कोलकाता (ईएमएस)। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने बुधवार को कहा कि भारतीय सेनाएं हमेशा चुस्त, आत्मनिर्भर और भविष्य के लिए तैयार रहने के लिए लगातार सुधार करती रहेंगी। तीन दिवसीय संयुक्त कमांडर सम्मेलन (सीसीसी) के समापन संबोधन में सीडीएस चौहान ने कहा, सुधारों को एक सतत प्रक्रिया के रूप में संस्थागत बनाना जरूरी है, ताकि जटिल वैश्विक माहौल में आने वाली चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना किया जा सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के निर्देशों के अनुरूप सुधारों की विस्तृत कार्ययोजना तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि सुधारों और तकनीकी आत्मनिर्भरता से ही भारतीय सेनाएं भविष्य की जंगों के लिए पूरी तरह सक्षम होंगी।
रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, सम्मेलन में सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल, संयुक्तता और अंतर-सेवा सहयोग पर जोर दिया गया। खासकर अंतरिक्ष, साइबर, सूचना और विशेष अभियानों जैसे क्षेत्रों में संस्थागत सुधार की जरूरत रेखांकित की गई। प्रधानमंत्री मोदी ने उद्घाटन सत्र में आत्मनिर्भरता, नवाचार और संयुक्तता को सेनाओं की ऑपरेशनल तैयारी के लिए अहम बताया। जबकि, रक्षा मंत्री ने मौजूदा क्षमताओं की समीक्षा करते हुए भविष्य की रणनीति पर बल दिया था।
सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वी कमान मुख्यालय विजय दुर्ग (पूर्व में फोर्ट विलियम) में सम्मेलन का उद्घाटन किया था। उन्होंने संयुक्तता, आत्मनिर्भरता और नवाचार को सशस्त्र बलों की परिचालन तत्परता के लिए अनिवार्य बताया था।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक सत्र की अध्यक्षता की थी। जिसमें मौजूदा तैयारी, क्षमताओं के विकास और भविष्य के युद्धों की रणनीतिक रूपरेखा की गहन समीक्षा की गई। इस दौरान बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य के भारत की सुरक्षा पर प्रभाव और रक्षा योजना में फुर्ती, लचीलापन और दूरदर्शिता की आवश्यकता पर बल दिया गया था।
प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री ने सशस्त्र बलों की राष्ट्र रक्षा में समर्पण की सराहना करते हुए सतत सुधारों और तकनीकी आत्मनिर्भरता की जरूरत पर जोर दिया था। उन्होंने रक्षा तकनीक और निर्माण में स्वदेशी विकास को विशेष रूप से महत्वपूर्ण बताया।
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