गेजिंग : नेपाली भाषा को मान्यता प्रेम से नहीं, अधिकार से मिली है। यह भावुक अभिव्यक्ति पूर्व सांसद एवं भाषा संग्रामी श्रीमती Dil Kumari Bhandari ने व्यक्त की, जो 34वें नेपाली भाषा मान्यता दिवस के मुख्य समारोह को संबोधित कर रही थीं।
उन्होंने अपने ऐतिहासिक संघर्षों और आंदोलनों को याद करते हुए नेपाली भाषा की संवैधानिक मान्यता को अधिकार की विजय बताया। इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में नेपाली भाषा को शामिल किए जाने से पहले, एक लंबा और कठिन आंदोलन चला। यह यात्रा 1956 में आनन्द सिंह थापा, वीरबहादुर भंडारी और नरेन्द्र सिंह राणा द्वारा भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को पहला ज्ञापन सौंपने से शुरू हुई थी। समूचे भारत में फैले करोड़ों नेपाली भाषी नागरिकों की एकता और संघर्ष के परिणामस्वरूप 20 अगस्त 1992 को भारतीय संसद ने सर्वसम्मति से नेपाली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया।
इस वर्ष का समारोह गेजिंग के सामुदायिक भवन में आयोजित किया गया, जिसमें मंत्री भीमहांग सुब्बा, विधायक लोकनाथ शर्मा, जिलापाल कर्मा डी डेन्जोङ्पा, पद्मश्री केदार गुरुंग, ख्यातिप्राप्त साहित्यकार, विभिन्न विद्यालयों के शिक्षक और छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। समारोह की शुरुआत देन्ताम टार विद्यालय के छात्र-छात्राओं के पाइप बैंड और नौमती बाजा के साथ नगर परिक्रमा करते हुए एक भव्य शोभा यात्रा से हुई। इस अवसर पर चार प्रमुख साहित्यिक पुरस्कारों की घोषणा और वितरण किया गया, जिसने लालमान संचरानी स्मृति पुरस्कार नाटक सिक्किमेली नाट्य यात्राको सय वर्ष अनि आफ्नै सार नाटक के लिए चुनिलाल घिमिरे (गंगटोक), बीबी मुरिङ्ला स्मृति पुरस्कार निबंध सिङ्माङको घिउ के लिए युवराज काफ्ले (सिलीगुड़ी), लक्ष्मण-सावित्री गुरूंग स्मृति पुरस्कार मिजोरम निवासी श्रीमती लक्ष्मी मिनु, उपमान बस्नेत स्मृति पुरस्कार कथा विधा में चक्रधर रुछिन्बोंग (मंगलबारे, सोरेंग) शामिल हैं।
समारोह में युवा साहित्यकार धनसिंह विश्व द्वारा लिखित एक कथा संग्रह का विमोचन भी किया गया। इसके साथ ही विद्यार्थियों के बीच क्या कृत्रिम बुद्धिमत्ता रोजगार के लिए हानिकारक है? विषय पर तर्क-वितर्क प्रतियोगिता आयोजित हुई, जिसमें पीएमश्री कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय और पीएमश्री पेलिंग वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के छात्रों ने प्रभावशाली वक्तव्य दिए। कार्यक्रम में विधायक लोकनाथ शर्मा, साहित्यकार चुनिलाल घिमिरे और जिलापाल कर्मा डी डेन्जोङ्पा सहित अन्य गणमान्य अतिथियों ने कविता पाठ, कहानी वाचन तथा भाषण प्रस्तुत किए। समारोह ने एक बार फिर यह स्मरण कराया कि नेपाली भाषा केवल प्रेम और संस्कृति की अभिव्यक्ति नहीं है, यह अधिकार, पहचान और अस्तित्व की गौरवमयी जीत है।
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