सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन का माध्यम है साहित्य : प्रेम सिंह तमांग

गंगटोक : परी प्रकाशन का पांचवां स्थापना दिवस समारोह आज गंगटोक के मनन केंद्र में आयोजित किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग (Prem Singh Tamang) मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने साहित्यिक एवं काव्यात्मक रचनात्मकता में अपनी दीर्घकालिक रुचि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे लेखक या कवि नहीं हैं, लेकिन साहित्य में उनकी गहरी रुचि उन्हें लेखकों और कवियों को उनकी रचनाएं जनता तक पहुंचाने में सहयोग करने के लिए प्रेरित करती है। ऐसे में, उन्होंने राज्य भर के स्थापित और उभरते लेखकों को प्रोत्साहित करते रहने का आश्वासन दिया।

वहीं, परी प्रकाशन के बारे में बोलते हुए मुख्यमंत्री ने 2019 में इसकी स्थापना को याद किया, जिसका मुख्य उद्देश्य उन उपेक्षित लेखकों और कवियों का समर्थन करना था जिन्हें अपनी रचनाएं प्रकाशित करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। पिछले पांच वर्षों में, संगठन ने अनसुनी आवाजों और साहित्यिक अभिव्यक्तियों को सार्वजनिक क्षेत्र में लाने के लिए अथक प्रयास किया है। उन्होंने इस पहल को उन लोगों के योगदान को संरक्षित और सम्मानित करने का एक विनम्र प्रयास बताया, जो विभिन्न कारणों से पाठकों तक पहुंचने के लिए संघर्ष करते हैं।

साहित्य के महत्व पर बोलते हुए मुख्यमंत्री ने इसे हमेशा से सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन का एक सशक्त माध्यम बताया। उन्होंने उन प्रतिष्ठित साहित्यकारों के अमिट प्रभाव पर प्रकाश डाला, जिनकी रचनाओं ने समाजों को आकार दिया है और दुनिया भर की पीढि़यों को प्रेरित किया है। इस दिशा में उन्होंने परी प्रकाशन के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस संगठन ने कई लेखकों के लिए रचनात्मकता की यात्रा को बहुत सुगम बना दिया है। उन्होंने कहा कि उभरते लेखकों को बढ़ावा देकर, स्थापित लेखकों को सम्मानित करके और लेखकों और पाठकों के बीच की खाई को पाटकर, परी प्रकाशन ने सिक्किमी समाज में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

साथ ही, समग्र विकास के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हुए मुख्यमंत्री ने उल्लेख किया कि भाषा, साहित्य, संगीत और कला सहित संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को मजबूत करना प्राथमिकता बनी हुई है। उन्होंने दोहराया कि साहित्य के बिना समाज अधूरा है और सिक्किम की समृद्ध साहित्यिक विरासत के संरक्षण और विस्तार के महत्व पर बल दिया।

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