मुक्ति के आंदोलन का नेतृत्व किया था। वह 1952 और 1957 के बीच गुलबर्गा (वर्तमान में कर्नाटक का क्षेत्र) से लोकसभा के सदस्य रहे।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने शनिवार को कहा कि मराठा समुदाय के लिए आरक्षण से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए मौजूदा कोटा में कोई कमी नहीं आएगी। फड़णवीस ने संविधान चौराहे पर ओबीसी समुदाय के प्रदर्शनकारियों से मुलाकात के दौरान उन्हें आश्वासन दिया कि सरकार किसी भी हालत में ओबीसी कोटा को न तो विभाजित नहीं करेगी और न ही कोई कमी। मराठा समुदाय की मुख्य मांग मेरे मुख्यमंत्री रहने के दौरान उन्हें दिये गये 12-13 प्रतिशत आरक्षण को लेकर है। वे अपना आरक्षण वापस चाहते हैं। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की जाने वाली समीक्षा याचिका पर काम शुरू कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में दिए अपने आदेश सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में मराठा समुदाय को दिए गए आरक्षण को रद्द कर दिया था।

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