नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट में जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांग्चुक की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में पेश होने की मांग पर केंद्र सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई है। वांग्चुक फिलहाल जोधपुर जेल में नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (एनएसए) के तहत बंद हैं। शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई 15 दिसंबर तक स्थगित कर दी।
जलवायु कार्यकर्ता वांग्चुक की पत्नी गीतेजलि जे आंगमो ने याचिका दायर कर कहा है कि उनकी गिरफ्तारी पूरी तरह अवैध और मनमानी है। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि वांग्चुक जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर जुड़े रहना चाहते हैं। लेकिन केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसका विरोध करते हुए कहा कि ऐसा करने से देशभर के सभी बंदियों को समान सुविधा देनी पड़ेगी, इसलिए यह अनुरोध स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।
अदालत ने केंद्र और लद्दाख प्रशासन से जवाब दाखिल करने के लिए पहले भी समय दिया था। 24 नवंबर को भी केंद्र ने अतिरिक्त समय मांगा था, जिसके बाद सुनवाई टल गई थी। 29 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने आंगमो की संशोधित याचिका पर केंद्र और लद्दाख प्रशासन से जवाब मांगा था। अब कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी।
सोनम वांग्चुक को 26 सितंबर को नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था। इससे दो दिन पहले लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर हुए प्रदर्शनों में हिंसा भड़क गई थी। इन झड़पों में चार लोगों की मौत हुई थी और 90 लोग घायल हुए थे। सरकार का आरोप है कि वांग्चुक ने माहौल भड़काया, जबकि परिवार का दावा है कि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है।
आंगमो की याचिका में कहा गया है कि गिरफ्तारी पुराने एफआईआर, अस्पष्ट आरोपों और बिना किसी ठोस प्रमाण के आधार पर की गई है। याचिका में तर्क दिया गया है कि यह गिरफ्तारी संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन है और सत्ता का दुरुपयोग है। आंगमो ने कहा कि वांग्चुक पिछले तीन दशक से शिक्षा, नवाचार और पर्यावरण संरक्षण में उल्लेखनीय काम कर रहे हैं। ऐसे व्यक्ति पर अचानक देशविरोधी गतिविधियों का आरोप लगाना पूरी तरह अविश्वसनीय है।
आंगमो ने अदालत को बताया कि 24 सितंबर की हिंसा को वांग्चुक ने सोशल मीडिया पर खुलकर निंदा की थी और कहा था कि हिंसा से लद्दाख की पांच साल की तपस्या खत्म हो जाएगी। उन्होंने इसे अपने जीवन का सबसे दुखद दिन बताया था। एनएसए के तहत केंद्र और राज्य सरकारें किसी भी व्यक्ति को 12 महीने तक हिरासत में रख सकती हैं, हालांकि आदेश पहले भी वापस लिया जा सकता है।
#anugamini
No Comments: