भाजपा से जुड़े लोग वंदे मातरम नहीं पढ़ सके : महुआ मोइत्रा

नई दिल्ली । पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट से निर्वाचित तृणमूल कांग्रेस की महिला सांसद महुआ मोइत्रा ने दिल्ली की प्रदूषित हवा और एयर क्वालिटी इंडेक्स पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि आज हम सब वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर इस राष्ट्रीय गीत पर चर्चा कर रहे हैं। इसी समय राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की हवा में जहर घुला है। उन्होंने कहा कि आज देश में जिस तरह की घृणा फैलाई जा रही है, ऐसे माहौल में वंदे मातरम पर चर्चा करना दिखाता है कि हम कितने गंभीर हैं।

उन्होंने कहा कि बीते हफ्ते संसदीय बुलेटिन में कहा गया कि सदन में ‘वंदे मातरम’ और ‘जय हिंद’ जैसे नारे पर पाबंदी लगाई गई है। लेकिन अब अचानक इस पर 10 घंटे लंबी चर्चा हो रही है। इसका केवल एक ही मतलब है कि शायद किसी अल्पबुद्धि आईटी सेल सदस्य ने आपको ये सुझाव दिया है कि अगर बंगाल में वंदे मातरम का कार्ड चल गया तो 2026 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को इसका राजनीतिक लाभ मिल सकता है। इसके अलावा इस चर्चा का कोई और कारण नहीं है।

महुआ मोइत्रा ने कहा, वंदे मातरम पर चर्चा के पीछे मंशा चाहे जो भी हो, हम इस बात से खुश हैं कि हमें आपको सबक सिखाने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा, वंदे मातरम पर ये चर्चा दिखाती है कि आप बंगाल की सोच और आत्मा से जुड़ने में सफल नहीं हुए हैं। हमारी मां आपके सियासी लक्ष्यों की बंधक कभी नहीं बनेगी। उन्होंने वंदे मातरम के प्रकाशन और इसके गायन से जुड़े इतिहास का जिक्र करते हुए ऐतिहासिक तथ्यों को रेखांकित किया। उन्होंने एक भाजपा प्रवक्ता, यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री समेत कुछ अन्य मामलों का जिक्र करते हुए कहा, उन्हें कई ऐसी घटनाएं याद हैं, जहां भाजपा से जुड़े लोग वंदे मातरम नहीं पढ़ सके।

तृणमूल सांसद ने कहा, सरकार को बताना चाहिए कि बंगाल के लिए इन लोगों ने आज तक किया क्या है? जो आज दावा कर रहे हैं कि बंगाल के लोगों के साथ-साथ पूरे देश को वंदे मातरम सिखाएंगे। उन्होंने सवाल किया कि भाजपा और आरएसएस से जुड़े कौन लोग हैं जो साबित कर सकते हैं कि आजादी के आंदोलन में उनका योगदान रहा है। सत्ताधारी खेमे से मुखातिब महुआ ने कहा, आज आपको लगता है कि आप वंदे मातरम के प्रहरी बन चुके हैं।

अंडमान की सेल्युलर जेल में बंद किए गए 585 कैदियों का जिक्र करते हुए महुआ ने कहा, साल 1909 से 1938 के बीच सजा पाने वाले इन कैदियों में 68 फीसदी यानी 398 लोग बंगाल के थे। पंजाब के 95 कैदियों को यहां रखा गया। बंगाल के क्रांतिकारियों का नाम लेकर महुआ ने सरकार से पूछा, इन लोगों को बताना चाहिए कि जिस कालकोठरी में देश की आजादी की लड़ाई लड़ने वाले लोगों को काला पानी की सजा-यातना दी गईं, आज तक उस सेल्युलर जेल का नाम क्यों नहीं बदला गया?

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