उत्तर बंगाल में धीरे-धीरे सामान्य हो रहा जनजीवन : ममता बनर्जी

सिलीगुड़ी : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कल सोमवार को कोलकाता लौटीं और व्यापक योजनाओं और राहत उपायों की घोषणा करते हुए भीषण बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित उत्तर बंगाल के लोगों को राहत और पुनर्निर्माण का आश्वासन दिया। उत्तरकन्या प्रशासनिक भवन से उन्होंने कहा, उत्तर बंगाल अब धीरे-धीरे सामान्य जीवन की ओर लौट रहा है, इसका श्रेय ज़िला प्रशासन से लेकर उन सभी लोगों को जाता है जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की सेवा की है।

बाढ़ और भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों का प्रत्यक्ष निरीक्षण करने के लिए 6 अक्टूबर के बाद से उत्तर बंगाल का यह उनका तीसरा दौरा है। उन्होंने उत्तरकन्या राज्य सचिवालय से 11,555 आंशिक रूप से प्रभावित और 3,239 गंभीर रूप से प्रभावित परिवारों को घर पुनर्निर्माण के लिए 161.33 करोड़ रुपये की सहायता राशि वितरित की।

उनके अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीण आवास योजना में वित्तीय सहायता बंद करने से पहले, पश्चिम बंगाल भारत में शीर्ष पर था, जहां 45.7 लाख से अधिक घरों का निर्माण किया गया था। केंद्रीय सहायता बंद होने के बाद, राज्य सरकार ने ‘बांग्लार बाड़ी’ योजना शुरू की। इस योजना के तहत अब तक 12 लाख परिवारों को घर निर्माण के लिए 14,400 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं, और जल्द ही 16 लाख और परिवारों को सहायता प्रदान की जाएगी।

कृषि क्षेत्र में एक बड़े राहत पैकेज की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, बाढ़ और भूस्खलन से खेतों को नुकसान पहुंचे तो भी हम किसानों को अकेला नहीं छोड़ेंगे। प्राप्‍त जानकारी के अनुसार, सरसों, गेहूं, मक्का, मसूर, आलू जैसी फसलों के लिए 1,16,000 से ज़्यादा किसानों को 6.5 करोड़ रुपये के बीज और उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं। इसके अलावा, 20,724 किसानों को मौसमी सब्जियों के बीज और कृषि सामग्री वितरित की गई है। बताया गया है कि दार्जिलिंग में 1,050 किसानों को संतरे, अदरक और बड़ी इलायची के पौधे उपलब्ध कराए गए हैं, जिनके बारे में पार्टी सूत्रों का कहना है कि इससे पहाड़ी बागों को पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी।

दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार और कूचबिहार के 807 किसानों को अपने खेतों को फिर से खेती योग्य बनाने के लिए 47 लाख रुपये की सहायता दी गई है। फसल क्षति का आकलन करने के बाद ‘बांग्ला फसल बीमा’ के तहत अतिरिक्त मुआवजा वितरित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि राज्य सरकार ने उत्तर बंगाल के 8 जिलों में 3,491 लोगों को भूमि स्वामित्व (पट्टे) वितरित किए हैं और राज्य सरकार अब तक 6.56 लाख से अधिक पट्टे वितरित कर चुकी है।

राज्य सरकार चाय बागान क्षेत्र में भी एक व्यापक योजना लेकर आई है। अब तक 53 नए स्वास्थ्य केंद्र बनाए जा रहे हैं और कल, सोमवार को रिमोट कंट्रोल सिस्टम के माध्यम से 14 केंद्रों का उद्घाटन किया गया। इसके अलावा, चाय बागान श्रमिकों के बच्चों और महिलाओं के लिए 15 नए क्रेच शुरू किए गए हैं, जो एक तरह का स्वास्थ्य देखभाल केंद्र हैं। बताया जा रहा है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए 10 नई स्कूल बस सेवाएं भी शुरू की जाएंगी।

आगे जानकारी देते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा, हमने चाय बागान श्रमिकों के वेतन में वृद्धि की है और ‘चा सुंदरी’ योजना के माध्यम से उनके आवास, बिजली, पानी और स्वास्थ्य सुविधाओं को सुनिश्चित किया है। इसी प्रकार, उन्होंने बताया कि महाकाल मंदिर निर्माण के लिए 17.4 एकड़ भूमि आवंटित की गई है और मुख्यमंत्री के निर्देश पर एक ट्रस्ट बनाकर इस परियोजना को आगे बढ़ाया गया है।

मुख्यमंत्री ने अंत में केंद्र सरकार से भारत-भूटान संयुक्त नदी आयोग बनाने का आग्रह करते हुए कहा, बाढ़ हर साल बंगाल के एक बड़े क्षेत्र को प्रभावित करती है। इस समस्या का स्थायी समाधान आवश्यक है, जिसके लिए दोनों देशों के बीच नियमित सूचना आदान-प्रदान और प्रबंधन प्रणाली आवश्यक है।

अंत में, उन्होंने अधिकारियों को एसआईआर प्रक्रिया में लोगों का पूरा सहयोग करने का निर्देश देते हुए कहा, मानवता का पहला कर्तव्य आम लोगों, ‘मां, माटी और मानुष’ के अधिकारों और सम्मान की रक्षा करना है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार बाढ़ से तबाह उत्तर बंगाल को राहत पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। उन्होंने संरचनाओं की मरम्मत और निर्माण कार्य में तेज़ी लाने के बारे में और जानकारी दी।

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