नई दिल्ली । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने आयुष्मान भारत योजना लागू न करके गरीबों, खासकर प्रवासी मजदूरों को देशभर में मिलने वाले मुफ्त इलाज से वंचित कर दिया। सीतारमण ने इसे बंगाल के लोगों के साथ “सरकारी जिद” की वजह से हुआ बड़ा नुकसान बताया।
राज्यसभा में बहस का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि आयुष्मान भारत का सबसे बड़ा लाभ राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी है। इससे बंगाल का कोई भी प्रवासी मजदूर देश के 32,000 से अधिक अस्पतालों में मुफ्त इलाज करा सकता था। लेकिन, योजना को लागू न करने के कारण यह सुविधा उन तक पहुंच ही नहीं सकी। सीतारमण ने कहा कि इससे बंगाल के गरीबों को वही सुविधाएं नहीं मिल पाईं, जो बाकी राज्यों के नागरिकों को आसानी से मिल रही हैं।
सीतारमण ने कहा कि आयुष्मान भारत लागू होता तो केंद्र सरकार से मिलने वाला करीब 785 करोड़ रुपये बंगाल को मिल चुका होता। यह पैसा सीधे स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने में लगता। उन्होंने कहा कि इस भारी फंडिंग के न मिलने का नुकसान सीधे आम जनता को हुआ, क्योंकि यह पैसा लोगों के इलाज पर खर्च होना था, लेकिन राज्य सरकार की जिद ने इसे रोक दिया।
वित्त मंत्री ने आरोप लगाया कि अगर राज्य सरकार यह रकम स्वास्थ्य सेवाओं पर लगा देती तो गरीब परिवारों का अपना पैसा भी बच सकता था, जिससे उन्हें घर, शिक्षा या अन्य जरूरतों पर खर्च करने में राहत मिलती। लेकिन, योजनाओं को लागू न करने के कारण बंगाल के लाखों गरीबों को इसका लाभ नहीं मिल सका। सीतारमण ने इसे सीधे तौर पर गरीबों के साथ अन्याय बताया।
सीतारमण ने कहा कि अगर पश्चिम बंगाल आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का हिस्सा बनता, तो कोलकाता पूर्वी और उत्तर-पूर्व भारत का सबसे बड़ा मेडिकल हब बन सकता था। उन्होंने कहा कि करोड़ों मरीजों का आवागमन स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ा सुधार लाता, निजी अस्पतालों का विस्तार होता और राज्य में आधुनिक स्वास्थ्य ढांचा तेजी से विकसित होता। लेकिन योजना से बाहर रहने के कारण यह संभावनाएं अधूरी रह गईं।
वित्त मंत्री ने संसद में यह भी कहा कि देश में पश्चिम बंगाल अकेला राज्य है जिसने आयुष्मान भारत को लागू नहीं किया। बाकी सभी राज्यों ने इसे अपनाया है और अपने लोगों को मुफ्त इलाज की सुविधा दे रहे हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि केंद्र ने कई बार आग्रह किया, लेकिन राज्य सरकार ने इसके बावजूद इस राष्ट्रीय योजना को स्वीकार नहीं किया।
उन्होंने कहा कि भले ही राज्य सरकार स्वास्थ साथी नाम की अपनी बीमा योजना चला रही है, लेकिन यह योजना आयुष्मान भारत जितनी व्यापक नहीं है, न ही इसमें राष्ट्रीय स्तर पर इलाज की सुविधा है। इसलिए प्रवासी मजदूरों और गरीब परिवारों को वह मदद नहीं मिल पा रही, जो आयुष्मान भारत देता। सीतारमण ने कहा कि राज्य सरकार की राजनीति के कारण गरीबों के हित प्रभावित हुए हैं।
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