सिक्किम में SIR पर राजनीतिक बहस शुरू

अनावश्यक जल्दबाजी में है भाजपा : पासांग ग्याली शेरपा

गंगटोक : सिक्किम में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) लागू करने की मांग पर राजनीतिक बहस शुरू हो गई है। इसी बीच, राजनीतिक कार्यकर्ता पासांग ग्याली शेरपा (Passang Gyali Sherpa) ने एसआईआर को लेकर चेतावनी देते हुए इसे सिक्किम जैसे विशेष राज्य में बड़ी सावधानी से करने की मांग की है।

शेरपा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सिक्किम प्रदेश इकाई एसआईआर के लिए सक्रियता से प्रयास कर रही है और अनावश्यक रूप से जल्दबाजी में है, लेकिन सिक्किम की विशिष्ट संवैधानिक और जनसांख्यिकीय संवेदनशीलता को देखते हुए इस मुद्दे को अत्यंत सावधानी से निपटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि असम के संबंध में भारत के चुनाव आयोग के रुख से एक गंभीर चिंता उत्पन्न होती है। ईसीआई ने एसआईआर के दूसरे चरण से असम को यह कहते हुए हटा दिया है कि नागरिकता कानून के तहत वहां लागू विशेष प्रावधानों के कारण राज्य के लिए एक अलग आदेश जारी किया जाएगा। चूंकि सिक्किम को भी समान संवैधानिक सुरक्षा प्राप्त है, इसलिए यह तर्कसंगत और आवश्यक है कि सिक्किम में एसआईआर से संबंधित कोई भी निर्णय समान सावधानी के साथ, एक अलग और संदर्भ-विशिष्ट प्रक्रिया के माध्यम से लिया जाए।

इसके अलावा, शेरपा ने एसआईआर के लिए 2002 को आधार वर्ष के रूप में उपयोग करने पर भी सवाल उठाये। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव सिक्किम के लिए बेहद विवादास्पद और अस्वीकार्य है। 2002 को अप्रत्यक्ष रूप से कट-ऑफ वर्ष मानने का कोई भी प्रयास राज्य के ऐतिहासिक अधिकारों, जनसांख्यिकीय स्थिरता और संवैधानिक सुरक्षा उपायों के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करता है। उनके अनुसार, ये चिंताएं लंबे समय से अनसुलझे मुद्दों से और भी बढ़ जाती हैं, जिनमें राज्य विधानसभा में सिक्किमी नेपाली समुदाय के लिए सीट आरक्षण, लिम्बू-तमांग समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा आदि शामिल हैं।

ऐसे संवेदनशील संदर्भ में, विशेष रूप से 2002 को मानक मानकर, एसआईआर को लागू करने से इन समुदायों के राजनीतिक अधिकारों के और अधिक खतरा है। इससे सिक्किमी नेपाली विरोधी और लिम्बू-तमांग विरोधी तत्वों के लिए जनसांख्यिकीय आख्यानों को विकृत करने, वैध संवैधानिक दावों को कमजोर करने या राज्य के नाजुक सामाजिक ताने-बाने को अस्थिर करने के अवसर खुल सकते हैं।

शेरपा ने कहा, इन कारणों से सिक्किम में एसआईआर की जोरदार, समय से पहले या बिना शर्त मांग करना, इसके निहितार्थों की व्यापक समझ के बिना एक गंभीर राजनीतिक गलतफहमी का कारण बन सकता है। उन्होंने ऐसी कोई भी प्रक्रिया शुरू करने से पहले सभी राजनीतिक दलों, सामुदायिक संगठनों, सामाजिक समूहों और संवैधानिक विशेषज्ञों को पूर्ण विश्वास में लेने की मांग उठायी। उन्होंने कहा कि एसआईआर से संबंधित किसी भी कदम से सिक्किम की संवैधानिक पहचान, उसके ऐतिहासिक अधिकारों और सिक्किमी नेपाली तथा लिंबू-तमांग समुदायों की दीर्घकालिक आकांक्षाओं की रक्षा होनी चाहिए। अन्यथा यह सिक्किम के अतीत, वर्तमान और भविष्य के साथ अन्याय होगा।

#anugamini #sikkim

No Comments:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

National News

Politics