दार्जिलिंग : नेपाली भाषा के संबंध में आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करने पर मंगपू जेएम कोर्ट की न्यायिक मजिस्ट्रेट अलकनंदा सरकार ने आज नेपाली भाषी समुदाय से लिखित रूप में माफी मांगी है। कुछ दिन पहले के इस वाकये के बाद क्षेत्रीय बार एसोसिएशनों ने इसके खिलाफ व्यापक विरोध-प्रदर्शन किया था।
दार्जिलिंग, कार्सियांग, कालिम्पोंग, मिरिक और मंगपू बार एसोसिएशनों ने संयुक्त रूप से इस बयान का विरोध किया था। इस पर कड़ी आपत्ति जताए जाने के बाद जिला न्यायालय के न्यायाधीश की पहल पर आज एक विशेष बैठक बुलाई गई। लगभग तीन घंटे चली इस बैठक में न्यायिक मजिस्ट्रेट अलकनंदा सरकार स्वयं उपस्थित थीं।
दार्जिलिंग बार एसोसिएशन अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता तरंग कमल पंडित ने जानकारी देते हुए बताया कि बैठक के बाद अलकनंदा सरकार ने लिखित माफी मांगते हुए स्वीकार किया कि उन्होंने नेपाली भाषी समुदाय को ठेस पहुंचाई है और उन्होंने यह भी वादा किया कि वह मंगपू कोर्ट में दोबारा पेश नहीं होंगी।
तरंग कमल पंडित ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा, आज सभी नेपाली भाषी जीत गए हैं। इसका श्रेय दार्जिलिंग, कार्सियांग, मिरिक, कालिम्पोंग और मंगपू बार एसोसिएशनों को जाता है। उन्होंने आगे कहा, पहाड़ी राजनीतिक दलों ने भी इस आंदोलन को अपना पूर्ण समर्थन व्यक्त किया। इस दौरान, जीटीए प्रमुख अनित थापा ने राज्य के कानून मंत्री मलय घटक से मुलाकात की और एक ज्ञापन सौंपा, जिसके बाद मंत्री ने कलकत्ता उच्च न्यायालय को पत्र लिखा।
वहीं, बार एसोसिएशन सचिव दिनेश चंद्र राई ने कहा, यह पहली बार है कि किसी न्यायिक मजिस्ट्रेट ने नेपाली भाषी समुदाय से लिखित में माफी मांगी है। यह घटना ऐतिहासिक है। उनके साथ, उपाध्यक्ष प्रणय राई ने भी कहा, नेपाली भाषा को पहले ही भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जा चुका है और पश्चिम बंगाल सरकार ने भी इसे राज्य भाषा के रूप में मान्यता दी है।
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