गंगटोक : सिक्किम इस समय अभूतपूर्व पर्यटन उछाल का साक्षी बन रहा है। पर्यटकों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है और लोकप्रिय पर्यटन स्थल अचानक बढ़ी भीड़ को संभालने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। गंगटोक के एमजी मार्ग की चहल-पहल से लेकर उत्तर सिक्किम की बर्फ से ढकी घाटियों तक, वर्ष 2025 में यह हिमालयी राज्य भारत के सबसे पसंदीदा पर्वतीय पर्यटन स्थलों में शामिल हो गया है।
इस दिसंबर में एमजी मार्ग पर लगभग हर समय भारी भीड़ देखी जा रही है। देश के प्रमुख शहरों और विदेशों से आए पर्यटक बर्फ से ढके कंचनजंगा की पृष्ठभूमि में तस्वीरें लेते नजर आ रहे हैं। यातायात जाम आम हो गया है, टैक्सियों के हॉर्न लगातार गूंजते रहते हैं और अधिकांश होटलों पर “नो वैकेंसी” के बोर्ड लगे हुए हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि पहले ऐसी भीड़ केवल त्योहारों के दौरान ही देखने को मिलती थी, लेकिन अब यह रोजमर्रा की स्थिति बन गई है।
यह मौजूदा उछाल उस राज्य के लिए एक बड़ा बदलाव है, जिसने पिछले पांच वर्षों में लगातार संकटों का सामना किया। वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण सिक्किम की सीमाएं बंद करनी पड़ी थीं, जिससे पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई। विदेशी पर्यटकों की संख्या 2019 में 49 हजार से अधिक से गिरकर 2020 में 20 हजार से भी कम रह गई थी, जबकि होटल, टैक्सी चालक और टूर ऑपरेटरों के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया था।
पर्यटन क्षेत्र के संभलने की प्रक्रिया शुरू ही हुई थी कि अक्टूबर 2023 में तीस्ता नदी घाटी में ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (जीएलओएफ) ने भारी तबाही मचा दी। सड़कों, पुलों और बस्तियों के बह जाने से लाचुंग और लाचेन जैसे प्रमुख पर्यटन स्थलों वाला उत्तर सिक्किम महीनों तक संपर्क से कट गया। भूस्खलन और क्षतिग्रस्त ढांचे की आशंकाओं के चलते पर्यटन में तेज गिरावट आई और इसके भविष्य पर सवाल खड़े हो गए।
हालांकि 2025 तक आते-आते सिक्किम की पर्यटन कहानी ने एक नया मोड़ ले लिया। पर्यटकों की संख्या महामारी से पहले के स्तर को पार कर गई है। अक्टूबर तक ही 12 लाख से अधिक पर्यटक दर्ज किए जा चुके हैं और आधिकारिक अनुमान के अनुसार वर्ष के अंत तक यह संख्या 17 से 18 लाख तक पहुँच सकती है, जो दो साल पहले अकल्पनीय लगती थी।
2025 के पहले पांच महीनों के आंकड़े इस तेज रिकवरी को दर्शाते हैं। जनवरी से मई के बीच 8.43 लाख घरेलू पर्यटक आए, जो 2024 की इसी अवधि की तुलना में 24.2 प्रतिशत अधिक है। मार्च 2025 खास रहा, जब 1.77 लाख घरेलू पर्यटक पहुंचे, जो मार्च 2023 की तुलना में लगभग दोगुना है।
पहले अपेक्षाकृत शांत रहने वाले सर्दियों के महीने भी अब पीक सीजन में बदल गए हैं। बर्फ प्रेमी, बाइकर्स, ट्रेकर्स और परिवार बड़ी संख्या में मठों, जमी हुई झीलों और हिमालयी परिदृश्यों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। उत्तर सिक्किम में इसका असर सबसे ज्यादा दिख रहा है। कभी शांत वातावरण और सेब के बागानों के लिए मशहूर लाचुंग गांव में पीक सीजन के दौरान होटल पूरी तरह भरे हुए हैं। स्थानीय लोग चेतावनी दे रहे हैं कि पर्यटकों की संख्या इस नाजुक पर्वतीय क्षेत्र की वहन क्षमता से कहीं अधिक हो गई है। हल्के यातायात के लिए बनी सड़कें वाहनों से जाम हैं, कचरे की मात्रा तेजी से बढ़ी है और पर्यावरणीय दबाव साफ नजर आने लगा है।
सिक्किम पर्यटन विकास निगम (एसटीडीसी) के अध्यक्ष लुकेंद्र रसाइली ने कहा, हम सामान्य से लगभग तीन गुना अधिक पर्यटकों की आमद देख रहे हैं। लाचुंग पूरी तरह भरा हुआ है और मांग के मुकाबले वाहनों की भी कमी हो गई है। गंगटोक और पूर्वी सिक्किम में भी इसी तरह का दबाव है। नाथुला दर्रा और जुलुक जैसे स्थलों पर कई किलोमीटर लंबी कतारें देखी जा रही हैं, जबकि कंचनजंगा के मनोरम दृश्यों के कारण पेलिंग में भी पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ़ी है। एडवेंचर बाइकिंग टूर के विस्तार से शोर प्रदूषण, यातायात जाम और सड़क सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं।
वाहनों की भारी कमी पर्यटन क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बन गई है। टैक्सियों और साझा जीपों पर निर्भर इस राज्य में मांग उपलब्धता से कहीं अधिक है। गंगटोक में लग्जरी वाहन मिलना मुश्किल हो गया है और उत्तर सिक्किम के लिए यात्रियों से अधिक किराया वसूले जाने की शिकायतें भी सामने आ रही हैं, खासकर 2023 की बाढ़ के बाद आंशिक रूप से बहाल हुई अवसंरचना के चलते।
अधिकारियों का कहना है कि इस पुनरुत्थान का श्रेय तेज पुनर्निर्माण और आक्रामक प्रचार को जाता है। क्षतिग्रस्त सड़कों और पुलों की मरम्मत की गई और उत्तर सिक्किम को 2024 की शुरुआत में फिर से खोल दिया गया। महामारी के बाद गंगटोक–बागडोगरा हेलीकॉप्टर किराए में कटौती जैसे कदमों से उच्च श्रेणी के पर्यटक आकर्षित हुए। सामुदायिक होमस्टे और इको-टूरिज्म ट्रेकिंग सर्किट भी लोकप्रिय हुए हैं।
सितंबर 2025 में आयोजित कंचनजंगा अंतरराष्ट्रीय पर्यटन सम्मेलन से भी क्षेत्र में विश्वास बढ़ा। जुलाई में दूसरी बार एसटीडीसी अध्यक्ष नियुक्त हुए रसायली का कहना है कि राज्य सरकार की दीर्घकालिक नीति के तहत पर्यटन मजबूत विकास पथ पर है। हालांकि विशेषज्ञ अनियंत्रित विकास के जोखिमों को लेकर चेतावनी दे रहे हैं। 2025 के एक अध्ययन में बताया गया कि बढ़ती पर्यटक संख्या स्थानीय संसाधनों पर भारी दबाव डाल रही है। लाचुंग जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में दैनिक वहन क्षमता पहले ही पार हो चुकी है, जिससे नदियों का प्रदूषण, वन्यजीवों के आवास में व्यवधान और स्थानीय लोगों में असंतोष बढ़ रहा है।
सिक्किम पर्वतारोहण संघ ने भी प्रशासन से पड़ोसी क्षेत्रों में देखी गई भीड़भाड़ और अति-व्यावसायीकरण जैसी गलतियों से बचने की अपील की है। जनभावना बंटी हुई है। टैक्सी चालक, होमस्टे मालिक और होटल कर्मी रिकॉर्ड कमाई की बात कर रहे हैं, जबकि अन्य लोगों का कहना है कि इससे जीवन की गुणवत्ता प्रभावित हुई है। वर्ष 2023 में 15 लाख से अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने वाला पर्यटन क्षेत्र अब भी राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बना हुआ है, लेकिन स्थिरता को लेकर चिंताएं गहराती जा रही हैं।
इसके जवाब में राज्य सरकार ने 2025 में कई कदम उठाए हैं, जिनमें नाथुला और उत्तर सिक्किम के लिए ऑनलाइन परमिट प्रणाली, क्यूआर कोड युक्त टैक्सी किराया चार्ट और संवेदनशील क्षेत्रों में इको-फ्रेंडली यात्रा नियम शामिल हैं। साथ ही पर्यटकों को कम चर्चित स्थलों की ओर प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि दबाव कम किया जा सके।
रसाइली ने कहा, हमारा फोकस संतुलन पर है। पर्यटन तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन हम पर्यटकों के प्रवाह को संतुलित करने, ऑफबीट स्थलों को बढ़ावा देने और पर्यावरण की रक्षा के लिए काम कर रहे हैं। यह उछाल राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन में आई तेजी का भी हिस्सा है। अगस्त 2025 तक भारत में 56 लाख विदेशी पर्यटक आगमन और अनुमानित 303 करोड़ घरेलू यात्राएं दर्ज की गईं।
जैसे-जैसे वर्ष समाप्ति की ओर बढ़ रहा है, सिक्किम एक अहम मोड़ पर खड़ा है। पर्यटन उछाल ने आजीविकाएं बहाल की हैं, संकट के बाद भरोसा लौटाया है और राज्य को फिर से वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर स्थापित किया है। अब इसका दीर्घकालिक प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि विकास को कितनी प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जाता है।
फिलहाल एमजी मार्ग पर भीड़ बनी हुई है, टैक्सियां पहले से बुक हैं और होटल लगभग पूरी क्षमता पर चल रहे हैं, जो इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि सिक्किम का पर्यटन पुनरुद्धार वास्तविक, मजबूत और राज्य के भविष्य को नई दिशा देने वाला है।
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