दिव्यांगों के राज्यव्यापी सर्वेक्षण के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित

सोरेंग : महिला, बाल, वरिष्ठ नागरिक एवं दिव्यांगजन कल्याण विभाग, गंगटोक के तत्वावधान में आज सोरेंग के रुर्बन कॉन्फ्रेंस हॉल में दिव्यांगजन के राज्यव्यापी सर्वेक्षण के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।

इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य राज्य के सभी दिव्यांगजनों का प्रामाणिक एवं सटीक डेटा संकलन करना है, जिससे भविष्य में उनके लिए प्रभावी योजनाएं बनाई जा सकें। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सोरेंग जीपीयू के उपाध्यक्ष दिल प्रसाद जोगी, पंचायत सदस्य तीर्थ बहादुर सुब्बा तथा राजेश तमांग, एसडीएम सुश्री सक्षम लेप्चा तथा बीडीओ परी हांग लिम्बू उपस्थित रहे।

प्रशिक्षण सत्र में संयुक्त आयुक्त एमबी छेत्री, सहायक निदेशक लग्याल लेप्चा तथा एडब्ल्यूटीसी के प्राचार्य सांगे छिरिंग भूटिया ने संसाधन व्यक्ति के रूप में मार्गदर्शन प्रदान किया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है कि घर-घर सर्वेक्षण के माध्यम से दिव्यांग व्यक्तियों का प्रामाणिक आंकड़ा एकत्र करना। इस कार्य में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुपरवाइजर्स के निर्देशन में तथा सीडीपीओ के मार्गदर्शन में सर्वेक्षण करेंगी। यह सर्वेक्षण पूरे राज्य में संचालित किया जाएगा। एकत्रित आंकड़ों को पहले चरण में पर्यवेक्षिकाओं के माध्यम से सीडीपीओ को सौंपा जाएगा। तत्पश्चात दूसरे चरण में महिला, बाल, वरिष्ठ नागरिक एवं दिव्यांगजन कल्याण विभाग द्वारा जिला समाज कल्याण अधिकारियों, क्षेत्रीय निरीक्षकों और अन्य अधिकारियों को डेटा संकलन एवं संकलन क्षेत्रवार रूप में प्रस्तुत करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

अंतिम रूप से संकलित आंकड़े विभाग के मुख्यालय को भेजे जाएंगे, जहां उनका संयोजन, विश्लेषण, प्रकाशन और प्रसार किया जाएगा। प्रशिक्षण के दौरान वक्ताओं ने बताया कि इस डेटा के माध्यम से राज्य में दिव्यांग कल्याण से जुड़ी दीर्घकालिक और सतत विकास योजनाएं बनाई जा सकेंगी। यह पहल सिक्किम को सुनहरा, सम्पन्न और समर्थ सिक्किम बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सत्र में 1992 से अब तक दिव्यांगता क्षेत्र में आए परिवर्तनों पर भी चर्चा की गई। शुरुआती दान-आधारित सेवाओं से लेकर चिकित्सा मॉडल और फिर सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण आधारित दृष्टिकोण तक की यात्रा का विस्तार से उल्लेख किया गया।

दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के प्रावधानों को प्रभावी रूप से लागू करने हेतु सिक्किम सरकार प्रतिबद्ध है, ताकि विकसित सिक्किम और विकसित भारत 2047 का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके। प्रशिक्षण में बताया गया कि वर्तमान में 21 प्रकार की दिव्यांगताएं मान्य हैं, जिनमें प्रत्येक को विशेष देखरेख, शीघ्र पहचान, हस्तक्षेप, पुनर्वास, व्यावसायिक कौशल विकास, रोजगार अवसर और स्वतंत्र सामुदायिक जीवन की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही उच्च समर्थन समूह के दिव्यांगजनों के लिए सामाजिक सुरक्षा और संरक्षण सेवाओं की अनिवार्यता पर भी बल दिया गया। विभागीय अधिकारियों ने कहा कि यह सर्वेक्षण राज्य में दिव्यांगजन कल्याण के लिए डेटा आधारित नीतिनिर्धारण की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है, जो सिक्किम को प्रगतिशील समाज की ओर एक और कदम आगे ले जाएगी।

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