एसपीएससी की चुप्पी व पुलिस की निष्क्रियता चिंताजनक : कोमल चामलिंग

गंगटोक : सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (SDF) ने सिक्किम पब्लिक सर्विस कमीशन (SPSC) और पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाते हुए पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की है। पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को एसपीएससी कार्यालय का दौरा कर 12 नवंबर 2025 को सौंपे गए ज्ञापन पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की, लेकिन अब तक न तो कोई आधिकारिक बयान जारी किया गया है और न ही कोई ठोस कार्रवाई सामने आई है।

एसडीएफ द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में विवादित सब-इंस्पेक्टर (पुलिस) भर्ती परीक्षा के सभी अभ्यर्थियों के परिणाम सार्वजनिक करने की स्पष्ट मांग की गई थी, ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके और अभ्यर्थियों का भरोसा बहाल हो। पार्टी का आरोप है कि इतने गंभीर मुद्दे के बावजूद एसपीएससी की ओर से अब तक कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है।

प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि एसपीएससी कार्यालय लगभग गैर-कार्यशील स्थिति में पाया गया, जहां केवल गिने-चुने कर्मचारी मौजूद थे। 12 नवंबर को हुए पिछले दौरे की तरह इस बार भी एसपीएससी के अध्यक्ष कार्यालय में अनुपस्थित पाए गए। प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात संयुक्त सचिव (प्रशासन) से हुई, जिन्होंने बताया कि अध्यक्ष किसी सम्मेलन में भाग लेने के कारण उपलब्ध नहीं हैं।

हालांकि एसपीएससी अधिकारियों ने स्वीकार किया कि एसडीएफ के ज्ञापन पर बैठक हुई थी, लेकिन वे किसी निर्णय, आधिकारिक प्रतिक्रिया या समयसीमा की जानकारी देने में असमर्थ रहे। एसडीएफ ने इस लंबे मौन को हजारों अभ्यर्थियों के भविष्य के प्रति असंवेदनशीलता और पारदर्शिता की कमी बताया है। पार्टी ने प्रभावित अभ्यर्थियों से आगे आकर न्याय की लड़ाई में एसडीएफ से जुड़ने की अपील की है।

इसी दिन एसडीएफ प्रतिनिधिमंडल ने सदर थाना स्थित आईजी (कानून) कार्यालय का भी दौरा किया। यह दौरा एसडीएफ की युवा नेता एवं प्रवक्ता योजना खालिंग को सोशल मीडिया पर दी गई यौन उत्पीड़न और बलात्कार की धमकियों से जुड़े मामले में की गई पुलिस कार्रवाई की स्थिति जानने के लिए किया गया।

एसडीएफ महिला मोर्चा की प्रभारी कोमल चामलिंग (Komal Chamling) ने बताया कियह मामला पहले ही राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्‍ल्‍यू), नई दिल्ली के समक्ष उठाया जा चुका है, जिसने 14 नवंबर 2025 को पूर्वी जिले के पुलिस अधीक्षक को 14 दिसंबर 2025 तक एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) सौंपने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद, एक महीने की स्पष्ट समयसीमा के बाद भी पुलिस विभाग रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहा है।

एसडीएफ ने इस देरी को पुलिस विभाग की गंभीर विफलता और महिलाओं के खिलाफ अपराधों को लेकर संस्थागत उदासीनता का उदाहरण बताया है। पार्टी का आरोप है कि एसकेएम सरकार के कार्यकाल में महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है।

एसडीएफ ने स्पष्ट किया है कि वह इस तरह की लापरवाही के खिलाफ चुप नहीं बैठेगी और योजना खालिंग तथा रीमा छापघाई को न्याय दिलाने के लिए हर स्तर पर संघर्ष जारी रखेगी। पार्टी ने संबंधित संस्थानों को पूर्ण रूप से जवाबदेह ठहराने की प्रतिबद्धता दोहराई है। यह जानकारी एसडीएफ महिला मोर्चा की प्रभारी कोमल चामलिंग द्वारा जारी प्रेस बयान में दी गई।

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